एक व्यापारी जो कि फलों का व्यापार करता था, वो आसपास के किसानों से फल खरीदता और उनको शहर में बेचता, गांव से शहर का जाने के लिए सड़क न होने की वजह से व्यापारी को खेतों और ऊबड़ खाबड़ रास्तों से गुजरना पड़ता था, लेकिन व्यापारी फिर भी उसी रास्ते से आता जाता,क्योंकि शहर जाने का कोई और रास्ता नहीं था, एक दिन जब व्यापारी फल लेकर शहर की तरफ जा रहा था, तो देखता है, कि उन रास्तों पर जहां से वो आता जाता था, किसी ने बहुत सारे पत्थर रख दिये थे, जिसकी वजह से शहर जाने का रास्ता अवरूद्ध हो गया, एक दिन उस गांव के सारे लोग उन पत्थरों को हटाने के लिए इकट्ठा भी हुए, लेकिन किसी ने कहा मेरा काम चल जाता है, किसी ने कहा ये बहुत मेहनत का काम और ये कहकर सभी ने अपना पल्ला झ़ाड़ लिया, अब व्यापारी को लगा कि उसका कोई साथ नहीं देगा, और व्यापारी ने सोचा कि किसी भी तरह से मुझे ही कुछ करना पड़ेगा, अब व्यापारी के पास इतने पैसे भी नहीं थे, कि वो किसी मजदूर को कुछ पैसे देकर काम कराता, क्योंकि रास्ता बंद हो जाने से उसका व्यापार भी बंद हो गया था, लेकिन उसने सोचा कि पत्थर तो हटाना ही पड़ेगा, और ये ठानकर उसने पत्थर हटाने का काम शुरू कर दिया, उसने लगातार कई दिनो तक काम किया, लेकिन कभी कभी उसको लगता कि ये काम बहुत मुश्किल है, तो कभी कभी आराम भी करने लगता , लेकिन इस उम्मीद से कि आज नहीं तो कल रास्ता तो खुल ही जायेगा, वो लगातार पत्थर हटाने का काम करता रहा, महीने बीत गए, और जब गांव वालों को पता चला कि पत्थर हटाने का काम पूरा होने वाला है,और व्यापारी अकेले ही उन पत्थरों को हटा रहा है, तो सभी गांव वालों ने व्यापारी के इस काम की तारीफ की और सभी पत्थर हटाने में लग गए, और सभी ने मिलकर रास्ते से सारे पत्थर हटा दिए, अब गांव से शहर जाने का रास्ता फिर से खुल गया,फिर क्या था व्यापारी फिर से पहले की तरह अब अपना व्यापार करने लगा।
दोस्तों रास्ते के पत्थर हमारी मुश्किलें हैं,बहुत सारे लोग अपना रास्ता बदल लेते हैं,और बहुत सारे लोग उनके सामने घुटने टेक देते हैं, लेकिन सफल वही होता है, जो उन मुश्किलों को हटाने के लिए धीरे धीरे ही सही पर लगातार प्रयास करता है।