बुरे विचारों से कैसे बचें?

बुरे विचारों से कैसे बचें?

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एक बार एक बच्चा घर के बाहर खेल रहा था,खेलते खेलते उसकी नजर बिच्छू पर पड़ी, अब वो बालक बहुत छोटा था, उसको ये नहीं मालूम था, कि बिच्छू के ड़ंक में जहर होता है, अगर बिच्छू ने काट लिया तो बहुत बड़ी समस्या हो जाएगी,अब उसने उस बिच्छू को एक छोटे से डिब्बे में रख लिया , और घर चला आय़ा, और किसी को बताया भी नहीं उसके क्या किया है,दूसरे दिन बच्चे ने सोचा कि क्यों न उसको देखा जाए कि वह कितना बड़ा हो गया, और जैसे ही वह डिब्बा खोलता है, बिच्छू ने डंक मार दिया,बच्चे को पहले थोड़ा सा दर्द हुआ तो  बच्चे को पता नहीं चला , उसने डिब्बा फिर से बंद कर दिया,थोड़ी देर में जब दर्द बढ़ना शुरू हुआ,तो बच्चा रोने लगा , मां ने देखा बच्चा रो रहा है, उसने देखा आसपास कुछ नहीं था, हांथ में देखा तो पता चला किसे कीड़े ने काट दिया, उसने तुरंत डाक्टर को बुलाया, डॉक्टर ने देखा और बताया कि किसी जहरीले कीड़े ने काटा है, दवाई दी, जिससे बच्चे का दर्द कम हो गया, औऱ थोडी देर बाद बच्चे ने मां को बताया कि उसने एक कीड़े को डिब्बे में बंद करके ऱखा है, और जैसे ही उसने फिर से डिब्बे को खोला फिर से बिच्छू ने काट लिया , मां ने तुरंत उस डिब्बे को बाहर फेका ,और बच्चे को समझाया कि वह जहरीला कीड़ा था, इसलिए उसको बाहर फेक दिया , क्योंकि उसके काटने से लोग बीमार हो जाते हैं,और बच्चा किसी तरह शांत हुआ।

हमारी कहानी भी कुछ ऐसी ही है, कि हम किसी के बुरे विचारों को अपना समझ लेते हैं, और वो विचार हमें बिच्छू के डंक की तरह हमेशा कष्ट देते रहते हैं, लेकिन हम अनजान बनकर बार बार उन्हे को याद करते रहते हैं,और दूसरों को बताते भी हैं, वो विचार चाहे, किसी घटना के हों, धोखे के हों, किसी की कमियां हो या फिर हमारी असफलता के विचार हो,बेहतर यही है, कि हम उन्हे अपना न समझ के बाहर ही रहने दे, और अपने मन के डिब्बे में हमेशा, अच्छाई और परोपकार के विचार ही रखें, जिससे हम हमेशा खुश रह सकें।

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