आपका आज भले ही बुरा हो, लेकिन हिम्मत मत हारिए कल जरूर अच्छा होगा।
हमें जीवन की सीख पंछियों से लेना चाहिए , जिनके पास कल खाने की व्यवस्था नहीं होती , लेकिन विश्वास होता है, कि कल परिश्रम करेंगे तो जरूर भोजन मिलेगा।
सीखने के लिए कोई उम्र नहीं होती , इसलिए सीखते रहिए जीतना आप सीखेंगे उतनी ही जीतने की संभावना भी बढ़ती जाएगी।
आप भले ही खास मुकाम हांसिल न कर पाएं लेकिन प्रय़ास से पीछे मत हटिए, क्योंकि आपका प्रयास ही आपको कुशल बनाता है, और कुशलता ही सफलता दिलाती है।

आपके पास धन नहीं इसके लिए निराश मत होइए, क्योंकि सफल होने के धन से ज्यादा मजबूत मन की जरूरत होती है।
असफलता निश्चित है,तो भी हार मत मानिए क्योंकि आपकी असफलता का तजुर्बा ही आपको सफल बनाएगा।
अगर वाकई में आप सफल इंसान बनाना चाहते हैं, तो दिखावा करना छोड़े दीजिए, अन्यथा आप खुद को कभी योग्य बना ही नहीं पाएंगे।

असफलताओं से कभी निराश मत हो , क्योंकि असफलता ही वह सीढ़ी है, जो हमें कुशल बनाकर सफलता दिला सकती है।
कोई कुछ भी कहे आप अपने लक्ष्य पर अडिग रहिए, क्योंकि दुनिया सुनना कम देखना ज्यादा पसंद करती है।
सफलता चाहते हैं, तो कभी बहरे, कभी गूंगे बन जाइए, अन्यथा आप कभी आगे नहीं बढ़ पाएंगे।
अपनी ताऱीफ सुनने में अपना समय व्यर्थ मत करिए, क्योंकि तारीफें सुनने से केवल घमंड बढ़ता है, न कि काबिलियत।
सफलता एक दिन में नहीं मिलती, लेकिन अगर प्रयास करते रहे तो एक दिन जरूर मिलेगी।

जब मनचाहा न मिले तो समझो किस्मत नहीं चाहती, लेकिन इरादे वही रखो क्योंकि किस्मत उससे बढ़कर देना चाहती है।
आपका कल कैसा था ये कभी मायने नहीं रखता, मायने केवल ये रखता है, कि आज आप क्या कर रहे हैं।
आपकी एक बार की गलती भूल हो सकती है, लेकिन बार बार की गलती खुद के प्रति अपराध है, इससे बचकर रहें।
अपनी किस्मत को दोष मत कीजिए बल्कि प्रयास करिए, क्योंकि किस्मत भी आपकी ही बनाई हुई है।
मजबूत वही बनता है, जो ठोकरें खाता है इसलिए संघर्ष से पीछे मत हटिए।
व्यवहार सबसे अच्छा रखो , रिश्ते बनाओ लेकिन खुद को इतना मजबूत बनाकर रखो कि किसी भी परिस्थिति को अकेले सम्भाल सको, क्योंकि कौन कितना साथ देगा ये निश्चित नहीं है।
इम्तहान भले ही हमे कठिन लगते हों, लेकिन उसका परिणाम हमेशा अच्छा लगता है।
लोग आपके सपनो पर तभी तक हंसते हैं, जब तक आपको सफलता नहीं मिलती ।
अपने कानों को इतना खुला मत रखिए कि कोई भी आपको हतोत्साहित कर जाए।

खुश रहने की आदत डालिए तभी आप सफल इंसान बनने की योग्यता पाएंगे।
अगर आप प्रयास करते हैं, तो आपको कभी न कभी अवसर मिलेगा ही और आप सफल हो जाएंगे।
अकेले रहना सीखिए क्योंकि भीड़ भले ही आपके साथ खड़ी हो, लेकिन खुद के विचारों और स्थितियों को आपको ही सम्भालना होगा।
जिसको चलने की आदत हो गई हो उसको मंजिलों की परवाह नहीं करनी चाहिए, क्योंकि मंजिल तो मिल ही जानी है।
प्रयास इतनी सिद्दत से करिए कि परिणाम की चिंता ही न करनी पड़े।
असफलताओं को भले ही नकारा जाता हो लेकिन सफलता का असली मुकाम वही हांसिल कर पाता है, जो असफल हो चुका हो।
इस बात का शोक मत मनाइए कि आपको वो नहीं मिला जो आप चाहते हैं, क्योंकि जब जीवन में कुछ विशेष मिलना होता है, तो अक्सर छोटी चीजें नहीं मिलती।
सफलता में खुशी मनाइए लेकिन खुशी के चक्कर में ये मत भूलिए कि अभी केवल एक सफलता मिली है, सफलता की कहानियां बनना बांकी है।
खुद को सफल बनाने के लिए अपनी नजर केवल वर्तमान पर रखिए , क्योंकि वर्तमान ही आपका भविष्य बनाता है।
जो लोग वास्तव में सफलता चाहते हैं, तो उन लोगों को भी आगे बढ़ाने का प्रयास करिए जो आपसे पीछे हैं।
इंसान को असफलता और सफलता दोनो को एक ही समझना चाहिए क्योंकि असफलता से हमारी असीमित सफलता के द्वार खुलते हैं।
जीवन में हारने जैसा कुछ नहीं होता, क्योंकि अगर हम कभी असफल होते हैं, तो हमारा नुकसान कुछ नहीं होता, बल्कि उसका अनुभव मिल जाता है।
अपनी सफलता की तारीफ कभी मत सुनिए क्योंकि ऐसा करके आपका अह्म बढ़ जाएगा जो आपको कभी आगे नहीं बढ़ने देगा।
अपने कमियाों को दूसरों को कभी मत बताइए क्योंकि इंसान अच्छाइयाों से ज्यादा कमियों को याद रखता है।
अगर आप किसी को धार्मिक व्यक्ति मानते हैं, जो सबसे पहले देखिए कि क्या वो दयावान है, अगर नहीं है तो वह किसी भी प्रकार का धार्मिक व्यक्ति नहीं है।
जीवन से शिकायतें करना बंद कर दीजिए क्योंकि शिकायतें करने से केवल दुख बढ़ता है, जीवन नहीं बदलता।
खुद को दूसरों के लिए साबित करने की कोशिश कभी मत करिए, क्योंकि लोग अपनी जरूरत अनुसार विश्वास करते हैं।
इंसान के पापकर्म मन की इच्छा के कारण ही होते हैं, अगर वो इच्छाओं को महत्व नहीं देगा तो पाप नहीं होगा।
अपने मन को कुछ भी सोचने की स्वतंत्रता मत दीजिए, क्योंकि स्वच्छंद मन मतवाले हांथी की तरह होता है, जो केवल आपको नुकसान ही पहुंचाएगा।
निंदा करने में अपने समय व्यर्थ मत करिए क्योंकि निंदा करने से मन इतना गंदा हो जाता है कि उसमें अच्छे विचार आना बंद हो जाते हैं।
हर वो व्यक्ति अच्छा है जो दूसरों का बुरा नहीं चाहता चाहे वो गरीब हो या अमीर
जीवन में सफलता के लिए दूसरों का हक मत छीनिए क्योंकि अगर ऐसा करके आप सफल भी हो गए तो भी आपका मन आपको परेशान करता रहेगा।
जब भी आपका मन अनियंत्रित हो उस समय़ सांसों को थोड़ी देर रोक कर साथ में भगवान का स्मरण करना शुरू करिए आपका मन नियंत्रण मेें आ जाएगा।
कोशिशें खुद की गलतियां देखनी की करिए, दूसरों की देखेंगे तो कभी परिवर्तन नहीं होगा।
भगवान कृष्ण गीता में कहते हैं, हे अर्जुन जो अनन्य भाव से निरंतर मेरा स्मरण करता है उसके लिए मैं सुलभ हूं , क्योंकि वह मेरी भक्ति में प्रवृत्त रहता है।
जीवन के हर पल का सदुपयोग करना सीखिए क्योंकि बीते गए समय को हम पैसे देकर भी खरीद नहीं सकते।
ईश्वर भाव से प्रसन्न होते हैं, वस्तुएं तो केवल समर्पण का संस्कार बनाने के लिए है।
जीवन में खूब सफलता प्राप्त करिए लेकिन इस बात का ध्यान रखिए कि आप अपनी प्रसन्नता न खो दें।
संसार का स्मरण ही दुख है, और भगवान का स्मरण ही सच्चा सुख है, अब लोग संसार में सच्चा सुख ढ़ूढ़ेंगे तो कैसे मिलेगा।
अगर आपको वास्तविक सफलता चाहिए तो सबसे पहले आपको खुद पर ध्यान देना होगा।
सफलता तो हर कोई चाहता है, लेकिन त्याग करने के लिए बिरले लोग ही तैयार होते हैं।
लोग खुद को सफल दूसरों के कहने से मानते है, जबकि सफलता खुद के पैमाने से मापने पर पता चलती है।
दुनिया में हर कोई खुशी की तलाश करता है, लेकिन खुश नहीं रह पाता क्योंकि उसको जो मिला उसमें संतुष्ट होने के बजाय जो नहीं है, उसके अफसोस में दुखी रहता है।
निर्णय हमेशा अपनी परिस्थिति अनुसार लें, न कि दूसरों की राय अनुसार, क्योंकि परिस्थितियों का सामना आपको ही करना पड़ेगा।
जीवन में जब आशावादी होते हैं, तो आपके अनगिनत संभावनाएं दिखती है, लेकिन जैसे ही आप निराश होते हैं, तो जो आपके हांथ में है वो भी नहीं कर पाते।
अपने मन को इतने काबू में रखिए कि दूसरों की बातों से आपका मन दुखी न हो, क्योंकि दुनिया हमेशा आपके हित की बात नहीं करेगी।
जब जीवन में लगे कि अब कुछ नहीं होने वाला तो एक बार ये जरूर सोचिए कि जब आप नहीं थे तब भी दुनिया थी तो समझ में आ जाएगा कि संसार की गतिविधियां हमेशा चलती रहेंगी।
आप असफल तभी तक माने जाते हैं, जब तक आप प्रय़ास नहीं करते ,प्रय़ास करते ही आपकी पहचान बदल जाती है।
दुनिया में सफल वही लोगे होते हैं,जो अक्सर खुद को जीतने में लगे होते हैं।
कभी ये मत सोचो कि समय निकल गया,अगर आपको लगता है, कि आप कर सकते हैं, तो यही सही समय है।
आपको दुनिया में कोई नहीं हरा सकता, सिवाय आपके विचार के।
आपकी कीमत तभी होगी , जब आप दूसरों के लिए उपयोगी होंगे, इसलिए अपनी उपयोगिता बनाए रखिए।
इंसान के पास विपरीत परिस्थितियों में भी खुश रहने के विकल्प मौजूद रहते हैं,लेकिन वो अपने नकारात्मक नजरिए की वजह से उनको नजर अंदाज करता रहता है।
जिस इंसान की नियत खराब होती है,उसका वक्त हमेशा खराब रहता है।
दूसरों की निंदा करना,दूसरों की बुराइयों को मनन करना है,जिससे आपका मन भी मैला हो जाता है।
सच्चे लोग पारस की तरह होते हैं,जैसे पारस को छूने पर लोहा सोना बन जाता है,उसी तरह सच्चे लोगों की संगति से बुरे व्यक्ति का भी जीवन बदल जाता है।
ईश्वर हमेशा सरल व्यक्ति को मिलते हैं,क्योंकि कपटी व्यक्ति तो भगवान से भी सौदा करने को तैयार रहते हैं।
जो फल इंसान को अन्य युगो में कठिन तप करके मिलते थे,वो कलियुग में केवल भगवान (राम) नाम स्मरण से ही मिल जाते हैं।
अगर आपका मन अशांत है,या अवसाद है,तो राम नाम का स्मरण,जाप करना शुरू करिए,आपका मन आनंदित हो जाएगा।
जिस तरह किसी भी विषय को जानने के लिए उस विषय की भाषा का ज्ञान जरूरी है,उसी तरह परमात्मा को जानने के लिए भी शास्त्रो का ज्ञान,तप,ध्यान,ईश्वर के प्रति आपका प्रेम होना चाहिए,अन्यथा वो हमारी पहुंच से बाहर ही रहेगा।
अगर आपकी इज्जत पैसे से है,तो वो इज्जत पैसे के साथ चली भी जाएगी,बेहतर है,आप अपने चरित्र और व्यवहार से इज्जत कमाइए,जो आपकी असली दौलत है।
श्रेष्ठ व्यक्ति के साथ किया गय छल इंसान की बर्बादी के सारे रास्ते खोल देता है।
इंसान अपने दुख से कम ही दुखी है,उसका वास्तविक दुख ये हैं,कि वो दूसरों के जैसा नहीं बन पाया।
जो परमात्मा को अपना मानता है,वो दुख को भी भगवान की कृपा समझता है,और आनंदित रहता है।
दुनिया वालों से पूर्णता की उम्मीद मत करिए,दुख ही मिलेगा,क्योंकि पूर्ण केवल ईश्वर है।
आप कितने ही योग्य क्यों न हों,सभी को खुश नहीं रह सकते,बेहतर है,आप दूसरों के खुश रखने की जगह श्रेष्ठ कर्म करिए।
सच की भूख सबको है,पर जब परोसा जाता है,तो कई लोगों को हजम नहीं होता।
दुख और सुख दोनो मन का भ्रम है,बेहतर है, आप भक्ति करिए, जिसमें परमानंद है।
संसार को भोग की दृष्टि से देखने वाले लोग हमेशा दुखी रहते हैं,क्योंकि भोग करने के चक्कर में इंसान सत्य को नकारने लगता है।
आपका सबसे बड़ा शत्रु केवल आपका मन है,जिसमें अनंत वासनाएं,क्रोध,लोभ,मोह भरा रहता है,और आप इसी के चक्कर में जीवन बर्बाद कर देते हैं।
किसी के साथ गलत करके ये मत समझो कि तुम्हे कोई नहीं देख रहा है,क्योंकि तुम बाहर वाले को धोखा दे सकते हो,लेकिन तुम्हारे कर्मों का हिसाब तो तुम्हारे अंदर बैठा ईश्वर कर रहा है।
किसी के साथ गलत करके ये मत समझो कि तुम्हे कोई नहीं देख रहा है,क्योंकि तुम बाहर वाले को धोखा दे सकते हो,लेकिन तुम्हारे कर्मों का हिसाब तो तुम्हारे अंदर बैठा ईश्वर कर रहा है।
अगर तुम दुख की कल्पना करके दुखी हो सकते हो,तो भगवान का चिंतन करना शुरू कर दो,हमेशा आनंदित रहोगे।
इंसान बिना कुछ लिए संसार में आता है,लेकिन हमेशा तेरा -मेरा के चक्कर में पड़ा रहता है,और अंत में फिर खाली हाथ चला जाता है।
किसी का साथ देना हो जीते जी दो,मरने के बाद तो दुश्मन भी श्मशान तक साथ जाता है।
अपना समय ये सोच करके बर्बाद मत करो,कि कल क्या होगा,बल्कि अपने आज का सदुपयोग करो,कल का क्या पता क्या होगा।
किसी की मदद ये सोच कर मत करो कि वो भी आपकी मदद करेगा,क्योंकि हर वृक्ष में एक तरह के फल नहीं लगते।
किसी को गरीब देखकर उसका मजाक मत उड़ाना, क्योंकि वक्त राजा को रंक और रंक को राजा में बदलने की ताकत रखता है।
जब किसी को धोखा देना हो तो उसको धोखा मत देना,बल्कि उसको सच बता देना,क्योंकि धोखा खाया हुआ इंसान किसी पर विश्वास नहीं कर पाएगा।
आपका मन भगवान को मानने के लिए मिला है,इसलिए मन से भगवान को मानिए,और दिमाग संसार को जानने के लिए है,उससे संसार की वास्तविकता जानिए,इस तरह आप भगवान से मिल जाएंगे,औऱ संसार को भी जान पाएंगे।
आपको गुस्सा तभी आता है,जब आप बाहर की परिस्थिति को नियंत्रित करना चाहते हैं,लेकिन वो आपको नियंत्रण में नहीं होती।
इंसान को रोना दो कारणों से आता है,या तो वो अपने इरादे में कामयाब नही हुआ,या फिर उसके विरोध में कुछ हो गया।
इंसान राक्षस तभी बनता है,जब वह ये भूल जाता है,कि इस संसार का मालिक ईश्वर है,और जो पल में प्रलय कर सकता है।
अपनी इच्छाओं के लिए दुखी होना बंद कर दीजिए,क्योंकि कर्म करना आपके हांथ में है,लेकिन उसका फल ईश्वर के हाथ में होता है,वो उचित समय आने पर ही मिलेगा।
जिस दिन आपके मन में हर जीव के प्रति दया का भाव आ जाएगा,उस दिन से आपको खुशियों के लिए भटकना नहीं पडे़गा।
अगर आप अपनी योग्यता का उपयोग दूसरों को नीचा दिखाने के लिए करते हैं,इसका मतलब आप अयोग्य ही है।
अगर आपको कभी भगवान के होने या होने पर अविश्वास हो तो,तो आप कुछ महीने कम से कम 1-2 घंटे भगवान का नाम लेकर देखिए,आपका जीवन बदल जाएगा।
बड़ा आदमी पैसे से बड़ा नहीं होता,वास्वव में बड़ा व्यक्ति वह है,जिसमें जिसका मन उसके वश में है।
अज्ञानी व्यक्ति समस्याओं से ही दुखी रहता है,ज्ञानी व्यक्ति समस्याओं में संभावनाएं तलाशता है।
सफलता कभी एक दिन में नहीं मिलती,लेकिन अगर प्रयास किया जाए,तो एक दिन जरूर मिलती है।
दूसरों से अपनी खुशी चाहने वाले वैसे ही हैं,जैसे महल में रहने वाला भीख मांगने की इच्छा रखता हो।
अगर आपका पसंद नापसंद दुनिया वालों के अनुसार बदलती रहती है,इसका मतलब आप गुलामी की जिंदगी जी रहे हैं।
ईश्वर की शरणागति आपको सारी बाधाओं से मुक्त कर,आनंद प्रदान करती है।
जो मिल गया उसमें संतुष्ट रहना सीखिए,क्योंकि जो मिला है,वो भी जाने वाला है।
खुद को दूसरों के लिए कभी साबित मत करो,क्योंकि लोगों की पसंद रोज बदलती है।
किसी को अपनी पसंद-नापसंद मत बनाओ,क्योंकि दोनो ही आपको लिए घातक है।
जिससे जीवन भर का रिश्ता हो,उसकी कड़वी बातों को नजरअंदाज करना सीखो।
दूसरों के प्रभाव में आकर निर्णय मत लो,क्योंकि हर इंसान की परिस्थिति अलग अलग होती है।
माफी मांगने से आप कमजोर नहीं होते,बल्कि खुद के दिमाग को किसी के प्रति नकारात्मक विचार से मुक्त करते हो।
किसी भी समस्या के प्रति खुद को मजबूर मत समझो,क्योंकि समस्याओं का अस्तित्व थोड़े समय के लिए होता है।
लोगों की बातों पर ज्यादा ध्यान मत दो,क्योंकि जब तुम कुछ नहीं करोगे तो कहेंगे निकम्मा है,जब कुछ करोगे तो कहेंगे,तुम ये क्यों कर रहे हो,और जब सुनना बंद कर दोगे तो कहेंगे कि किसी की नहीं सुनता।
तुम समस्याओं से बच ही नहीं सकते ,बेहतर यही है,कि तुम अपना साहस पहाड़ जैसा कर लो।
आप भले ही कितने अच्छे हों,लेकिन आपकी एक गलती आपकी सारी अच्छाइयों पर भारी पड़ सकती है।
आप दुनिया में किसी को नहीं समझ सकते, जब तक आप खुद को नहीं समझ लेते ।
आप दुनिया में किसी को नहीं समझ सकते, जब तक आप खुद को नहीं समझ लेते ।
आप दुनिया में किसी को नहीं समझ सकते, जब तक आप खुद को नहीं समझ लेते ।
किसी भी बात को सत्य मानकर तब तक न बैठें,जब आपका अनुभव पूरा न हुआ हो,क्योंकि मानी गई बातें गलत भी हो सकती है।
किसी भी बात को सत्य मानकर तब तक न बैठें,जब आपका अनुभव पूरा न हुआ हो,क्योंकि मानी गई बातें गलत भी हो सकती है।
जिस किसी भी इंंसान में दया नहीं है,वह केवल दिखने में इंसान है।
रोने से पहले हंसना सीखिए,क्योंकि रोना तो स्वाभाविक हो जाएगा,जबकि हंसने के लिए आदत बनानी पड़ेगी।
मरने से मत डरो,बल्कि जीते जी ऐसा कुछ करो,कि तुम्हारी उपस्थिति हमेशा बनी रहे।
बोलने से पहले सुनना सीखिए,और खर्च करने से पहले कमाना।
किसी भी बात को मानने से पहले,अनुभव करो,तभी सत्य का पता लगेगा।
ईश्वर है या नहीं ये तर्क का विषय नहीं है,बल्कि तर्क का विषय यह है,कि आपने ईश्वरीय मार्ग का अनुसरण कितना किया है।
दूसरों को समझने का प्रयास निरर्थक है,क्योंकि आप किसी के व्यवहार को देख सकते हैं,भावनाओं को नहीं ।
दिखावट केवल आपको भ्रमित करने के लिए है,सत्य हमेशा सादगी भरा होता है।
किसी का विरोध करने के लिए आपको किसी प्रयास की जरूरत नहीं पड़ती,जबकि सृजन करने के लिए असीमित त्याग करना पड़ता है।
हमेशा आज में जिओ,क्योंकि बीता हुआ कल वापिस नहीं आता,और भविष्य अनिश्चित है।
अपनी खुशी दूसरों से चाहने का मतलब है,खुद को दूसरे का गुलाम बनाना।
अपनी खुशी दूसरों से चाहने का मतलब है,खुद को दूसरे का गुलाम बनाना ।
दुनिया में खुश वह नहीं है,जिसके पास सम्पत्ति ज्यादा है,बल्कि खुश तो वह है,जिसकी इच्छाएं सीमित हैं।
नशा चाहे दौलत का हो या शराब का,जीवन को नर्क बनाने के लिए काफी है।
नशा चाहे दौलत का हो या शराब का,जीवन को नर्क बनाने के लिए काफी है।
बच्चों को अश्लील फिल्मों और गानो की आदत लगाकर महापुरुष बनाने की कल्पना करना मूर्खतापूर्ण है।
बच्चों को ताजा और गुणवत्तापूर्ण भोजन की जगह पिज्जा बर्गर खिलाना बीमारी का निमंत्रण है,न कि आधुनिकता।
छोटे बच्चों को मोबाइल गेम का आदी बनाने का मतलब है,कि बच्चों को मानसिक बीमार बनाना।
जब तक इंसान का चरित्र अच्छा नहीं होगा,उसका अच्छा इंसान बनना असंभव है।
इंसान की आधुनिकता उसके कपड़ों से नहीं बल्कि उसके व्यवहार और ज्ञान से होती है।
अधिकतर लोगों की असफलता का कारण ये हैं,कि उनका सलाहकार उनकी पसंद का है,न कि सत्य बताने वाला।
सबसे ज्यादा गुमराह वो लोग हैं,जो पैसो वालों से जीवन जीने की प्रेरणा लेते हैं।
नशा करना भले ही इंसान को धनवान दिखाने में सहायता करे,लेकिन नशा करने वाले की दो तीन पीढ़ियां बर्बाद हो जाती हैं।
मानसिक बीमारी का इलाज भगवान का नाम ,उनकी कथाएं , आध्यात्मिक ज्ञान और ध्यान ही है।
इंसान का मानसिक दुख उसी के संग्रह किए गए गलत विचारों का हैं,लेकिन अज्ञानतावश वह दूसरों को दोष देता रहता है।
अगर इंसान के कार्यकलाप अच्छे नहीं है,तो उसका जीवन दुख भरा ही रहेगा।
सफल लोगों की 10 आदतें-
1- जीवन से शिकायत नहीं करते
2- समस्या से ज्यादा समाधान पर विचार करते हैं।
3- बीते हुए कल से सीख लेते हैं, उसका शोक नहीं मनाते
4- छोटी-छोटी बातों को लेकर नहीं बैठते
5- खुद में खुश रहते हैं
6-दूसरों से उम्मीद कम रखते हैं।
7- समय व्यर्थ नहीं करते
8- निंदा पसंद नहीं करते
9- अनाश्यक बोलना पसंद नहीं करते
10- असफलता के लिए दूसरों को दोष नहीं देते ।
हमेशा खुश कैसे रहें?
1- सूर्योदय से एक घंटे पहले सोकर उठें
2- सुबह उठकर वज्रासन में बैठकर एक लीटर पानी पिएं
3- सुबह टहलने की आदत डालें
4- सूर्य नमस्कार व प्राणायाम करें
5- सोकर उठने के बाद 20 मिनट भगवान के नाम का जप करें व रात्रि में सोने से पहले जप करें
6- सोने से पहले अपनी गलतियों के भगवान से क्षमा मांग ले और दूसरों को भी माफ कर दें
7- संतुष्ट रहिए क्योंकि जो मिला आपके कर्मों का फल है
8- दूसरों से आशा न रखें
9- नकारात्मक दृष्टिकोण वाले लोगों से दूर रहें
10- अपने मन को विचारों से प्रभावित होना छोड़ दीजिए
11- दूसरों से तुलना न करें
12- अपना काम समय पर करें
13- कल की चिंता करना छोड़ दीजिए क्योंकि कल अनिश्चित है।
ईर्ष्या से कैसे बचें?
1- दूसरों से तुलना न करे
2- दूसरों की सम्पत्ति व श्रेष्ठता का चिंतन न करें
3- अपनी क्षमता व सफलता से संतुष्ट रहें
4- दूसरों की सफलता से केवल प्रेरणा लें
5- दिखावे का जीवन न जिएं
6- खुद को श्रेष्ठ न समझें क्योंकि समय बदलता रहता है
7- इस बात का ध्यान रखें कि आपके पास जो है, आपके कर्मों का फल है और जो दूसरों के पास है वो उनके कर्मों का फल है, इसीलिए ईर्ष्या करना व्यर्थ है।
जीवन की गूढ़ बातें!
1- मृत्यु ही सत्य है
2- लालच ही नर्क का रास्ता है
3- दूसरों से आशा ही दूख का मूल है
4- असंतोष से ही अशांति मिलती है
5- भौतिक अस्तित्व अस्थाई है
6- धन औऱ अपेक्षाएं ही रिश्ते टूटने का कारण है
7- चिंतन ही मोह का कारण है
8- इन्द्रियां ही मन को अनियंत्रित करने के लिए जिम्मेदार हैं।
समय का सदुपयोग कैसे करें?
1-हर कार्य का समय निर्धारित करिए।
2-सुबह ध्यान व नाम जप अवश्य करें,ताकि आप मानसिक रूप से मजबूत रहें।
3-सोशल मीडिया,गेमिंग में समय न व्यतीत करें।
4-अपने कार्य की प्राथमिकता निर्धाऱित करें।
5-अनावश्यक चर्चा न करें।
6-अनावश्यक कार्य में भाग न लें।
7-कल के कार्य की तैयारी आज कर लें।
8- सुबह जल्दी उठें ताकि आप खुद को पूरा समय दे सकें
9- हर कार्य को अपने हांथ में न लें अन्यथा आप आवश्यक कार्य नहीं कर पाएंगे।
10- निंदा करने व सुनने से बचें अन्यता आपके दिमाग अस्थिर रहेगा
11- दूसरों का चिंतन न करें अन्यथा आपके पास खुद के लिए समय नहीं बचेगा।
सोशल मीडिया आने से एक फायदा हुआ कि हर कोई कुछ न कुछ बोलने लगा लेकिन कब, कितना बोलना है ये सिखाने में असफल रहा इसीलिए सोशल मीडिया में विमर्श से ज्यादा विवाद होता है।
दूसरों से कैसा व्यवहार रखें?
1- कम बोलें
2- ज्यादा सुनें
3- वैसा व्यवहार रखें जैसा दूसरों से चाहते हैं
4- अपेक्षा न रखें
5- सहयोग की भावना रखें
6- दुख पहुचाने की भावना न रखें
7- अनावश्यक न बोंले
8-बातों से ज्यादा भावनाओं सो समझने की कोशिश करिए
9-प्रसन्न रहें ताकि दूसरों को प्रेरित किया जा सके
अकेले कैसे खुश रहें?
1- दूसरों से आशा न रखें
2-आत्मनिर्भर बनें
3-प्राणायाम करें
4- विचारों को कंट्रोल करना सीखिए
5- अपने कार्य का समय निर्धारित करिए
6- काम कल पर मत छोड़िए
7- ईश्वर स्मरण का सहारा लाजिए
8- घबराना छोड़ दीजिए क्योंकि होगा वही जो होना होगा
9- निश्चिंत रहने की आदत डालिए
10- परोपकार करिए इससे आप खुश रहेंगे
कर्मों का फल न मिलने पर भी धैर्य रखें क्योंकि कर्मो का फल स्वेच्छा अनुसार नहीं बल्कि योग्यता अनुसार मिलता है।
शास्त्र स्वाध्याय करने से क्या होता है?
1- खुद की गलतियां पता लगती है।
2-जीवन जीने का ढंग पता चलता है।
3- मन मजबूत होता है।
4- ज्ञान बढ़ता है।
5- मन साफ होता है
6- गलत आदतें छूटती हैं।
7- कर्तव्य पालन की प्रेरणा मिलती है
8-तनाव से मुक्ति मिलती है