नकारात्मक विचारों से कैसे बचें
नकारात्मक विचारों से कैसे बचें

नकारात्मक विचारों से कैसे बचें | सकारात्मक सोच के आसान उपाय

नकारात्मक विचारों से बचने के लिए सबसे पहले हमें समझना होगा कि नकारात्मक विचार आते कहां से हैं?

या कौन से विचार नकारात्मक बन जाते हैं।उसके बहुत सारे माध्यम है-

सोशल मीडिय और अन्य वीडियो प्लेटफार्मस जहां पर भ्रामक, अश्लील,गाली अभद्र पोस्ट की जाती हैं, उसके अलावा अगर सोशल मीडिया का आप बहुत ज्यादा उपयोग करते हैं, तो आपके विचारों में नकारात्मकता आ जाएगी।

गेमिंग जिसमें हिंसा होती है।इसके अलावा लगातार इसका प्रयोग भी दिमाग को गुलाम बना देता है, जिससे  नकारात्मकता आ जाती है।

टेलीवीजन फिल्में जिनमें अश्लीलता और अहिंसा दिखाई जाती है।

विज्ञापन जो आपके दिमाग में जगह बना लेते हैं, फिर आपको वही प्रोडक्ट खरीदने की इच्छा होती है,जो दिखाया जाता है,इससे भी विचार नकारात्मक हो जाते हैँ।

निंदा सुनना।

बेवजह बहंस सुनना और करना।

हिंसा देखना सुनना और करना ।

खुद को कमजोर समझना ।

काम समय पर न करना।

ईमानदार न रहना।

समस्याओं के लिए समाधान ढूढ़ने की वजह समस्या पर ही सोचना ।

नकारात्मक विचार को कैसे दूर करें।

1-सूर्योदय से पहले उठें

2-45 मिनट टहलें।

8 बजे के पहले नहां लें।

समय पर हर कार्य करें।

बेवजह किसी से बहंस न करें, केवल समाधान पर बात करें।

योग करें, औऱ हरे कृष्ण महामंत्र का जाप करें।

सुबह उठने के बाद और सोने से 1 घंटे पहले हरिनाम का भजन सुनें।

दूसरों की कमियों को दिमाग में न रखें।

आध्यात्मिक ग्रंथ जैसे भगवद गीता, रामायण,श्रीमद्भागवत सुनें ,पढ़ें जिससे जीवन जीने की कला सीखी जा सके।

सोशल मीडिया जरूरत के अनुसार यूज करें।

गेमिंग से दूर रहें।

पॉजिटिव विचार कैसे लाएं?

हमारे जीवन में विचारों का बहुत महत्व है,जैसा विचार हमारे पास होता है,हम वैसी ही भावना रखते  हैं, और उसी तरह हम  कर्म करते हैं।जो आदमी खुश रहता है,उसके पास खुशी वाले विचार हैं,जो दुखी रहता है,उसने दुख वाले विचार को पकड़ रखा हैं,जो परोपकारी है,उसके पास परोपकार करने के विचार हैं,जो अपराधी है,उसके पास अपराध वाले विचार हैं।

जीवन में बहुत सारे लोग कभी कभी अच्छा सोचते हैं,लेकिन कहते हैं,विचार नहीं बन पा रहे हैं,कि मैं ऐसा करूं,अधिकतर इंसान के साथ ऐसा होता है,कि किसी गलत आचरण के लिए उसके विचार जल्दी बनते हैं,लेकिन सही आचरण के लिए विचार नहीं बन पाते ,क्योंकि सही आचरण के लिए विचार बनाने पड़ते हैं,मेहनत करनी पड़ती है,जैसे खेत में हम कोई फसल बोते हैं,जो उसके लिए जुताई करनी पड़ता है,बीज बोने पड़ते हैं,तब जाकर कहीं फसल बनती है,लेकिन फसल के साथ घास अपने आप ही उग आती है,उसी तरह अच्छे विचार भी हैं।विचार शुद्ध करने के लिए  मैं आपको 8 तरीके बता रहा हूं ,जिनको जीवन में अपनाकर आप विचार शुद्ध कर पाएंगे।

1-महान पुरुषों की जीवनी पढ़नी जाइए,जिन्होने देश और समाज के लिए कार्य किया।

2-जो अच्छे विचार वाले लोग हैं,उनकी संगति करिए।

3-संतो से ज्ञान लीजिए।

4-भगवान का स्मरण ,चिंतन करिए।

6-आध्यात्मिक ग्रंथों ,रामायण,भगवत गीता,उपनिषदों को पढ़िए।

8-रामकथा,कृष्णकथा सुनिए।

9-निंदा न करें,न सुनें।

10-टेलीविजन में दिखाए जाने वाले हिंसक व अभद्र प्रोग्राम्स न देखें।

11- सात्विक भोजन करें।

इन सब बातों को अगर आप जीवन में अपनाते हैं,तो आप पांएगे,धीरे धीरे आपके विचार शुद्ध होने लगेंगें।

विचारों की समस्या से कैसे निपटें?

विचार का मतलब है, आपके पास कुछ जानकारियां है, जो आपने सुन रखी है, या पढ रखी है,किसी माध्मय से और आपने उससे संबंधित कुछ धारणाएं बना ली हैं, लेकिन आप उन विचारों को महत्व देंगे या नहीं ये आप पर निर्भर करता है,लेकिन अगर आप उन विचारों को महत्व देंगे,तो वो आप पर प्रभाव डालेंगे। क्योंकि आप अपनी  पहचान  भी उससे जोड़ लेंगे, और अगर वो विचार किसी विरोध के हैं, तो आपके शरीर औऱ दिमाग में भी वो प्रभाव डालेंगे, और वही आपके दुख का कारण भी बन सकते हैं।

उदाहरण के तौर पर आपने किसी दोस्त या रिश्तेदार के बारे में विचार किया, जब जब आप विचार करेंगे,तो उस समय उससे संबंधित सारे विचार आपके दिमाग में आने लगेंगे,और जैसा आपने उसके लिए अपना नजरिया बना रखा है, अब उसका प्रतिबिम्ब आपके विचारों में आ जाएगा,अब इसका समाधान केवल ये है, कि आप उन विचारों से अपनी पहचान न रखें,तो आप विचारों के दुख से बच जाएंगे,और वास्तव में सत्य भी यही है, कि आप और विचार अलग अलग है, बेहतर यही है, कि आप उन विचारों को महत्व देना बंद कर दें,और उन विचारों को अपनी जिंदगी न समझें, तो आप खुद में शांति का अनुभव करेंगे।

बातों से मन कैसे दूषित होता है?

आजकल आपके मानसिक औऱ शारीरिक रोग का बड़ा कारण मन का दूषित होना ही है, लेकिन दुर्भाग्यवश लोग अपने इस रोग को ही अपनी जिंदगी समझ बैठे हैं, बातों से मन के दूषित होने का मतलब है, का सत्य के विपरीत सुनना, करना, और उसी को अपनाना, और इसका सबसे बड़ा कारण तो टीवी और सोशल मीडिया है, जो आपको कदम कदम पर लालच,घृणा ,ईर्ष्या,और फालतू का बकबाश सिखा रहा है,इसके लिए बकायदा लोग भी तैयार कर लिए गए हैं, जो समाज में गंदगी फैला रहे हैं, अब किन बातों से आपका मन दूषित होता है, निंदा सुनना करना , किसी का अनुचित विरोध करना सुनना, गाली गलौज ,हिंसा करना और देखना ,सुनना,नकारात्मक विचारों का मनन औऱ उसको फैलाना,अश्लील दृश्य देखना उसके अलावा लालच, ईर्ष्या क्रोध, ये सब मन को दूषित करते हैं।

Comments

No comments yet. Why don’t you start the discussion?

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *