एक आदमी अपने मन की समस्या से परेशान होकर परामर्श लेने एक विद्वान व्यक्ति के पास गया, और जाकर उसने बताया कि उसके मन में हमेशा क्रोध ,द्वेष और निंदा करने वाली बातें घूमती रहती हैं,जिसकी वजह से लोगों से भी हमेशा लड़ाइयां होती रहती हैं,और मन अशांत रहता है,मैं क्या करूं ,कृपया करके कोई समाधान बताएं?
वो विद्वान व्यक्ति आदमी को लेकर एक बागीचे में गएं ,जहां पर कुछ कचरे के ढेर लगे हुए थे।उन्होने उस आदमी से पूंछा ,यहांं पर ये ढेर कैसे लग गया ,कुछ पता है,तो आदमी ने कहा किसी व्यक्ति ने यहां पर कचड़ा इकट्ठा कर दिया होगा,इसी वजह से यहां कचड़े का ढेर लगा हुआ है। इस पर विद्वान व्यक्ति ने कहा कि ऐसी ही तुम्हारी स्थिति है,तुमने बहुत सारे लोगों की कमियां, और उनसे दुश्मनी की भावनाएं अपने अंदर रख ली हैं,और तुमको ऐसे विचार और रखने की आदत हो गई है,इसीलिए मन हमेशा परेशान रहता है,अगर तुम कचरा समेटोगे तो कचरा ही बन जाओगे। अगर तुम इससे दूर रहना चाहते हो,तो लोगों की कमियां देखना ,बंद करो,द्वेष रखना बंद करो।और संगति केवल ऐसे लोगों से करो ,जिनका व्यवहार अच्छा हो,व वाणी भी अच्छी हो,धीरे धीरे तुम्हारे मन का कचड़ा हट जाएगा।
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