अंदर की बुराई से निपटने के लिए सबसे पहले तो समझना होगा कि आपके अंदर बुराई कौन सी है, क्योंकि बिना बुराई को समझे आप उसको दूर नहीं कर सकते , अधिकांश लोग बाहर की बुराई की बात तो करते हैं लेकिन अंदर की बुराई को सभी लोग इग्नोर कर देते हैं,
इंसान के अंदर की बुराई से निपटने के लिए सबसे पहले आप
अपने मन पर नजर रखना शुरू करिए,
क्योंकि अगर आप अपने मन में नजर नहीं रखेंगे तो आपको पता ही नहीं चल पाएगा कि आपके अंदर कौन सी बुराई है, जब भी आपके मन में विचार चले तो सबसे पहले देखिए क्या वो विचार सही है, सही होने का मतलब कि कहीं वो विचार किसी के बारें में गलत तो नहीं है, औऱ अगर गलत है, तो उन विचारों की जगह आप सही विचार रखिए यानि अगर अगर मन किसी के बारे में अनावश्यक गलत बोलता है,तो मन को बताइए कि नहीं वो गलत नहीं है, केवल लोगों के विचार अलग अलग हो सकते हैं।
खुद को सर्वोपरि मानना छोड़ दीजिए- हमारे जीवन में बहुत सारे ऐसी घटनाएं आती है, परिस्थितियां आती है, जिसके लिए हमे सोचना पड़ जाता है, और वहां पर कुछ निर्णय लेने होते हैं, वो निर्णय किसी के विपरीत भी हो सकते हैं, उस स्थिति में आपको सर्वोपरि नहीं मानना है, क्योंकि अगर आप सर्वोपरि मान लेंगे तो निर्णय गलत भी हो सकता है, उस समय अगर स्थिति को देखते हुए निर्णय लीजिए भले ही वो निर्णय आपको सर्वोपरि न साबित करे।
स्वीकार्यता
हम औऱ हमारे आस पास रहने वाले लोग सभी अलग अलग प्रकृति के होते हैं, जिसकी वजह से कभी कभी मनमुटाव भी हो जाता है, और हम गलत निर्णय ले लेते हैं, उस स्थिति में खुद में स्वीकार्यता रखें, क्योंकि आप अगर स्वीकार्यता नहीं रखेंगे तो आप रास्ते से भटक जाएंगे और आपका मन गलत करने के लिए प्रेरित कर देगा।
काम क्रोध लोभ मोह, इन सबसे निपटने के लिए भी अपने मन पर नजर बनाकर रखिए, और जैसे ही ये आप आप अटैक करें, आप खुद का ध्यान कहीं और लगा दें, सबसे सही यही रहेगा कि आप अपना मन भगवान की की लीला, या भगवान के नाम की तरफ मोड़ दें, इससे आपका मन इन विकारों से बच जाएगा। और आप हर तरह की बुराई से खुद को बचा लगे, अन्य़था ये छोटे छोटे विकार आपको जीवन भर परेशान करते रहेंगे
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