प्रेमानंद जी वृंदावन के जाने माने संतों में एक हैं जिनके पास देश विदेश से लोग वचनो प्रभावित होकर अपनी समस्या का समाधान पाने के लिए आते हैं, और प्रेमानंद महाराज भी उनकी हर समस्या का समाधान आसानी से बता देते हैं। हाल ही में प्रेमानंद जी के पास एक महिला ये प्रश्न लेकर आई कि अगर कोई व्यक्ति उसका गलत फायदा उठाता है क्या करें? छल कपट करता है, तो क्या उसे छोड़ देना चाहिए ? इस पर प्रेमानंद जी अर्जुन जी का उदाहरण देकर कहते हैं, कि पांड़वो ने अपनी मेहनत से इन्द्रप्रस्थ बनाया और पूरे विश्व को परास्त करके सम्राट बने और शकुनी ने पासे में सब गायब कर दिया, क्या भगवान श्री कृष्ण अपने सुदर्शन चक्र का उपयोग कर देते तो सारा खेल समाप्त नहीं हो जाता तो कौरव भी बच जाते और पांडवो को भी दुख न भोगना पड़ता, पर ऐसा कुछ नहीं किया, शकुनी ने 12 वर्ष का वनवास और एक वर्ष का अज्ञातवास पांडवो को निश्चित किया और ऐसे महावीरों को भारी कष्ट भोगना पड़ा केवल छल के कारण। तो हमें लगता है कि कहीं न कहीं भगवद विधान होता है शायद है कि हमने पूर्व जन्म में कुछ लिया होगा, आज हमे लग रहा कि छल विधान से कोई हमारा ले रहा हो, तो ये हमारा पूर्वजन्म का हिसाब होगा, अगर हमें त्यागने की जरूरत है तो त्याग दीजिए, नहीं तो कुछ ऐसे संबंध होते हैं कि हम त्याग भी नहीं सकते जैसे अपना पति है, अपना पुत्र है अपनी पत्नी है तो क्या करें? सहन करना चाहिए, मतलब दूसरा उपाय नहीं है- कबिरा खुद को ठगाइए, जो कोई अगर हमें ठग रहा है तो भगवान देख रहा है, जब मालिक हमारी तरफ देखेगा तो निहाल कर देगा और उसकी तरफ देखेगा तो बेहाल कर देगा- दुखिया को न सताइए दुखिया देगा रोय, जब दुखिया के मुखिया सुने तो तेरी गति का होय। इतिहास साक्षी है ये छल कपट, ये व्यवस्था पहले से चली आ रही है, बड़े बड़ो के साथ होता है, अर्जुन के साथ ऐसा छल किया कि 12 वर्ष का वनवास और एक वर्ष का अज्ञातवास, चाहते तो एक मिनट में शुकनी को निपटा सकते थे भीम, लेकिन सबकी ज़ड़ शकुनी था उसका बालबांका नहीं हुआ, बहुत कष्ट भोगा इन लोगों ने।
मंथरा ने कैकेयी के कान भरे कैकेयी जी ने हठ ठान लिया सुबह होने वाला था राज्याभिषेक, हो गया वनवास, भगवान के साथ ऐसा हुआ हम लोग तो उनके अंश हैं, कुछ बातें केवल सहनी पड़ती है, मालिक कहीं से देगा। कितना सहा पांडवो ने पहले कहा कि बारह वर्ष का वनवास और एक वर्ष का अज्ञातवास आप पूरा कर लेंगे तो सारा राज्य आपको मिल जाएगा, जब पूरा कर लिया तो बोला नहीं देंगे, जब बोला आधा दे दो तो बोले वो भी नहीं देंगे, जब बोला कि पांच गांव दे दो तो बोले वो भी नहीं देंगे। यहां तक कि दुर्योधन कहता है, सुई की नोक के बराबर भी हम आपको राज्य नहीं दे सकते, लेकिन बाद में उनका विनाश हो गया 100 के सौ कौरव मारे गए।
इसलिए अपने को चाहिए कि कोशिश करे कि सह जाए, जब भगवान देखेगा तो विध्वंश हो जाएगा।