मन को लक्ष्य पर कैसे लगाएं?

एक बार एक संत गांव में सतसंग करने के उद्देश्य से गए। गांव के सभी लोग इकट्ठा हुए, सतसंग हुआ। जैसे ही सतसंग खत्म हुआ , एक आदमी दौड़ता हुआ संत के पास आया । तो संत ने पूंछा क्या बात है,तुम इतना भाग के क्यों आ रहे हो। तो आदमी ने बोला कि मैं आपसे कुछ पूंछना चाहता था।इसलिए आपके पास आया हूं।संत ने कहा, पूछों ? क्या पूछना चाहते हो? तो आदमी ने कहा कि  मैं कोई काम करने बैठता हूं,तो मन भागने लगता है,उस काम के प्रति एकाग्र नहीं हो पाता। कोई उपाय बताइए? तो संत ने कहा कि ये तो मन का स्वभाव है,कि वह जल्दी से एकाग्र नहीं होता ।जो काम हम पहली बार करते हैं,उसमे तो और ज्यादा मेहनत करनी पड़ती है। तुम एक काम करो,तुम जिस कार्य को करना चाहते हो,सबसे पहले उसका समय निर्धारित करो। और तुम जब भी सोते हो,तो खुद को ये बता कर रखो ,कि कल निर्धारित समय पर तुम्हे वो कार्य करना है। फिर दूसरे दिन तुम निर्धारित समय पर वह काम करो। ऐसा कई दिन तक करो।और उस काम को एक ही समय पर करो,थोड़े ही दिनो में तुम पाओगे कि  तुम्हारा मन उस काम के प्रति बिना किसी प्रयास के एकाग्र होने लगेगा।

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