भक्त कितने प्रकार के होते हैं?
श्रीकृष्ण भगवान गीता में कहते हैं, चतुर्विधा भजन्ते मां जना: सुकृतिनोअर्जुन। आर्तो जिज्ञासुरथार्थी ज्ञानी च भरतर्षभ।। हे भरतश्रेष्ठ चार प्रकार के पुन्यात्मा मेरी सेवा करते हैं- आर्त, जिज्ञासु, अर्थार्थी तथा […]
श्रीकृष्ण भगवान गीता में कहते हैं, चतुर्विधा भजन्ते मां जना: सुकृतिनोअर्जुन। आर्तो जिज्ञासुरथार्थी ज्ञानी च भरतर्षभ।। हे भरतश्रेष्ठ चार प्रकार के पुन्यात्मा मेरी सेवा करते हैं- आर्त, जिज्ञासु, अर्थार्थी तथा […]