क्या आपका मन आपके विपरीत काम करता है? तो ये वीडियो जरूर देखें!
इस दुनिया में बहुत सारे लोग हैं,हर व्यक्ति अलग- अलग कार्य करते हैं। पर सफल केवल वही माना जाता है, जो अपने दिमाग का सदुपयोग करता है, लेकिन अधिकतर लोग ऐसा नहीं कर पाते । क्योंकि उनका मन उनके विपरीत कार्य करता है। उदाहरण के तौर पर एक गाड़ी है, जो कि स्वाचालित है, उसमें जैसे आपने एक बार निर्देश दे दिया वो उसी रास्ते पर जाती है, उसी तरह हमारा दिमाग हो चुका है।
उसमें हम बचपन से जो सुनते आ रहे हैं, करते आ रहे हैं, हमारा मन उसी रास्ते पर चल रहा है,क्योंकि अब वो हमारी आदत में आ चुका है। और हम ये पूरी तरह भूल चुके हैं, कि हम मन को कंट्रोल कर रहे हैं, कि इसने हमको कंट्रोल किया हुआ है।
दुनिया में अधिकतर लोग अपने मन को नियंत्रित करने के बारे में सोचते ही नहीं है, और लक्ष्य विहीन होकर कार्य कर रहे हैं, और वो जिंदगी को केवल काट रहे हैं। आजकल के लोग सोशल मीडिया, गेमिंग गोसिपिंग और केवल मनोरंजन में अपना समय व्यर्थ कर रहे हैं, और ये चीजें उनकी आदत में शामिल हो चुकी हैं,और जिसकी वजह से कोई रास्ता भी कभी नजर नहीं आता है।
दोस्तो भगवत गीता में श्रीकृष्ण कहते हैं, इंसान का दिमाग उसका बससे बड़ा शत्रु और सबसे बड़ा मित्र भी है,अगर आपने उसको नियंत्रित नहीं किया तो वो दुश्मन की तरह व्यवहार करेगा, लेकिन अगर आपने उसको नियंत्रित कर लिया तो वो आपका सबसे बड़ा मित्र होगा।
अगर आपको भी दिमाग को नियंत्रित करना है-
तो अपनी जिंदगी में आज ही लक्ष्य निर्धारित करिए,क्योंकि अगर आप लक्ष्य निर्धारित नहीं करेंगे,तो आपका मन हमेशा गलत दिशा में जाएगा।
सीखिए,क्योंकि लर्निंग ही आपको कुशल बना सकती है।
इंटरटेनमेंट की जगह कुछ सीखने की आदत डालिए।
बुरी घटनाओं की यादों को केवल ये समझिए, कि गुजरा हुआ कल था, उसका अस्तित्व अब खत्म हो चुका है।
सोशल मीडिया का केवल जरूरत पड़ने पर उपयोग करिए।
हर कार्य का समय निर्धारित करिए।
अगर आपका मन पुरानी बातों में जाता है, तो उसको फिर खीचकर लाइए, बार बार उसको खीचकर कांम पर लगाइए, क्योंकि ये मन ऐसे नहीं मानने वाला जब तक कि उस आदत की जगह नई आदत पूरी तरह रिप्लेस नहीं होगी, लेकिन अगर आपने एक बार इसको अपने अनुसार चलाना सीख लिया तो आपको सफल होने से कोई रोक नही सकता।
मन की समस्या से कैसे निपटें?
एक आदमी अपने मन की समस्या से परेशान होकर परामर्श लेने एक विद्वान व्यक्ति के पास गया, और जाकर उसने बताया कि उसके मन में हमेशा क्रोध ,द्वेष और निंदा करने वाली बातें घूमती रहती हैं,जिसकी वजह से लोगों से भी हमेशा लड़ाइयां होती रहती हैं,और मन अशांत रहता है,मैं क्या करूं ,कृपया करके कोई समाधान बताएं?
वो विद्वान व्यक्ति आदमी को लेकर एक बागीचे में गएं ,जहां पर कुछ कचरे के ढेर लगे हुए थे।उन्होने उस आदमी से पूंछा ,यहांं पर ये ढेर कैसे लग गया ,कुछ पता है,तो आदमी ने कहा किसी व्यक्ति ने यहां पर कचड़ा इकट्ठा कर दिया होगा,इसी वजह से यहां कचड़े का ढेर लगा हुआ है। इस पर विद्वान व्यक्ति ने कहा कि ऐसी ही तुम्हारी स्थिति है,तुमने बहुत सारे लोगों की कमियां, और उनसे दुश्मनी की भावनाएं अपने अंदर रख ली हैं,और तुमको ऐसे विचार और रखने की आदत हो गई है,इसीलिए मन हमेशा परेशान रहता है,अगर तुम कचरा समेटोगे तो कचरा ही बन जाओगे। अगर तुम इससे दूर रहना चाहते हो,तो लोगों की कमियां देखना ,बंद करो,द्वेष रखना बंद करो।और संगति केवल ऐसे लोगों से करो ,जिनका व्यवहार अच्छा हो,व वाणी भी अच्छी हो,धीरे धीरे तुम्हारे मन का कचड़ा हट जाएगा।
मन को लक्ष्य पर कैसे लगाएं?
एक बार एक संत गांव में सतसंग करने के उद्देश्य से गए। गांव के सभी लोग इकट्ठा हुए, सतसंग हुआ। जैसे ही सतसंग खत्म हुआ , एक आदमी दौड़ता हुआ संत के पास आया । तो संत ने पूंछा क्या बात है,तुम इतना भाग के क्यों आ रहे हो। तो आदमी ने बोला कि मैं आपसे कुछ पूंछना चाहता था।इसलिए आपके पास आया हूं।संत ने कहा, पूछों ? क्या पूछना चाहते हो? तो आदमी ने कहा कि मैं कोई काम करने बैठता हूं,तो मन भागने लगता है,उस काम के प्रति एकाग्र नहीं हो पाता। कोई उपाय बताइए? तो संत ने कहा कि ये तो मन का स्वभाव है,कि वह जल्दी से एकाग्र नहीं होता ।जो काम हम पहली बार करते हैं,उसमे तो और ज्यादा मेहनत करनी पड़ती है। तुम एक काम करो,तुम जिस कार्य को करना चाहते हो,सबसे पहले उसका समय निर्धारित करो। और तुम जब भी सोते हो,तो खुद को ये बता कर रखो ,कि कल निर्धारित समय पर तुम्हे वो कार्य करना है। फिर दूसरे दिन तुम निर्धारित समय पर वह काम करो। ऐसा कई दिन तक करो।और उस काम को एक ही समय पर करो,थोड़े ही दिनो में तुम पाओगे कि तुम्हारा मन उस काम के प्रति बिना किसी प्रयास के एकाग्र होने लगेगा।