संसार में जन्म लेने का कारण क्या है? वृंदावन के प्रसिद्ध संत प्रेमानंद जी से एक जिज्ञासु ने प्रश्न किया कि लोग कहते है, कि वर्तमान जीवन में जो सुख दुख आता है, वो पूर्व कर्मों के हिसाब से आता है और जो पूर्व का सुख दुख है, वो पूर्व कर्मों के अनुसार आता है, तो सृष्टि में जब जन्म हुआ होगा वो किस आधार पर हुआ होगा, इस प्रश्न का उत्तर देते हुए कहते हैं, कि इच्छा , स्वतंत्र इच्छा, इच्छा को त्याग दो अभी खत्म, इच्छा ही तुम्हे सुख दुख में लाने की वृत्ति है, अगर इच्छा का त्याग हो जाए तो अभी जीवन मुक्त हो जाओ, वेद कहता है, एकोऽहं बहुस्याम , मैं एक बहुत रूपो में हो जाऊं, इस इच्छा ने प्रकाशित कर दिया है, हम सब 100- 200 नहीं है, ये घड़े हैं, दो सौ इनमें केवल एक प्रकाश है,जैसे एक करोड़ घड़े रख दिए जब सूर्य की रोशनो पड़ी तो सभी घड़ो पर पड़ी , लेकिन सूर्य बहुत नहीं हो गए, सूर्य तो एक ही है, एक करोड़ घड़े में प्रतिबिम्ब पड़ रहा है, ऐसे ही हम तुम सबमें एक ही बिजली चल रही है, उसे तुम श्याम कहो, राम कहो, ब्रह्म कहो, परमेश्वर कहो, अकाल कहो, उसके अनंत नाम है, न तुम हो न हम हैं, इसीलिए उस प़ॉवर को जान लो अभी इच्छा खत्म हो जाए, अब तुम्हारी अलग इच्छा, हमारी अलग इच्छा इन्ही इच्छाओं से हम बंध गए। इसका मतलब संसार में जन्म लेने का कारण केवल इच्छा है, इच्छा खत्म हो जाए तो जन्म ही न हो।
बाबा प्रेमानंद जी से मिलने कई भक्त वृंदावन आते हैं, और प्रश्नों का समाधान प्रेमानंद जी से प्राप्त करते हैं, प्रेमानंद जी एक ऐसे संत हैं, जो हर व्यक्ति के प्रश्नो का हल सरल भाषा में बताते हैं, जो हर किसी को पसंद आता है, ऐसा नहीं है कि प्रेमानंद जी से मिलने केवल उनके भक्त ही आते हैं, उनसे मिलने राजनीतिक जगत से जुड़े, सिनेमा जगत से जुड़े लोग भी उनसे मिलने दर्शन करते हैं, क्रिकेटर विराट कोहली, अनुष्का शर्मा, आर एस एस प्रमुख भोहन भागवत जैसे लोग भी आते रहते हैं।
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