ये कहानी एक पहलवान की है,जो अपनी जीविका पहलवानी करके चलाता था, लेकिन वो हमेशा ये सोचता कि किसी तरह वो उस इलाके का बड़ा पहलवान बन जाए, लेकिन उसको कोई रास्ता नजर नहीं आ रहा था, वो कई बार बड़ी प्रतिस्पर्धा में गया लेकिन हार गया, औऱ उसको ऐसा लग रहा था कि वो कभी भी अपने इलाके का सबसे सबसे बड़ा पहलवान नहीं बन पाएगा, और इसलिए उसने कोशिश करना भी छोड़ दिया। कई सालो बाद उस इलाके में कुश्ती का आयोजन हुआ तो उसने सोचा क्यों न इस बार कुश्ती देखने चला जाए, इस बार अभ्यास न होने की वजह से उसने कोशिश नहीं कि लेकिन कुश्ती देखने गया,और कुश्ती खत्म होने के बाद वो विजेता के गुरू के पास ये जानने के लिए गया कि कैसे वो इस इलाके का मुख्य पहलवान बन जाए,और उसने गुरूजी को ये बात बताई कि वो कई बार हार चुका है, जिससे उसका मनोबल टूट चुका है। तो गुरूजी ने कहा कि तुम्हे अगर किसी से जीतना है, तो तुम्हे उससे ज्यादा अभ्यास करना पड़ेगा, इसलिए तुम आज से अभ्यास शुरू करो, औऱ पहले से ज्यादा अभ्यास करना और ऐसा अभ्यास करना कि कोई पैतरा छूट न जाए, अन्यथा हार जाओगे,औऱ युवक उस दिन से गुरूजी की बात मानकर अब दोगुना अभ्यास करने लगा, औऱ जब उस इलाके में फिर कुश्ती का आयोजन हुआ तो इस बार वो पहलान विजेता बन गया।
दोस्तों ये कहानी हमें शिक्षा देती है, कि हमें कभी भी प्रय़ासों से निराश नहीं होना चाहिए, क्योंकि अगर हमारा लक्ष्य बड़ा है, तो बड़ा प्रयास करना पड़ेगा तभी सफलता मिलेगी।
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