aaj ka suvichar

आज का सुविचार

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1- आप जो भी कर रहे हैं, उसका कुछ न कुछ परिणाम अवश्य है, इसलिए कुछ करने से पहले परिणाम के बारे में जरूर सोचें।

2- अपने कल की चिंता में आज व्यर्थ मत करिए, क्योंकि इस तरह से आप अपना वर्तमान खराब कर रहे हैं।

3- इंसान को दूसरों के चिंतन से ज्यादा खुद की तरक्की में समय लगाना चाहिए, क्योंकि दूसरों के चिंतन से केवल समय खराब होता है।

4- अपने हक के लिए संघर्ष करें, लेकिन साथ साथ दूसरों के हित के बारे में भी सोचें।

5- हमेशा खुश रहने की आदत डालिए, क्योंकि जिस इच्छा से आप सुख की उम्मीद कर रहे हैं, दुनिया में वो इच्छा कई लोगों की पूरी हो चुकी है, फिर भी लोग दुखी ही हैं।

6- मन शांत कैसे रखें?

1- रात में सोने से पहले 20 मिनट भगवान का नाम जप कर, या भगवद्गीता पढ़ कर सोएं।

2- भोजन करते समय केवल भगवान का या उनके नाम

का चिंतन करें।

3- चिल्लाकर बात न करें।

4- अनावश्यक न बोलें।

5- दूसरों से तुलना न करें।

6- कुछ मिनट तक आध्यात्मिक ग्रंथ पढ़ने की आदत डालें।

7- मन की सलाह न चलें बल्कि उसको शिक्षित करें।

7-इंसान अपने ही मन की उपज है, जैसा वो सोचता है, वैसा बनता जाता है।

8- आप समस्याओं से तभी हारते हैं, जब आपका मन अशांत होता है, जबकि शांत में अनगिनत संभावनाएं हमेशा रहती हैं।

9- कभी दूसरों के ज्यादा भरोसे मत बैठिए, क्योंकि कोई कितना भी आपका प्रिय होगा, हर समय वो चाहकर भी आपको उपलब्ध नहीं हो सकता ।

10- अपने मन की व्यथा को शांत करने के लिए भगवान की कथाएं, भगवान का नाम जप , सेवा व आध्यात्मिक ग्रंथों का स्वाध्याय करिए।

11-जिसको वास्तव में सुख चाहिए, उसको शिकायतें करना बंद कर देना चाहिए, क्योंकि शिकायतें आपके मन को इतना कमजोर बना देती हैं, कि आप अच्छा सोच ही नहीं पाते।

12- लोगों के जीवन में शांति इसलिए नहीं बची, क्योंकि लोग अब केवल पैसा कमा रहे हैं, और शांति के लिए कोई प्रयास नहीं कर रहे।

13- जब कभी आपको ये लगे कि ईश्वर ने आपको कुछ नहीं दिया, तो एक बार ये जरूर सोचिए कि क्या जितना आपके पास है, सभी के पास है, क्योंकि संसार में बहुत सारे लोग ऐसे भी हैं, जिनको भोजन भी बड़े मुश्किल से मिलता है।

14- जिसको जीवन में ये लगता है, कि वो सभी को खुश रख सकता है, वास्तव में वो ये भी भूल जाता है, कि खुद को खुश कैसे रखें।

15-जिसका धन गया , उसका कुछ नहीं गया, जिसका स्वास्थ गया उसका बहुत कुछ गया, लेकिन जिसका चरित्र गया उसका सबकुछ चला गया।

16-अपने शरीर और मन दोनो का पूरा ध्यान रखें, क्योंकि आपके पास शरीर भी एक है, और मन भी एक है, और दोनो को जीवन भर चलाना है।

17-मन ही इंसान का सबसे बड़ा शत्रु और सबसे बड़ा मित्र भी है, जिसने मन को नियंत्रित कर लिया उसके लिए वह मित्र की तरह काम करता है, और जिसने वश में नहीं किया उसके लिए मन शत्रु है।

18- जब जीवन में आप अकेले हों, तो समझ जाइए कि अब जीवन में बहुत बड़ा बदलाव होने वाला है।

19- मुसीबतें आपको डराने के लिए नहीं बल्कि आपको सुदृढ़ बनाने के लिए आती हैं।

20- कुशलता कभी भी धोखे से नहीं मिलती, बल्कि बार बार की असफलता आपको कुशल बना देती है।

21- जीवन में संगति के चुनाव में सावधानी रखिए, क्योंकि आपकी संगति से ही आपका जीवन बनता है।

22-जैसा आपका चिंतन होता है, वैसा ही आपका जीवन होता है, क्योंकि जैसा चिंतन करते है, वैसे ही आपके कर्म हो जाते हैं।

23-मौैन रहना सीखिए, क्योंकि मौन से ही इंसान अपने अंदर देख पाता है, जबकि शब्द आपको बाहरी दुनिया में फंसा कर रखते हैं।

24-अपने जीवन की तुलना दूसरों के जीवन से कभी मत करिए, केवल निराशा ही हांथ लगेगी, क्योंकि इस दुनिया में सभी के कर्म अलग अलग हैं, और सभी में खूबी भी अलग- अलग है, और ये भी हो सकता है, जो आपको बहुत सम्पन्न दिख रहा हो, अंदर से वो बहुत दुखी हो।

25-लोगों के पतन का इस समय सबसे बड़ा कारण ये हैे, कि वो अपना आदर्श पैसे वाले को बना बैठे हैं, औऱ वैसी ही जीवन शैली जीने में लगे हैं, जबकि पैसे वालों से केवल ये सीखना चाहिए, कि पैसे ईमानदारी से कैसे कमाएं न कि आनंदमय जीवन कैसे जिएँ।

26-दुनिया में सबसे ज्यादा भ्रमित आपको वो व्यक्ति करता है, जो हमेशा आपके अनुकूल बाते करता हैं, और आप हमेशा खुद को श्रेष्ठ समझकर खुद के दोषों में सुधार नहीं करते

27-जीवन में आगे बढ़ने के लिए आपको पसंद ना पसंद से ऊपर उठकर केवल वो कार्य करना होगा जो सही है, अन्यथा पसंद नापसंद आपको कभी आगे नहीं बढ़ने देगी।

28- तनाव से बचने के लिए भगवान का नाम, शास्त्र स्वाध्याय और सतसंग ही औषधि है, अन्य कोई मनोरंजन का साधन, और नशा आपको और तनाव ग्रसित कर देगा।

29-जीवन में आर्थिक स्थिति अच्छी हो या न हो, लेकिन मानसिक स्थिति अच्छी रखिए, क्योंकि अगर मानसिक स्थिति अच्छी है, तो आप धन के कमी होने पर भी अच्छा जीवन जी सकते हैं।

30-य़दि आपको लगता है, कि आप वास्तव में बहुत ही अच्छा जीवन जी रहें हैं, तो सबसे पहले खुद से ये पूंछिए कि क्या आप वास्तव में खुश हैं, और अगर नहीं हैं, तो सबसे पहले खुश रहने की कला सीखिए, क्योंकि खुशी ही आपके जीवन को परिभाषित करती है।

31-जितने लोग दूसरों को कॉपी करके अपना जीवन जी रहे हैं, वो केवल अपना जीवन संकट में डाल रहे हैं, क्योंकि ऐसा करके वो सही और गलत का चुनाव करना भूल रहे हैं।

32-जिसको शांति चाहिए उसको अपने जीवन में आई हर स्थिति में संतुष्ट रहना सीखना पड़ेगा, और जिसको रिश्ते चाहिए, उसको दूसरों से उम्मीद छोड़नी पड़ेगी।

33-क्रोध से भ्रम पैदा होता है, भ्रम से बुद्धि खराब होती है, जब बुद्धि व्यग्र होती है तो तर्क नष्ट हो जाता है, जब तर्क नष्ट होता है तब व्यक्ति का पतन शुरू हो जाता है।

34-अगर मन को ज्यादा सोचने की आदत हो गई है, तो आप उस आदत को भगवान की लीला सोचने औऱ नाम सोचने की आदत लगा दीजिए मन शांत रहने लगेगा।

35- जिसको वर्तमान का आनंद लेना है, उसको भूतकाल का शोक और भविष्य की चिंता छोड़नी ही पड़ेगी।

36- ये बातें खुद से नहीं कहनी चाहिए- 1- मेरा समय खराब चल रहा है। 2- मैं बहुत अकेला हू्ं। 3- मैं कभी सफल नहीं हो सकता। 4- मैं किसी लायक नहीं हूं। 5- पता नहीं कल क्या होगा। 6- मेरे साथ ही हमेशा गलत क्यों होता है।

37- ईश्वर का स्मरण एक ऐसा बीमा है, जिसको अपनाने से इ

38- जब आपको हर व्यक्ति में दोष दिखने लगे और खुद में अच्छाइयां दिखने लगे, तो समझिए कि अब जीवन दुखमय हो जाएगा, उसके विपरीत अगर आपको खुद के दोष दिखने लगे तो समझिए कि अब आप जीवन आपका बहुत अच्छा होने वाला है।

39-जब आप भगवान का स्मरण करते हैं, तो दुनिया की बड़ी से बड़ी विपत्ति भी आप पर प्रभाव नहीं डाल पाती , लेकिन जब भगवान का स्मरण नहीं होता उस समय छोटी से छोटी विपत्ति भी आपको पहाड़ जैसी लगती है।

40-धन इंसान को तभी तक सुख देता है, जब तक इंसान उसको केवल संसाधन समझता है, लेकिन जैसे ही उसको जीवन समझा जाने लगता है, तो धन की कमी निराशा पैदा करती है, और अधिकता घमंड पैदा करती है, जो विनाश का कारण बनती है।

41- कौैन क्या कर रहा है, कैसे कर रहा है, इससे आप जितना दूर रहेंगे, उतना ही खुद के लिए अच्छा कर पाएंगे।

42-दूसरों का हक छीन कर तरक्की करने वालों को दूसरों के हिस्से का दुख भी सहने को तैयार रहना चाहिए, क्योंकि प्रकृति हैसियत देखकर नहीं बल्कि कर्म देखकर निर्णय करती है।

43-अगर आपने जीवन में खूब तरक्की की लेकिन फिर भी निराशा और असंतुष्टि भरा जीवन जी रहे हैं, तो वास्तव में आपकी सारी तरक्की व्यर्थ है, बेहतर है, कि जीवन में खुश और संतुष्ट रहने का प्रय़ास करिए।

44-जीवन में खुश रहने की वजह का इंतजार मत करिए, बल्कि खुश रहने की आदत डालिए, क्योंकि खुश रहने की वजह का अस्तित्व अस्थाई है।

45-जीवन में नकारात्मक कल्पनाएं जरूरी नहीं है, कि वास्तविक हों, लेकिन उनका आपके मन पर असर वास्तविकता में होता है।

46-किसी की हैसियत का अंदाजा उसके अच्छे कपड़े और महगी गाडियां देखकर मत लगाइए, क्योंकि इंसान की हैसियत उसके चरित्र, व्यवहार और सद्विचारों से आंकी जाती है।

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