एक बार एक आदमी बहुत परेशान होकर एक ऋषि के पास पहुंचा , और ऋषि से उसने कहा कि मेरे जीवन में बहुत दुख है, कुपया आप कोई समाधान बताइए, ताकि मैं इनसे पीछा छुड़ा सकूं, तो ऋषि ने कहा मैं तुम्हे समस्या का समाधान बताता हूं, अब वो ऋषि उस व्यक्ति को लेकर जंगल की तरफ चल पड़े रास्ते में उन्हे एक पत्थर दिखा , तो ऋषि ने कहा कि इस पत्थर को उठा लो , पत्थर भारी था, लेकिन उस आदमी ने फिर भी पत्थर को उठा लिया और चलता गया, थोड़ी दूर चलने के बाद उसने कहां मुझे थकान हो रही है, ये पत्थर बहुत भारी है, तो ऋषि ने कहा ठीक है, इस पत्छर को रख दो , और उस व्यक्ति से पूंछा कि कुछ समझ में आया तो व्यक्ति ने कहा नहीं , तो ऋषि ने कहा कि जीवन में दुख भी इसी प्रकार है, हम उसका बोझ जितना दिमाग में रखेंगे, उसका वजन बढ़ता जाएगा, बेहतर यही है, कि उस बोझ को ढोने के बजाय हम अपनी मंजिल की तरफ बढ़ते रहें, नहीं तो हमारा सफर तय करना मुश्किल होगा।
दोस्तों हमारा जीवन भी इसी तरह है,कि हम एक दुख को छोड़ने की कोशिश ही नहीं करते , इसलिए हम हमेशा परेशान रहते हैं,बेहतर यही है, कि हमें हमेशा इन सबको भुलाकर निश्चिंत होकर केवल कर्म करना चाहिए।