एक बार एक आदमी अपने मानसिक तनाव से परेशान होकर संत से गया, उसने सुना था कि संत के पास जाने से शांति मिलती है, इसलिए वो संत के पास पहुंच गया। संत को प्रणाम किया और संत से कहा कि मैं बहुत परेशान हूं, मुझे हमेशा भय रहता है, तनाव रहता है, जिसकी वजह से शरीर और दिमाग भी सही से काम नहीं करता है, कृपया करके कुछ उपाय बताइए जिससे कि मैं इससे छुटकारा पा सकूं। इस पर संत ने पूंछा कि इसका कारण क्या है, तो उसने बताया कि कभी मैं किसी के बारें कुछ सोचता हूं तो तनाव होता है, कभी भविष्य का सोचता हूं तो तनाव होने लगता है, तो संत ने कहा कि मतलब ये सब सोचने से होता है? युवक ने कहा कि हां, तो संत न कहा कि फिर सोचना छोड़ दो तो तनाव नहीं होगा तो युवक ने कहा कि कोशिश करता हूं पर सोचना छूट नहीं रहा, इस पर संत ने उसके हांथ में एक बड़ा सा पत्थर रख दिया और पूंछा कि कैसे लग रहा है, तो युवक न कहा बहुत भारी इस पर संत ने कहा कि अगर मान लो कि मैं तुम्हे दूसरा पत्थर दूं तो इस हांथ पर कैसे रखोगे तो युवक ने कहा कि उसके लिए तो पहले वाला पत्थर छोड़ना पड़ेगा , तो संत ने कहा कि ऐसा ही तुम अपनी सोच के साथ करो तो युवक ने कहा मैं समझा नहीं तो संत ने कहा कि अगर तुम्हारे मन में बहुत सारे विचार परेशान करते हैं, जिसकी वजह से तनाव होता है, तो तुम अपनी संगत ऐसे लोगों से करो जो अच्छे विचार रखते हैं, ऐसी किताबें पढ़े जो ज्ञान देती हैं, जैसे भगवद्गीता, रामायण इत्यादि, उसके अलावा कथाएं सुनने व भगवान का नाम जप व कीर्तन करने की आदत डालो जिससे तुम्हारे मन में गंदे और नकारात्मक विचारों की जगह दिव्य विचार जगह ले लेंगे और तुम्हारा जीवन अच्छा हो जाएगा।
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