एक गुरू और शिष्य दोनो समुद्र तट पर सुबह सुबह टहल रहे थे, समुंदर के आसपास कचरे का ढेर लगा था, जिसको देखकर शिष्य ने पूछां गुरूजी ये आसपास कचरा क्यों बिखरा है ? जबकि समुंदर तो साफ दिख रहा है तो गुरूजी ने कहा, जब समुद्र में जब लहरे उठती हैं, तो समुंदर में जमा कचरा आसपास बिखर जाता है,और जो कि बहुत हानिकारक है, इससे बड़ी बड़ी बीमारियां हो सकती हैं,तो शिष्य ने कहा कि ये तो गंभीर समस्या है हमारे पर्यावरण तथा, लोगों के लिए भी, गुरूजी ने कहा हां ये तो है, पर इस समुद्र में बहुत सारी नदियां और नाले मिलते हैं जिसकी वजह से समुद्र गंदा हो जाता है, शिष्य ने पूंछा कि इसका स्थायी समाधान क्या हो सकता है, तो गुरूजी ने कहा कि सभी गंदी नदियों का पानी अगर पूरी तरह रोंक दिया जाय , और इसमें केवल पहाड़ी रास्तों से गुजरने वाली नदियों को इससे जोड़ दिया जाये तो धीरे धीरे इस समुंदर में साफ पानी जमा हो जायेगा, और जब लहरे उठेगी तो कचरे की मात्रा न के बराबर रहेगी,जिससे हमारा समुंदर भी साफ रहेगा, और आसपास का वातावरण भी स्वच्छ रहेगा,औऱ जब तक इसमें नदियों औऱ नालो का गंदा पानी समुंदर में मिलता रहेगा , तो इसी तरह बीमारियां बढेंगी, जिसका इलाज भी संभव नहीं होगा,
इस कहानी में जो समुद्र है, वो हमारा मन है, जिसमें अनगिनत समृतियां हैं और उनमें नकारात्मक ज्यादा है , और जब मन में नकारात्मक विचारों की लहर उठती है , तो हम व्याकुल हो जाते हैं, और हम अपना होश खो बैठते हैं, तो अगर हम नकारात्मक विचारों वाली नदियों का रास्ता बंद कर हम अच्छी किताबों और अच्छे लोगों का साथ,उनके विचारों का अनुसरण करने लगें, साथ ही साथ राम या फिर हरे कृष्ण महामंत्र का जाप और मनन करते रहेंगे,तो हमारा मन साफ हो जायेगा, और धीरे धीरे हमारे मन रूपी समुंदर में अच्छे विचारों का संग्रह हो जायेगा, और हम बुरे विचारों के प्रभाव से बचे रहेंगे।
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