आज का सुविचार [ Motivation in hindi] [Motivational lines in hindi]
1- आप जो भी कर रहे हैं, उसका कुछ न कुछ परिणाम अवश्य है, इसलिए कुछ करने से पहले परिणाम के बारे में जरूर सोचें।
2- अपने कल की चिंता में आज व्यर्थ मत करिए, क्योंकि इस तरह से आप अपना वर्तमान खराब कर रहे हैं।
3- इंसान को दूसरों के चिंतन से ज्यादा खुद की तरक्की में समय लगाना चाहिए, क्योंकि दूसरों के चिंतन से केवल समय खराब होता है।
4- अपने हक के लिए संघर्ष करें, लेकिन साथ साथ दूसरों के हित के बारे में भी सोचें।
5- हमेशा खुश रहने की आदत डालिए, क्योंकि जिस इच्छा से आप सुख की उम्मीद कर रहे हैं, दुनिया में वो इच्छा कई लोगों की पूरी हो चुकी है, फिर भी लोग दुखी ही हैं।
6- मन शांत कैसे रखें?
1- रात में सोने से पहले 20 मिनट भगवान का नाम जप कर, या भगवद्गीता पढ़ कर सोएं।
2- भोजन करते समय केवल भगवान का या उनके नाम
का चिंतन करें।
3- चिल्लाकर बात न करें।
4- अनावश्यक न बोलें।
5- दूसरों से तुलना न करें।
6- कुछ मिनट तक आध्यात्मिक ग्रंथ पढ़ने की आदत डालें।
7- मन की सलाह न चलें बल्कि उसको शिक्षित करें।
7-इंसान अपने ही मन की उपज है, जैसा वो सोचता है, वैसा बनता जाता है।
8- आप समस्याओं से तभी हारते हैं, जब आपका मन अशांत होता है, जबकि शांत में अनगिनत संभावनाएं हमेशा रहती हैं।
9- कभी दूसरों के ज्यादा भरोसे मत बैठिए, क्योंकि कोई कितना भी आपका प्रिय होगा, हर समय वो चाहकर भी आपको उपलब्ध नहीं हो सकता ।
10- अपने मन की व्यथा को शांत करने के लिए भगवान की कथाएं, भगवान का नाम जप , सेवा व आध्यात्मिक ग्रंथों का स्वाध्याय करिए।
11-जिसको वास्तव में सुख चाहिए, उसको शिकायतें करना बंद कर देना चाहिए, क्योंकि शिकायतें आपके मन को इतना कमजोर बना देती हैं, कि आप अच्छा सोच ही नहीं पाते।
12- लोगों के जीवन में शांति इसलिए नहीं बची, क्योंकि लोग अब केवल पैसा कमा रहे हैं, और शांति के लिए कोई प्रयास नहीं कर रहे।

13- जब कभी आपको ये लगे कि ईश्वर ने आपको कुछ नहीं दिया, तो एक बार ये जरूर सोचिए कि क्या जितना आपके पास है, सभी के पास है, क्योंकि संसार में बहुत सारे लोग ऐसे भी हैं, जिनको भोजन भी बड़े मुश्किल से मिलता है।
14- जिसको जीवन में ये लगता है, कि वो सभी को खुश रख सकता है, वास्तव में वो ये भी भूल जाता है, कि खुद को खुश कैसे रखें।
15-जिसका धन गया , उसका कुछ नहीं गया, जिसका स्वास्थ गया उसका बहुत कुछ गया, लेकिन जिसका चरित्र गया उसका सबकुछ चला गया।
16-अपने शरीर और मन दोनो का पूरा ध्यान रखें, क्योंकि आपके पास शरीर भी एक है, और मन भी एक है, और दोनो को जीवन भर चलाना है।
17-मन ही इंसान का सबसे बड़ा शत्रु और सबसे बड़ा मित्र भी है, जिसने मन को नियंत्रित कर लिया उसके लिए वह मित्र की तरह काम करता है, और जिसने वश में नहीं किया उसके लिए मन शत्रु है।
18- जब जीवन में आप अकेले हों, तो समझ जाइए कि अब जीवन में बहुत बड़ा बदलाव होने वाला है।
19- मुसीबतें आपको डराने के लिए नहीं बल्कि आपको सुदृढ़ बनाने के लिए आती हैं।
20- कुशलता कभी भी धोखे से नहीं मिलती, बल्कि बार बार की असफलता आपको कुशल बना देती है।
21- जीवन में संगति के चुनाव में सावधानी रखिए, क्योंकि आपकी संगति से ही आपका जीवन बनता है।
22-जैसा आपका चिंतन होता है, वैसा ही आपका जीवन होता है, क्योंकि जैसा चिंतन करते है, वैसे ही आपके कर्म हो जाते हैं।
23-मौैन रहना सीखिए, क्योंकि मौन से ही इंसान अपने अंदर देख पाता है, जबकि शब्द आपको बाहरी दुनिया में फंसा कर रखते हैं।
24-अपने जीवन की तुलना दूसरों के जीवन से कभी मत करिए, केवल निराशा ही हांथ लगेगी, क्योंकि इस दुनिया में सभी के कर्म अलग अलग हैं, और सभी में खूबी भी अलग- अलग है, और ये भी हो सकता है, जो आपको बहुत सम्पन्न दिख रहा हो, अंदर से वो बहुत दुखी हो।
25-लोगों के पतन का इस समय सबसे बड़ा कारण ये हैे, कि वो अपना आदर्श पैसे वाले को बना बैठे हैं, औऱ वैसी ही जीवन शैली जीने में लगे हैं, जबकि पैसे वालों से केवल ये सीखना चाहिए, कि पैसे ईमानदारी से कैसे कमाएं न कि आनंदमय जीवन कैसे जिएँ।
26-दुनिया में सबसे ज्यादा भ्रमित आपको वो व्यक्ति करता है, जो हमेशा आपके अनुकूल बाते करता हैं, और आप हमेशा खुद को श्रेष्ठ समझकर खुद के दोषों में सुधार नहीं करते
27-जीवन में आगे बढ़ने के लिए आपको पसंद ना पसंद से ऊपर उठकर केवल वो कार्य करना होगा जो सही है, अन्यथा पसंद नापसंद आपको कभी आगे नहीं बढ़ने देगी।
28- तनाव से बचने के लिए भगवान का नाम, शास्त्र स्वाध्याय और सतसंग ही औषधि है, अन्य कोई मनोरंजन का साधन, और नशा आपको और तनाव ग्रसित कर देगा।
29-जीवन में आर्थिक स्थिति अच्छी हो या न हो, लेकिन मानसिक स्थिति अच्छी रखिए, क्योंकि अगर मानसिक स्थिति अच्छी है, तो आप धन के कमी होने पर भी अच्छा जीवन जी सकते हैं।
30-य़दि आपको लगता है, कि आप वास्तव में बहुत ही अच्छा जीवन जी रहें हैं, तो सबसे पहले खुद से ये पूंछिए कि क्या आप वास्तव में खुश हैं, और अगर नहीं हैं, तो सबसे पहले खुश रहने की कला सीखिए, क्योंकि खुशी ही आपके जीवन को परिभाषित करती है।

31-जितने लोग दूसरों को कॉपी करके अपना जीवन जी रहे हैं, वो केवल अपना जीवन संकट में डाल रहे हैं, क्योंकि ऐसा करके वो सही और गलत का चुनाव करना भूल रहे हैं।
32-जिसको शांति चाहिए उसको अपने जीवन में आई हर स्थिति में संतुष्ट रहना सीखना पड़ेगा, और जिसको रिश्ते चाहिए, उसको दूसरों से उम्मीद छोड़नी पड़ेगी।
33-क्रोध से भ्रम पैदा होता है, भ्रम से बुद्धि खराब होती है, जब बुद्धि व्यग्र होती है तो तर्क नष्ट हो जाता है, जब तर्क नष्ट होता है तब व्यक्ति का पतन शुरू हो जाता है।
34-अगर मन को ज्यादा सोचने की आदत हो गई है, तो आप उस आदत को भगवान की लीला सोचने औऱ नाम सोचने की आदत लगा दीजिए मन शांत रहने लगेगा।
35- जिसको वर्तमान का आनंद लेना है, उसको भूतकाल का शोक और भविष्य की चिंता छोड़नी ही पड़ेगी।
36- ये बातें खुद से नहीं कहनी चाहिए- 1- मेरा समय खराब चल रहा है। 2- मैं बहुत अकेला हू्ं। 3- मैं कभी सफल नहीं हो सकता। 4- मैं किसी लायक नहीं हूं। 5- पता नहीं कल क्या होगा। 6- मेरे साथ ही हमेशा गलत क्यों होता है।
37- ईश्वर का स्मरण एक ऐसा बीमा है, जिसको अपनाने से आप कभी दुखी नहीं होते।
38- जब आपको हर व्यक्ति में दोष दिखने लगे और खुद में अच्छाइयां दिखने लगे, तो समझिए कि अब जीवन दुखमय हो जाएगा, उसके विपरीत अगर आपको खुद के दोष दिखने लगे तो समझिए कि अब आप जीवन आपका बहुत अच्छा होने वाला है।
39-जब आप भगवान का स्मरण करते हैं, तो दुनिया की बड़ी से बड़ी विपत्ति भी आप पर प्रभाव नहीं डाल पाती , लेकिन जब भगवान का स्मरण नहीं होता उस समय छोटी से छोटी विपत्ति भी आपको पहाड़ जैसी लगती है।

40-धन इंसान को तभी तक सुख देता है, जब तक इंसान उसको केवल संसाधन समझता है, लेकिन जैसे ही उसको जीवन समझा जाने लगता है, तो धन की कमी निराशा पैदा करती है, और अधिकता घमंड पैदा करती है, जो विनाश का कारण बनती है।
41- कौैन क्या कर रहा है, कैसे कर रहा है, इससे आप जितना दूर रहेंगे, उतना ही खुद के लिए अच्छा कर पाएंगे।
42-दूसरों का हक छीन कर तरक्की करने वालों को दूसरों के हिस्से का दुख भी सहने को तैयार रहना चाहिए, क्योंकि प्रकृति हैसियत देखकर नहीं बल्कि कर्म देखकर निर्णय करती है।
43-अगर आपने जीवन में खूब तरक्की की लेकिन फिर भी निराशा और असंतुष्टि भरा जीवन जी रहे हैं, तो वास्तव में आपकी सारी तरक्की व्यर्थ है, बेहतर है, कि जीवन में खुश और संतुष्ट रहने का प्रय़ास करिए।
44-जीवन में खुश रहने की वजह का इंतजार मत करिए, बल्कि खुश रहने की आदत डालिए, क्योंकि खुश रहने की वजह का अस्तित्व अस्थाई है।
45-जीवन में नकारात्मक कल्पनाएं जरूरी नहीं है, कि वास्तविक हों, लेकिन उनका आपके मन पर असर वास्तविकता में होता है।
46-किसी की हैसियत का अंदाजा उसके अच्छे कपड़े और महगी गाडियां देखकर मत लगाइए, क्योंकि इंसान की हैसियत उसके चरित्र, व्यवहार और सद्विचारों से आंकी जाती है।
47-मूर्ख व्यक्ति दूसरों पर हंसते है, और बुद्धिमान व्यक्ति खुद पर हंसते हैं। – ओशो
48- ईश्वर का विस्मरण ही आपको दुख का अनुभव होने देता है।
49- आपके जीवन का सारा सुख-दुख विचारों के अस्तित्व के कारण ही होता है, जैसे ही आप विचारों से दूरी बना लेगें आपको अनुभव होना बंद हो जाएगा।
50- इंसान जिस मन के विचारों को अपना मानकर चलता है, वही विचार उसकी दुर्गति कराते हैं, लेकिन फिर भी वो नहीं समझ पाता कि उसका मन ही उसका दुश्मन है।
51-जीवन में चीजों के पीछे भागने से अच्छा है, अपनी योग्यता बढ़ाइए, अन्यथा आपको केवल निराशा ही हांथ लगेगी।
52- भविष्य की चिंता और बीते हुए कल के बारें ज्यादा मत सोचिए, क्योंकि ऐसा करके आप अपना वर्तमान भी खराब कर रहे हैं।
53- दूसरों की तरक्की देखकर खुश होना सीख लीजिए, इससे आपको आगे बढ़ने की प्रेरणा मिलेगी, क्योंकि ईर्ष्या रखने से केवल मन दुखी होगा और कुछ नहीं।
53- भाग्य का रोना छोड़कर इंसान को केवल कर्तव्य का पालन करना चाहिए, क्योंकि भाग्य अपने ही कर्मों की खेती है।
54- न तो हार के लिए दुखी होना चाहिए, न ही जीत की ज्यादा खुशी मनाना चाहिए, क्योंकि जीवन में दोनो का आना-जाना लगा रहेगा, कभी जीत मिलेगी कभी हार।
55- जीवन में अपनी कमजोरियों की स्वीकार्यता रखनी जरूरी है, तभी हम खुद में सुधार कर पाएंगे।
56- लोगों की बातों पर उतना ही भरोसा करिए, जितने में आप खुश रह सकें, क्योंकि लोग उस विषय पर ज्यादा ज्ञान देते हैं, जिस विषय को कम जानते हैं।
57- किसी भी व्यक्ति को उसके प्रश्नों का उत्तर तभी दीजिए, जब उसमें पात्रता हो और आपके प्रति श्रद्धा रखता हो।
58- जीवन की कोई भी राह कठिन नहीं है, हममे केवल विश्वास की कमी है।
59- दूसरों से अपनी तुलना करना खुद को गलत साबित करना है, क्योंकि दुनिया में हर व्यक्ति की अपनी खासियत है, न तो वो आपकी जगह ले सकता है, न आप उसकी जगह ले सकते हैं।
60- जीवन में कभी ऐसा भी हो सकता है, कि आप कुछ स्थितियों को बदलने में सक्षम न हो, लेकिन फिर भी निराश न हों, क्योंकि ऐसी स्तिथियां समय के बदल जाती हैं जैसे मौसम बदलते हैं।
61- रिश्ते टूटने की सबसे बड़ी वजह ये है कि लोग अपनो से ज्यादा अपने रिश्तों की सलाह दूसरों से लेते हैं।
62-लोग आपकी हंसी उड़ाएंगे ये सोचकर अच्छे कार्य करना मत छोड़िए क्योंकि लोगों की हंसी और दुख उनके व्यक्तिगत विचारों के कारण है, उनका आपके जीवन से कोई संबंध नहीं है।
63- जब तक विचारों से अपनापन बनाते रहेंगे, आपका उनके जीवन में प्रभाव बना ही रहेगा।
64- मन को साफ करने का सबसे अच्छा तरीका है, भगवान का नाम जपना ।
65- दूसरों की गलतियों को माफ करने की आदत डालिए , क्योंकि हम भी दूसरों से यही आशा रखते हैं।
66- ईश्वर की कृपा सभी पर रहती है, लेकिन जो स्वीकार करता है, अनुभव केवल उसी को होता है।
67- प्रेम का दूसरा नाम समर्पण है, लेकिन लोगों ने जरूरतें पूरा करने को प्रेम समझ लिया है, इसीलिए दुखी रहते हैं।
68- कभी किसी के पहनावे और गरीबी का मजाक मत उड़ाइए क्योंकि पहनावा उनकी पसंद है, और गरीबी वो खुद ही नहीं चाहते।
69- जिसके जीवन में दया नहीं है, वह न तो धार्मिक है, न आध्यात्मिक है, न ही वह अच्छा इंसान है।
70- आपका खुशियां आपके चिंतन से ही निर्धारित होती है, जैसा चिंतन होता है, वैसा ही आपका जीवन हो जाता है।
71-बिना कोशिश किए हार मान लेने से अच्छा है, कोशिश करके कुछ हांसिल कर लिया जाए।
72-सफलता को भले ही लोग अच्छा समझते हों, लेकिन बातें हमेशा संघर्ष की ही की जाती है, बेहतर है कि संघर्ष से पीछे न हटें।
73-लोगों को अपने हालात कभी मत बताइए क्योंकि लोग हंसते ज्यादा हैं, हौसला कम देते हैं।
74-अपने जीवन का चुनाव खुद करना सीखिए, अन्यथा लोगों के हिसाब से चुनाव करना पडे़गा।
75- इंसान कभी हालातों से मजबूर नहीं होता वास्तव में वो खुद को मजबूर मान लेता है।
76- लोग आपसे कम और आपके पैसे की ज्यादा इज्जत करते हैं, बेहतर है कि आप उसको खुद की इज्जत न समझें।
77- सबसे आसान काम है, दूसरों को दोष देना , और सबसे मुश्किल काम है, खुद के दोषों को स्वीकार करना।
78- लोगों से अनुकूलता की आशा कभी न करें, क्योंकि लोगों की राय समय के साथ बदलती रहती है।
79- दूसरों की जिंदगी में अनावश्यक हस्तक्षेप आपकी जिंदगी को बर्बाद करने के लिए काफी है।
80- जिसने अपनी जुबान पर काबू पा लिया उसने जीवन की बहुमूल्य सफलता हांसिल कर ली।
81- जीवन में खोने पाने जैसा कुछ भी क्योंकि हर चीज समय के साथ आती जाती रहती है।
83- परिस्थितियों को कोसना बंद कर दीजिए, क्योंकि परिस्थितियां आपके ही कर्मों का परिणाम है, आप अपना कर्म बदलिए परिस्थितियां खुद ब खुद बदल जाएंगी।
84- इंसान की बर्बादी का कारण दूसरों ने होकर उसी की आदतें हैं, अगर इंसान अपनी आदतें बदल लेता है तो उसका जीवन सफल हो जाएगा।
85- महान बनने के लिए आपको वो सबकुछ नहीं करना होता जो लोग करते हैं, बल्कि वो करना होता है, जो बेहद जरूरी है।
86-आपका पैसा आपको इलाज दिला सकता है, लेकिन जीवन नहीं दे सकता है, इसलिए पैसे को केवल संसाधन समझें न कि जीवन।
87- अगर आपको लगता है, कि आपके जीवन में सबसे महत्वपूर्ण पैसा है तो एक बात ध्यान रखिए, कि आप पैसे के लिए वो सबकुछ करने को तैयार हो जाएंगे जो आपको नहीं करना चाहिए औऱ वही आपके दुख का कारण बन जाएगा।

89-अपने हित के लिए दूसरों का हक मत छीनिए, क्योंकि प्रकृति आपके हर कर्मो का हिसाब रखती है, वो आपको जरूर लौटाएगी।
90- जब कभी मन उदास लगे तो लोगों को याद मत कीजिए बल्कि ईश्वर का स्मऱण कीजिए आप खुश महसूस करेंगे।
91- अपने जिंदगी में खुश रहना सीखिए, क्योंकि आपको नहीं पता जैसा आपका जीवन है वैसे जीवन का कुछ लोग सपना देखते हैं।
92- अगर आप किसी से अत्यधिक उम्मीद लगाकर बैठे हैं, तो यकीन मानिए एक दिन आपको अत्यधिक दुख होगा, क्योंकि कोई भी इंसान अपनी क्षमता तक ही आपकी उम्मीद पूरा कर सकता है।
93- रिश्ते निभाने का सबसे अच्छा फार्मूला यही है कि आप उम्मीद रखना छोड़ दें।94
94- जीवन तो अभाव में भी अच्छे से जिया जा सकता है, शर्त केवल इतनी सी है, कि आप मन को शांत रखना सीख जाएं।
95- जीवन उसका शानदार नहीं है, जिसके पास खूब धन है, बल्कि जीवन उसका शानदार है, जिसने हर स्थिति में खुद को खुश रखना सीख लिया है।
96- ईश्वर पर भरोसा उन पंछियों की तरह रखिए जिनके पास संग्रह नहीं रहता है, लेकिन उम्मीद रहती है, कि कल उनका अच्छा होगा।
97- अगर आप ज्यादा सत्यवादी हैं, और उस सत्य से हमेशा ही किसी का नुकसान होता है, तो ऐसे सत्य का कोई मतलब नहीं हैं।
98- ईश्वर का आपके कर्मों पर कोई हस्तक्षेप नहीं है, इसलिए अपने हालातों के लिए ईश्वर को दोष मत दीजिए।
99- ईश्वर पर विश्वास का मतलब ये नहीं है, कि हमेशा आपकी इच्छा पूरी हो, विश्वास का मतलब ये है कि हम उसके हैं, अब वो जैसे चाहे वैसे हमे रखें।

100- इस बात की चिंता में आज व्यर्थ मत करिए कि कल क्या होगा , क्योंकि ऐसा करके आप अपने आज को बर्बाद कर लेंगे।
101-जब इंसान के जीवन का केन्द्र पैसा हो जाता है, तो वह आपके जीवन से खुशी, अपनापन, शांति, दया सब छीन लेता है, फिर इंसान के पास केवल पैसा बचता है, और निऱाशा ।
102- अपने जीवन के पल को दूसरों की निंदा में न गवाएं, क्योंकि इस चक्कर आप अपना समय गवा रहे होते हैं, जो कभी वापिस नहीं आ सकता।
103- जिन लोगों की आदतें लोगों के बारे में बात करने में ही निकल जाती है, और हमेशा सोचते रहते हैं कि लोग आगे कैसे बढ़ रहे हैं।
104- जीवन में सहनशील पहाड़ों की तरह रहिए ताकि जीवन में बारिश की तरह आने वाली छोटी मोटी परेशानियों का आपके जीवन में असर ही न हो।
105- कल सुख आएगी ये मत सोचिए क्योंकि कल आएगा भी कि नहीं इसका भरोसा ही नहीं है।
106- कार्य में निरंतरता जरूरी है, तभी आप आगे बढ़ पाएंगे।
107- किसी भी कार्य का परिणाम एक दिन दिखता है, लेकिन उस कार्य को करने में वर्षों लग जाते हैं।
108- आप जिस भीड़ को अपना मानते हैं, दरअसल वो भीड़ आपके पीछे नहीं आती है, वो तो केवल अपना स्वार्थ सिद्ध करने के लिए आती है।
109- लोगों की चिंता में जीवन को बर्बाद मत करिए, क्योंकि आपकी चिंता लोगों को नहीं बदल पाएगी , लेकिन अगर आप ज्यादा चिंता करेंगे तो आपकी स्थिति जरूर खराब हो जाएगी।
110- परिवर्तन से मत डरिए परिवर्तन होता रहेगा, बस खुद के मन को मजबूत रखिए ताकि परिवर्तन आपको प्रभावित न कर पाए।
111- तरक्की करना अच्छी बात है, बस ख्याल ये रही उस तरक्की के लिए किसी बेगुनाह को न सताया जाए।
112- दुनिया में प्रकृति जिस तरह बदल रही है, आने वाले समय बहुत खतरनाक है, लेकिन इंसान फिर भी प्रकृति का दोहन करने के पीछे नहीं हट रहा।
113- जब भी कभी हार मानने लगें तो खुद से पूंछिए कि क्या दुनिया में सभी चीजें आप ही की वजह से चल रही है, अगर नहीं तो फिर हार मत मानिए कोई न कोई रास्ता जरूर निकलेगा।
114- परमात्मा की बनाई गई दुनिया में किसी में दोष मत निकालिए क्योंकि आपको दोष दिख रहे होंगे वो आपमें भी होंगे।
115- कोई रोता है अपनो के लिए कोई सपनो के लिए लेकिन अगर वो समझ जाए कि सबका समय होता है, तो रोना ही छूट जाए।
116- खुश रहने में ही जिंदगी का मजा है, क्योंकि दुखी रहने का तो प्रयास ही नहीं करना पड़ता।
117- लोग भले ही सफलती की बात करते हों, लेकिन कहानियां तो संघर्षों की ही मशहूर हुआ करती हैं।
118- मत रुको उलझने देखकर , चलते रहो मंजिलें देखकर , आज न मिली तो कल मिलेगी , तुम्हारा हौंसला देखकर।
119- लोगों से अपनी अहमियत की बात मत करो क्योंकि बात केवल समय की होती है, पहले लोग रेडियो को महत्व देते थे, आज समय मोबाइल का है तो लोग रेडियो की तरफ देखते भी नहीं।
120- कौन किसका ये किसी को नहीं पता, केवल वक्त को ही पता है।
121- रिश्ते पैसे नहीं बल्कि भावनाओं से चलते पैसे से तो व्यापार किया जाता है।
122- मत उलझो मन की उलझनो में ये तो मकडें की जाले की तरह है, जो आपको निकलने ही नहीं देंगी।
123- कल की प्रतीक्षा बेशक करिए, लेकिन आज का सदुपयोग करते हुए क्योंकि कल तो काल के हांथ में है।
124- जो कल में खोया वो बहुत रोया क्योंकि कल तो काल के हांथ में है।
125- गुलाब कि तरह बनाइए अपना किरदार कि भले ही कांटो के बीच में हो लेकिन लोग आपसे मिलना चाहें।
126- दुनिया में सबसे ज्यादा खुशनसीब वही है, जिसके मन में इच्छाएं नहीं हैं क्योंकि वो कभी दुखी नहीं होता।
127- जिस इंसान को परिवर्तन लाने का शौक है, उसको शुरूआत खुद से करनी चाहिए।
128- वक्त सबका आता है, किसी पहले आ जाता है, किसी का इंतजार के बाद।
129- जब आपका संघर्ष चल रहा हो तो मौन रहिए, क्योंकि उस समय आपकी अच्छाई भी लोगों को बुराई ही लगेगी।
130- जीवन में साहस उतना रखिए कि बड़ी से बड़ी बात भी आसानी से सह जाएं, और समझ इतनी रखिए कि छोटी से छोटी बात की गहराई समझ आ जाए।
131-जब आपका समय खराब चल रहा हो, तो अकेले रहिए ताकि आप नकारात्मकता से बचे रहें।
132- लोगों को संसाधन से ज्यादा सांत्वना की जरूरत है।
133- सफर जिंदगी का हो या फिर किसी का मंजिल का संघर्ष तो करना ही पडे़गा।
134- जीवन में अच्छे सपने रखिए लेकिन उन सपनो के बीच अपनो को भी रखिए।
135- अगर आपको कोई बोलने वाला है तो ईश्वर को धन्यवाद कीजिए, क्योंकि वो बाग जल्दी उजड़ जाते है जिनके माली नहीं होते।
136- निंदा करने वालों और निंदा सुनने वालों से दूर रहिए क्योंकि ये दोनो अपने दिमाग में जहर लेकर घूमते हैं।
137- लोग गलत कहते हैं कि सत्य की राह अकेले चलनी पड़ती है, वास्तविकता है कि सत्य अकेला ही सक्षम होता है।
138- जब बुराई ज्यादा बढ़ रही हो, तो ये मत सोचिए कोई बुराई को बढ़ा रहा है, वास्तव में इसका मतलब है कि समाज को बुराई पसंद आ चुकी है।
139- लोगों के दिमाग में जबसे पैसे ने जगह ले ली तबसे जीवन में अकेलापन बढ़ गया है, क्योंकि पैसे की जगह केवल जेब में होती है।
140- दूसरों को समझाने को कोशिश में अपना समय नष्ट न करें, क्योंकि यहां समझदार तो सभी हैं, पर उनको करना लगत ही है।

141- वो जिनके बहुत चर्चे होते हैं जमाने में वो अक्सर अकेले पाए जाते हैं, क्योंकि भीड़ केवल मतलब से आती है।
142- आजकल लोग चेहरे पर ज्यादा विश्वास करते हैं, इसलिए धोखा खाना भी आम हो गया है।
143- संसार में रहिए लेकिन वैसे रहिए जैसे पानी में कमल रहता है, दिखता पानी के साथ है लेकिन अस्तित्व अलग है।
144- जीवन की पुरानी घटनाओं का जिम्मेदार मत ठहरिए, जिन्दगी नई है नया रास्ता बनाइए और चलते रहिए।
145- किसी के लिए व्यर्थ की चिंता मत करिए, जब समय आएगा सब सही हो जाएगा।
146- कर्म कभी गलत करिए, क्योंकि आप तो भूल जाएंगे लेकिन कर्म का परिणाम आपको हमेशा याद रखता है।
147- जीवन की विजेता वही है, जिसने जीवन में खुद को सम्भालना सीख लिया, क्योंकि लड़खड़ाते तो सभी हैं।
148- संसार की उपलब्धियां आपको इज्जत तो दिलवा सकती हैं, लेकिन सुकून नहीं।
149- ईश्वर की सबसे अद्भूत रचना मनुष्य है, लेकिन अफसोस मनुष्यता ही गिरती जा रही है।
150- जीवन की सबसे प्यारी बात यही है, कि कैसा भी है गुजर ही जाता है।
चाणक्य नीति
151- आपत्ति निवारण के लिए धन की रक्षा करनी चाहिए , धन से भी स्त्री की रक्षा करनी चाहिए, सबकाल में स्त्री और धनो से भी अपनी रक्षा करना उचित है।
152- विपत्ति निवारण के लिए धन की रक्षा करना उचित है, क्योंकि श्रीमानो को भी आपत्ति आती है, कदाचित दैवयोग से और चंचल होने से लक्ष्मी भी नष्ट हो जाती है।
153- जिस देश में न आदर न जीविका, न बन्धु न विद्या का लाभ है, वहां वास नहीं करना चाहिए।
154- धनिक, वेद का ज्ञाता – ब्राह्मण, राजा, नदीं और पांचवा वैद्य ये पांच जहां विद्यमान न हों , वहां एक दिन भी वास नहीं करना चाहिए।
155- जीविका, भय़, लज्जा, कुशलता, देने की प्रकृति जहां ये पांच नहीं हैं, वहां के लोगों के साथ संगति नहीं करनी चाहिए।
156- काम में लगाने पर सेवकों को, दुख आने पर बान्धवो की, विपत्ति काल में मित्र की और वैभव के नाश होने पर स्त्री की परीक्षा हो जाती है।
157- आतुर होने पर, दुख होने पर, काल पड़ने पर, बैरियों से संकट आने पर राजा के समीप और श्मशान में जो साथ रहता है, वही बन्धु है।
158-जो निश्चित वस्तुओं को छोड़कर अनिश्चित की सेवा करता है, उसकी निश्चित वस्तुओं का नाश हो जाता है, अनिश्चित तो नष्ट है ही।
159- नदियों का, शस्त्रधारियों का, नखवाले और सींगवाले, स्त्रियों में और राजकुल पर विश्वास नहीं करना चाहिए।
160-विष में ले भी अमृत को, अशुद्ध पदार्थों से भी सोने को, नीच से भी उत्तम विद्या को, और दुष्ट कुल से भी स्त्रीरत्न को लेना योग्य है।
161- पुरुष से भी स्त्रियों का आहार दूना, लज्जा चौगुनी, साहस छ: गुना और काम आठ गुना अधिक होता है।
162- भोजन के योग्य पदार्थ और भोजन की शक्ति, सुंदर स्त्री और रति की शक्ति ऐश्वर्य और दानशक्ति इनका होने थोड़े तप का फल नहीं है।
163- जिसका पुत्र वश में रहता है, औऱ स्त्री इच्छा के अनुसार चलती है, जो संतोष रखता है उसको स्वर्ग यहीं है।
164-वही पुत्र है जो पिता का भक्त है, वही पिता है जो पालन करता है, वही मित्र है जिस पर विश्वास है,वही स्त्री है जिससे सुख प्राप्त होता है।
165-आंख के ओट होने पर काम बिगाड़े, सन्मुख होने पर मीठी मीठी बात बनाकर कहे ऐसे मित्र को मुहड़े पर दूध से और विष से भरे घड़े के समान छोड़ देना चाहिए।
166- कुमित्र पर विश्वास तो किसी प्रकार नहीं करना चाहिए और सुमित्र पर भी विश्वास न करें इसका कारण है कि, कदाचित मित्र रुष्ट हो जाए तो गुप्त बातों को प्रसिद्ध कर दे।
167- मन से सोचे हुए कार्य का प्रकाश वचन से न करें, किंतु मंत्र से उसकी रक्षा करें और गुप्त ही उस कार्य में काम में लावें।
168- मूर्खता दुख देती है, और युवापन भी दुख देता है, परंतु दूसरे के गृह का वास तो बहुत ही दुख देता है।
169-सब पर्वतों पर माणिक्य नहीं होता और मोती सब हांथियों में नहीं मिलता, साधुलोग भी सब स्थानो में नहीं मिलते और सब वन में चंदन नहीं होता।
170- बुद्धिमान लोग लड़कों को नाना प्रकार की सुशीलता में लगावें, इसका कारण है कि नीति के जानने वाले यदि शीवनान हों तो कुल में पूजित होता है।
171- वह माता शत्रु और पिता बैरी है जिसने अपने बालक को न पढ़ाया इस कारण वे सभा में ऐसे शोभते जैसे हंसो के बीच बकुला।
172- दुलारने से बहुत दोष होते हैं और दंड देने से बहुत गुण , इस हेतु पुत्र और शिष्य को दण्ड देना उचित है लालना नहीं ।
173- स्त्री का विरह, अपने जनो से अनादर, युद्ध करनके बचा शत्रु , कुत्सित राजा की सेवा, दरिद्रता और अविवेकियों की सभा ये बिना आग ही शरीर को जलाते हैं।
174- नदी के तीर के वृक्ष दूसरों के गृह में जाने वाली स्त्री, मंत्रीरहित राजा निश्चचय ही शीघ्र नष्ट हो जाते हैं।
175- वैश्या निर्धन पुरुष को, प्रजा शक्तिहीन राजा को, पक्षी फलरहित वृक्ष को और अभ्यागत भोजन करके घर छोड़ देते हैं।
176- ब्राह्मण दक्षिणा लेकर यज्ञमान को त्याग देते हैं, शिष्य विद्या प्राप्त होने पर गुरू को, वैसे ही जले हुए वन को मृग छोड़ देते हैं।
177- जिसका आचरण बुरा है, जिसकी वृति पाम में रहती है, बुरे स्थान में बसने वाला औऱ दुर्जन पुरुषों की मैत्री जिसके साथ की जाती है, वह नर शीघ्र ही नष्ट हो जाता है।
178- समानजन में प्रीति शोभती है और सेवा राजा की शोभती है, व्यवहार में बनियाई और सुंदर स्त्री घऱ में शोभा देती है।
179-आचार कुल को बतलाता है, बोली देश को जनाती है, आदर प्रीति का प्रकाश करता है, शरीर भोजन को जताता है।
180- कन्या को श्रेष्ठ कुलवाले को देना चाहिए, पुत्र को विद्या में लगाना चाहिए, शत्रु को दुख पहुंचाना उचित है और मित्र को धर्म का उपदेश करना चाहिए।
181- दुर्जन और सर्प इनमें से सर्प अच्छा है दुर्जन नहीं इस कारण कि सांप काल आने पर काटता है दुर्जन पग पग में।
182- राजा लोग कुलीनो का संग्रह करते हैं कि वे आदि अर्थात विपत्ति में राजा को नहीं छोड़ते।
183- समुद्र प्रलय में अपनी मर्यादा को छोड़ देते हैं औऱ सागर भेद की भी इच्छा ऱखते हैं, परंतु साधु लोग प्रलय होने पर भी अपनी मर्यादा को नहीं छोड़ते ।
184- मूर्ख को दूर करना उचित है, इस कारण कि देखने में वह मनुष्य है यथार्थ देखें तो दो पांव का पशु है।
185- कोकिलों की शोभा स्वर है, स्त्रियों की शोभा पतिव्रत, कुरूपों की शोभा विद्या है, तपस्वियों की शोभा क्षमा है।
186- उपाय करने पर दरिद्रता नहीं रहती, जपने वाले को पाप नहीं रहता, मौन होने से कलह नहीं होता और जागने वालों के निकट भय नहीं रहता।
187- कुल के निमित्त एक को छोड़ना चाहिए, ग्राम के हेतु कुल का त्याग उचित है, देश के अर्थ ग्राम का और अपने अर्थ पृथ्वी का अर्थात पृथ्वी का त्याग उचित है।
188- समर्थ को कौन वस्तु भारी है, काम में तत्पर रहने वाले को क्या दूर है और सुंदर विद्यावालों को कौन विदेश है, प्रियवादियों को अप्रिय कौन है।
189- एक भी अच्छे वृक्ष से जिसमें सुंदर फूल और गंध है ऐसे सब वन सुवासित हो जाता है जैसे सुपुत्र से कुल।
190- आग से जलते हुए एक ही लकड़ी के वृक्ष से वह बन ऐसे जल जाता है, जैसे कुपुत्र से कुल।
191-शोक संताप उत्पन्ऩ करने वाले उत्पन्न बहुपुत्रो से क्या ? कुल को सहारा देने वाला एक ही पुत्र श्रेष्ठ है।
192-पुत्र को पांच वर्ष तक दुलारें उपरांत दस वर्ष ताड़न करें सोलवें वर्ष प्राप्ति होने पर पुत्र के साथ मित्र समान आचरण करें।
193-उपद्रव उठने पर शत्रु के आक्रमण करने पर भयानक अकाल पड़ने पर खलजन के संग होने पर जो भागता है वह जीवता रहता है।
194- जहां मूर्ख नहीं पूजे जाते वहां अन्न संचित रहता है, जहीं स्त्री पुरुष में कलह नहीं होता वहां लक्ष्मी आपही विराजमान रहती है।
195-यह निश्चय है कि आयु, कर्म, धन विद्या और मरण ये पांचो जब जीव गर्भ में रहता है, तभी लिख दिए जाते हैं।
196- मछली, कछुई और पक्षी ये दर्शन, ध्यान और स्पर्श से बच्चों को सर्वदा पालती हैं वैसै ही सज्जनो की संगति।
197- विद्या में कामधेनु के समान गुण है इस कारण कि अकाल में भी फल देती है, विदेश में माता के समान है, विद्या को गुप्त धन कहते हैं।
198- एक ही गुणी पुत्र श्रेष्ठ है सो सैकड़ों गुण रहितों से क्या ? एक ही चंद्र सारे अंधकार को नष्ट कर देता है, सहस्त्र तारे नहीं।
199- संसार के ताप से जलते हुए पुरुषों के वविश्राम हेतु तीन है, लड़का, स्त्री और सज्जनों की संगति।
200- राजा लोग एक ही बार आज्ञा देते हैं, पंडित लोग एक ही बार बोलते हैं, कन्या का दान एक ही बार होता है।
201- अकेले में तप दो से पढ़ना, तीन से गाना, चार से पंथ में चलना, पांच से खेती और बहुतों से युद्ध भलीभांति बनते हैं।
202- वही भार्या है, जो पवित्र और चतुर है जो पतिव्रता है, जिस पर पति की प्रीति है वही भार्या है जो सत्य बोलती है अर्थात दान मान पोषण पालन के योग्य है।
202- निपुत्री का घऱ सूना है, बन्धु रहित दिशा शून्य है, मूर्ख का हृदय शून्य है औऱ सर्वशून्य दरिद्रता है।
203- बिना अभ्यास से शास्त्र विष हो जाता है, बिना पचे हुए भोजन विष हो जाता है, दरिद्र को गोष्ठी विष और वृद्ध को युवती विष जान पड़ती है।
204-दयारहित धर्म को छोड़ देना चाहिए, विद्या विहीन गुरु का त्याग कर देना चाहिए, जिसके मुह से क्रोध प्रगट होय ऐसी भार्या को अलग करना चाहिए , और बिना प्रीति बांधवो का त्याग विहित है।
205- स्त्री का गुरू पति ही है, अभ्यागत सबका गुरू है, ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य इनका गुरू अग्नि है, और चारो वर्णों में गुरु ब्राह्मण है।
206- घिसना, पीटना, काटना, तपाना इन चार प्रकारों से जैसे सोने की परीक्षा की जाती है वैसे ही दान, शील, गुण, और आचार इन चारों प्रकार से पुरुष की परीक्षा की जाती है।
207- जब तक ही भय से डरना चाहिए जब तक भय नहीं आय़ा, और आए हुए भय पर प्रहार करना उचित है।
208-जिसको किसी विषय की वांछा नहीं होगी वह किसी विषय का अधिकारी नहीं होगा, जो कामी नहीं होगा वह शरीर की शोभा करने वाली वस्तु में प्रीति नहीं रखेगा, जो चतुर नहीं होगा वह प्रिय नहीं बोल सकेगा, और स्पष्ट कहने वाला छली नहीं होगा।
209-मूर्ख पंडितों से, दरिद्री धनियों से, व्यभिचारिणी कुल स्त्रियों से औऱ विधवा सुहागिनो से बुरा मानती हैं।
210- आलस्य से विद्या नष्ट हो जाती है, दूसरों के हाथ में जाने से धन निरर्थक हो जाता है, बीज की न्यूनता ने खेत हत हो जाता है, सेनापति के बिना सेना नष्ट हो जाती है।
211-अभ्यास से विद्या, सुशीलता से कुल, गुण से भला मनुष्य औ नेत्र से कोप ज्ञात होता है।
212-धन से धर्म की रक्षा होती है, यम नियम आदि योग से ज्ञान रक्षित होता है, मृदुता से राजा की रक्षा होती है, भली स्त्री से घऱ की रक्षा होती है।
213- वेद के पाण्डित्य को व्यर्थ प्रकाश करने वाला, शास्त्र औऱ उसके आचार में व्यर्थ विवाद करने वाला, शांत पुरुषों को अन्यथा कहने वाला ये लोग व्यर्थ ही क्लेश उठाते हैं।
214-दान दरिद्रता का नाश करता है, सुशीलता दुर्गति का, बुद्धि ज्ञान का, भक्ति भय का नाश करती है।
215- काम के समान दूसरी व्याधि नहीं है, अज्ञान के समान दूसरा वैरी नहीं है, क्रोध के तुल्य दूसरी आग नहीं है, ज्ञान से परे सुख नहीं है।
216- यह निश्चय है कि एक ही व्यक्ति जन्म लेता है, मृत्यु पाता है, सुख-दुख एक ही भोगता है, एक ही नरको में पड़ता है, एक ही मोक्ष पाता है, इन कामो में कोई भी किसी की सहायता नहीं करता ।
217- विदेश में विद्या मित्र है, गृह में भार्या मित्र है, रोगी का मित्र औषधि है और मरे का मित्र धर्म है।
218-समुद्रो में वर्षा वृथा है, और भोजन से तृप्त को भोजन निरर्थक है, धनी को धन देना व्यर्थ है, दिन में दीप व्यर्थ है।
219-मेघ के जल के समान कोई दूसरा जल नहीं है, अपने बल समान दूसरे का बल नहीं है इस कारण समय पर काम आता है, नेत्र के तुल्य दूसरा प्रकाश करने वाला नहीं है और अन्न के सदृश दूसरा प्रिय पदार्थ नहीं है।
220-सत्य से पृथ्वी स्थिर है, और सत्य से ही सूर्य तपते हैं, सत्य से ही वायु बहती है, सब सत्य से ही स्थिर है।
221-लक्ष्मी नित्य नहीं है, प्राण, जीवन, घर ये सब स्थिर नहीं है, निश्चय है कि इस चराचर संसार में धर्म ही निश्चचल है।
222-जन्मानेवाला, यज्ञोपवीत आदि संस्कार कराने वाला, विद्या देने वाला, अन्न देने वाला, भय से बचाने वाला, ये पांच पिता गिने जाते हैं।
223-मनुष्य शास्त्र को सुनकर धर्म को जानता है, दुर्बुद्धि को छोड़ता है, ज्ञान पाता है और मोक्ष पाता है।
224-पक्षियो में कौवा और पशुओ में कूकुर चांडाल होता है, मुनियो में चांडाल पाप है, औऱ सच में चान्डाल निंदक है।
225-कांस का पात्र राख से, तांबे का खटाई से स्त्री रजस्वला होने पर औऱ नदी धारा के वेग से पवित्र होती है।
226-भ्रमण करने वाले राजा, ब्राह्मण, योगी पूजित होते हैं , परंतु स्त्री घूमने से नष्ट हो जाती है।
227-जिसके धन है उसी का मित्र और उसी के बांधव होते हैं,और वही पुरुष गिना जाता है औऱ वही पंडित कहाता है।
228-काल सब प्राणियों को खा जाता है, और काल सब प्रजा का नाश करता है सब पदार्थ के लय हो जाने पर काल जागता रहता है, काल को कोई नहीं टाल सकता ।
229- जन्म का अन्धा नहीं देखता काम से अंधा हो रहा हो उसे सूझता नहीं मदोन्मत किसी को देखता नहीं और अर्थी दोष को नहीं देखता।
230- जीव आपही कर्म करता है, और उसका फल आप ही भोगता है, आप ही संसार में भ्रमता है, और आप ही उससे मुक्त होता है।
231-अपने राज्य में किए हुए पाप को राजा और राजा का पुरोहित भोगता है और स्त्रीकृत पाप को स्वामी भोगता है वैसे ही शिष्य के पाप को गुरू।
232- ऋण करने वाला पिता शत्रु है व्य़भिचारिणी माता और सुंदरी स्त्री शत्रु है और मूर्ख पुत्र वैरी है।
233- लोभी को धन से अहंकारी को हांथ जोड़ने से मूर्ख को उसके अनुसार बरतने से और पन्डित को सच्चाई से वश में करना चाहिए।
234-राज्य न रहना अच्छा लेकिन कुराजा का राज्य होना अच्छा नहीं , मित्र का न होना अच्छा लेकिन कुमित्र को मित्र करना अच्छा नहीं , शिष्य नहीं यह अच्छा लेकिन परंतु निंदित शिष्य कहलाए यह अच्छा नहीं, भार्या न रहे यह अच्छा पर कुभार्या का होना अच्छा नहीं है।
235- दुष्ट राजा के राज में प्रजा को सुख और कुमित्र मित्र से आनंद कैसे हो सकता है, दुष्ट स्त्री से गृह प्रीति और कुशिष्य को पढ़ाने से कीर्ति कैसे होगी ।
240- विद्वान पुरुष को चाहिए कि इन्द्रियों का संयम करके देश काल औऱ बल को समझकर बगुले के समान हर कार्य को साधे।
241- छिपकर मैथुन करना धैर्य करना समय में घर संग्रह करना सावधान रहना और किसी पर विश्वास न करना इन पांच को कौवे से सीखना चाहिए।
242- बहुत खाने की शक्ति रहते हुए भी थोड़े में संतुष्ट होना , गाढ़ निद्रा रहने पर भी झटपट जागना स्वामी की भक्ति और शूरता इन छ: गुणों को कुत्ते से सीखना चाहिए।
243- अत्यंत थक जाने पर भोझ को ढोते रहना, शीत और ऊष्मा पर दृष्टि न देना सदा संतुष्ट होकर विचरना इन तीन बातों को गधे से सीखना चाहिए।
245-धन का नाश, मन का ताप, गृहणी का चरित्र, नीच का वचन इनको बुद्धिमान प्रकाश न करे।
246- अन्न और धन के के व्यापार में विद्या के संग्रह करने में आहार और व्यवहार में जो पुरुष लज्जा दूर रखेगा वो सुखी रहेगा।
247- अपनी स्त्री भोजन और धन इन तीनो में संतोष करना चाहिए, पढ़ना जप और दान इन तीनो में संतोष नहीं करना चाहिए।
248- दो ब्राह्मण, ब्राह्मण और अग्नि, स्त्री पुरुष, स्वामी भृत्य, हल औऱ बल इनके मध्य होकर नहीं जाना चाहिए।
249- गाड़ी को पांच हांथ पर, घोड़े को दस हांथ पर, हांथी को हजार हांथ पर, दुर्जन को देश त्याग करके छोड़ना चाहिए।
250- अग्नि गुरू औऱ ब्राह्मण इनको पैरे से कभी नहीं छूना चाहिए वैसे ही गौ को, कुमारी को, बृद्ध को, बालक को पैरे से नहीं छूना चाहिए।
251- हांथी केवल अंकुश से, घोड़ा हांथ से, सींग वाले जंतु लाठी से और दुर्जन तलवार संयुक्त हांथ से दंड पाते हैं।
Suvichar
कुदरत कभी हमारा साथ नहीं छोड़ती , गलतियां हमारी ही हैं, कि हम उसी को उपेक्षित करने में लगे हैं।
अपने नेक कर्मों से दूसरों को भी खुशिया बांटिए, ताकि आपके कर्म के खाते में खुशियों का बैलेंस फुल रहे।
हार का डर वास्तव में एक भ्रम हैं,जो परिस्थितियों का सामना न करने के कारण पैदा होता है।
जब इंसान अपनी किस्मत को कोसता है, वास्तव में वो अपनी ही काबिलियत पर उंगली उठाता है।
जब तक आपके विचारों में संतुलन नहीं आएगा,तब तक बेहतर सृजन संभव नहीं है।
जो कुछ भी आपके पास है, वो आपके कर्मों का ही परिणाम है,बेहतर होगा,आप विपरीत परिणामो के लिए शोक न करें,बल्कि जीवन परिवर्तन के लिए कार्य करें।
अगर आपको सभी में कमियां नजर आने लगे,तो समझ लीजिए आपने अपना ख्याल रखना बंद कर दिया है।
आधुनिकता के दौर में इंसान संवेदनाएं पढ़ना भूल गया है,और समझदारी का तमगा लिए घूम रहा है।
जब आपके इरादे बुलंदियों पर हों, तो मुश्किलों का धराशाय़ी होना तय है।
अगर कोई अकेले में मुस्कुरा सकता है, इसके दो मतलब हैं,या तो उसकी संगति अच्छी है, या फिर उसने संगति को अच्छा बनाना सीख लिया है।
धोखे से मिली हुई सफलता आपसे सीखने का अवसर और आत्मविश्वास हमेशा के लिए छीन लेती है।
लोगों की सादगी ने ही उन्हे महान बनाया है, दिखावे तो केवल धोखा करने के लिए होते हैं
जीवन की समस्या उस रात की तरह है, जिसकी सुबह निश्चित है, केवल आपको सुबह होने तक अंधेरे से संघर्ष जारी रखना है।
केवल हर कभी जीतने वाला इंसान विजेता नहीं होता , बल्कि जीवन में क्या हारना है, ये जानने वाला भी विजेता होता है।
इंसान कभी कोशिशे करके नहीं हारता , बल्कि नाउम्मीदी उसको हरा देती है।
जीने के लिए गुस्ताखियां तो करनी ही पड़ती है,बस शर्त केवल ये है, कि फरेब न हो जाए।
ऐसा नहीं है,कि लोग अयोग्य हैं, दरअसल लोग धैर्य की कमी के चलते एक विचार पर पूरी प्रतिक्रिया नहीं कर पा रहे हैं।
वो लोग जो अक्सर फकीरी में जीते हैं, होंठो पर मुस्कान और दुआएं साथ में रखते हैं।
हर शख्स आजकल व्यस्त बहुत है,लेकिन गुस्ताखी केवल इतनी करता है, कि भागता पैसे के पीछे है,लेकिन चाहता सुकून है।
दूसरों से अपनी तुलना करके हीन समझने से अच्छा है,खुद को तराशने का काम करते रहें, किस्मत आपको खुद तलाश लेगी।
इंसान आजकल गलतफमी का शिकार ज्यादा हो रहा है, हौसला समुंदर पार करने का रखता है, लेकिन सहारा दूसरों का ढूढ़ता है।
लोगों के पास समस्याएं होने की वजह ये भी है, कि वो समाधान ढूढ़ने के बजाय समस्या को प्रचारित करने में लगे हैं।
लोगों से अंजान बनकर मिलना अच्छा रहता है, गिले शिकवे की गुंजाइश नहीं रहती ।
तूफानो और समस्याओं से लड़ने का अच्छा तरीका है, शांत रहकर उसकी गति को नापना , ताकि उसको सही दिशा दी जा सके।
इंसान कमजोर तब तक ही रहता है,जब तक उसका मुकाबला औरों से रहता है,जिस दिन वो खुद को पा लेता है, पता नहीं कितनो का हौसला बन जाता है।
अगर आपको सारी दौलत बेचकर खुशियां मिले तो सौदा महगा नहीं है,आप खुशियां बांटने का हुनर सीख लो, दौलत बेशुमार आ जाएगी।
वो जो अक्सर हालातों को कोसते है, वो अपनी ही काबिलियत से अंजान है।
आपके जीवन की परिस्थितियां उस वृक्ष की तरह हैं, जिसको आपने जाने अंजाने (अपने कर्मों के माध्यम से ) लगाया था,और आज उसका फल सामने है।
प्रकृति का हिसाब सर्वोत्तम है,आपके पास जो कुछ भी है,सब आपके कर्म और भाग्यानुसार ही मिला है,इसीलिए आपके पास जो नहीं है,उसके लिए केवल प्रयास करें,दुखी होने से कुछ हांसिल नहीं होगा।
लगातार मेहनत करने के बाद भी सफलता नहीं मिल रही तो यकीन मानिए, दुआओं की कमी हो सकती है, आप दुआएं कमाना भी शुरू करिए।
हर बार मुश्किलें मेरे हारने का इंतजार करती हैं, पर मेरे हौसले अक्सर बाजी मार जाते हैं।
लोगों की फितरत दिखावे को पसंद करने की हो गई है, और कहते हैं, लोगों को पहचानना मुश्किल है।
आईने का धर्म ही दाग दिखाना है,लोकिन लोगों को दुश्मनी दाग से रखनी चाहिए,पर इल्जाम सारा आईने पर ही आ गया।
लोग किसी के सादगी भरे रवैये को शायद इसलिए भी बर्दाश्त नहीं कर पाते,क्योंकि सरल व्यक्ति उस कठिनता को पार करने के बाद ही सरल बना है, जिसको पाने की लोग आज भी ख्वाइश रखते हैं।
हर किसी को अपनी सलाहकार न बनाएं, क्योंकि समुंदर की गहराई का अंदाजा केवल उसे होता है,जिसने कभी तैरने की कोशिश की हो,बांकि भीड़ केवल देखने वालों की होती है।
आसमान की बुलंदियों को पाने की चाहत सभी को होती है, लेकिनसिल केवल उसी होती है, जो जमीन से सीढ़िया बनाना जानता है।
किसी इंसान के शब्दों से जयादा उसकी भावनाएं अह्म होती हैं,इसलिए शब्दों को समझने के लिए भावनाएं और पृष्ठभूमि को समझना जरूरी है।
इंसान की किस्मत कभी धोखा नहीं करती , ये तो उसका धैर्य है, जो डगमगाता रहता है।
अगर आपको भी कामयाब होना है, तो अच्छा इंसान बनने की तरफ कदम बढ़ाइए,क्योंकि आपको भीड़ भी नहीं मिलेगी और कामयाबी पक्की।
दुनिया में बदलाव आपके विचारों से आए या न आए, आपके कर्मों से जरूर आएगा।
अगर आपको अच्छी संगति की तलाश है, तो सबसे पहले वो बदलाव खुद में लाइए, जो आप दूसरों से चाहते हैं, धीरे धीरे आपकी संगति और जीवन में बदलाव आ जाएगा।
मंजिलों को बेवजह गुमान हो गया है,खुद पर , शायद उन्हे मालूम नहीं है, कि मुसाफिरों के लिए मंजिल पड़ाव है, ठिकाना नहीं।
सफर में धूप का भी स्थान श्रेष्ठ है,क्योंकि रुकने का आसरा तो नहीं देती , लेकिन कदमों की रफ्तार बढ़ा देती है।
इंसान की दुख की वजह ये भी है,कि वो अब किसी को देना नहीं चाहता , लेकिन दूसरों से पाने की उम्मीद बहुत ज्यादा रखता है।
जो दूसरों को खुशियां बांटता है,वो कभी दुखी नहीं रह सकता ,क्योंकि कुदरत का उसूल है, जो बीज बोओगे फल वही मिलेगा।
जो जीतने की ख्वाइश रखते हैं, मुश्किलों का जिक्र नहीं किया करते,जिनका ख्वाब है, समुंदर पार करना, गहराइयों की फिक्र नहीं किया करते ।
अगर आप किसी को प्यारी सी मुस्कान देकर भी मिलते हैं, तो ये नेक काम है, क्योंकि आपकी मुस्कान सामने वाले को खुश रहने के लिए प्रेरित करती है।
आपकी सफलता का दरवाजा उस दिन से खुल जाता है, जब आप अपनी कमियां फहचानने लगते हैं,और सफल उस दिन हो जाते हैं,जब आप उन कमियों को खूबी में तब्दील कर लेते हैं।
चुनौतियों से निपटने का अच्छा तरीका है,कि उसको जीवन के सुनहरे अवसर के रूप में लिया जाए,ताकि उसके हर एक पहलू का विश्लेषण करके अच्छी सीख ली जा सके।
जब लोग रिश्तो में भावनाओं की जगह दिखावे और शब्दों को महत्व देने लगते हैं,तो रिश्ते की बुनियाद भी वही हो जाती है,जिसका टूटना जायज है,क्योंकि भावनाओं को हर बार शब्दों में व्यक्त नहीं किया जा सकता,और इंसान को हर वक्त किसी वस्तु का जरूरत नहीं होती , बल्कि अपनेपन की जरूरत होती है।
जब इंसान सरल हो जाता है,तो उसकी सारी समस्याएं उसी तरह समाप्त हो जाती हैं,जिस तरह झरना अपनी सरलता की वजह से पहाड़ो में भी रास्ता बना लेता है।
जब आपके अंदर इंसानियत आ जाती है, तो आप वास्तव में इतने योग्य बन जाते हैं, कि किसी की संवेदना पढ़ सकें।
अगर आपको हारने के बाद भी प्रयास करने से परहेज नहीं है,तो यकीन मानिए आपको केवल सफलता नहीं मिलेगी,बल्कि आपके सफलता की गाथा बनने वाली है।
असफलता आपके हार की परिचायक नहीं है, बल्कि आपके प्रयत्नशील होने का प्रमाण है।
जब आपको लगे कि दूसरे आपको दुखी करने की फिराक में हैं, तो आप खुद से नजदीकियां बढ़ा लीजिए।
सफल लोगों की जवान खामोश रहती है, क्योंकि वो हमेशा कार्य में लीन रहते हैं, लेकिन उनकी सफलता की कहानियां अक्सर शोर मचाया करती हैं।
जब आप किसी की सहायत करते हैं,तो वास्तव में आप केवल सहायता नहीं करते , बल्कि आप कई औरों की आंखो में उम्मीद जगाते हैं, कि इंसानियत आज भी जिंदा है।
6किसी अच्छे इंसान की अच्छाइयों को उसकी कमजोरी न समझें,क्योंकि वो कमजोर नहीं है,बल्कि वो उस वृक्ष की तरह है,जिसके फल से अनगिनत लोगों को लाभ होगा।
जब आप रिश्तो को तर्क से जीतने की कोशिश करते हैं, तो आपका तर्क जीत जाता है, लेकिन रिश्ता हार जाता है, क्योंकि रिश्तों को प्यार और भावनाओं से जीता जाता है।
अगर आप इंसानो से सौदेबाजी करना सीख गए हैं, तो यकीन मानिए आपको व्यापारी ही मिलेंगे, इंसान मिलने की उम्मीद मत करिए।
किसी के साथ किया गया धोखा कांटो के बीज बोने जैसा है,जिसके कांटे चुभना निश्चित है,बेहतर होगा हम खुशियों के बीज बोना सीख जाएं।
गलतियां बेनकाब करना कौन सा हुनर का काम है,हुनर तो इसमे है,कि गलतियों को अवसर में तब्दील करने का तरीका बताया जाए।
जब आप कठिन रास्तों पर चल रहे हों, तो आपको प्रय़ास के साथ धैर्य ऱखना जरूरी होता है, क्योंकि आपका प्रय़ास उस पेड़ की तरह है, जिसकी आप देखभाल करते रहिए, समय आने पर फल जरूर देगा।
6आपके संघर्ष और सफलता में केवल इतना अंतर है, कि संघर्ष के समय लोग बोलते हैं, लेकिन संघर्ष के बाद सफलता शोर मचाया करती है।
6आपके संघर्ष और सफलता में केवल इतना अंतर है, कि संघर्ष के समय लोग बोलते हैं, लेकिन संघर्ष के बाद सफलता शोर मचाया करती है।
6जब तक इंसान के पास लालच रहेगा,वो दुखी रहेगा, क्योंकि लालची व्यक्ति को कोई भी पैसे के लिए अपना गुलाम बना सकता है।
6किसी ज्ञान का मूल्य तभी है, जब उसको जीवन में उतारा जाए, क्योंकि बिना अनुभव में आए ज्ञान व्यर्थ है।
साहसी लोग अपना रास्ता खुद चुनते हैं, जबकि कमजोर लोग असफलता और लोगों के डर से अपना रास्ता बदल लेते हैं।
जितनी शिकायतें लोग अपनो की गैरों से करते हैं, उतनी बातें अपनों से करने लगें तो जिंदगी गुलजार हो जाए।
वो जो बार बार गिरने के बाद चलने को तैयार हो जाते हैं, या तो वो जिंदगी को समझ चुके हैं, या फिर वो बदलाव लाने के लिए बने हैं।
किसी को कम आंकने की आदत हमें खुद को बेहतर बनाने से रोकती है।
जब लोग कांटो का कारोबार करने लगें, तो समझो फूलों की जरूरत है, उसी तरह जब जीवन में कठिनाइयां बढ़े तो समझो सरल बनने की जरूरत है, ताकि आप फूलों की तरह खिलते रहें।
किसी अवसर का इंतजार करने से अच्छा है,आप खुद ही अवसर के निर्माता बन जाइए।
जीतने की कला किसी को विरासत में नहीं मिलती, इंसान इसे संघर्षों से प्राप्त करता है।
जब आप खुद को कमजोर समझने लगते हैं, तो सारी परिस्थितियां आपके विपरीत हो जाती हैं, क्योंकि आप उन्हे बेलगाम छोड़ देते हैं।
दूसरों से उम्मीदें,हमारी निराशा का कारण हैं, क्योंकि उम्मीदों की वजह से हम अपनी योग्यता भी नहीं बढ़ाते, और हमारी उम्मीदें भी धराशायी हो जाती हैं।
अगर आपको लगता है, लोग आपके रास्ते में बाधा बन रहे हैं, तो यकीन मानिए आप लक्ष्य से ज्यादा लोगों की बातों को अहमियत दे रहे हैं।
किसी की दुश्मनी के असर को खत्म करने की सही तरीका है, उसे अपनी तरफ से माफ कर दो, क्योंकि दुश्मनी से ज्यादा आपकी खुशी महत्वपूर्ण है।
जिन लोगों को लगता है, तो दूसरों को बहुत जानते हैं, वास्तव में वो न तो खुद को जान पाते हैं, न दूसरों को।
अच्छा इंसान बनने के लिए किसी संस्थान की आवश्यकता नहीं होती ,जरूरत है तो केवल लोगों के साथ वैसा व्यवहार रखने की जैसा हम खुद के साथ चाहते हैं।
बेकार की मायूसियों से अच्छा है, बेवजह खुश रहना।
दूसरों के चेहरे पर मुस्कान लाने के लिए ज्यादा काबिलियत की जरूरत नहीं पड़ती ,आप किसी से प्यार से बातें कर लीजिए वो खुश हो जाएगा।
कोई भी व्यक्ति जन्म से महान नहीं होता, लोग अपनी आदते बदलकर महान बन जाते हैं।
सीखने की आदत कभी आपको हारने का मौका नहीं देती ।
जितनी कमियां हम दूसरों में निकालते हैं,अगर हम खुद को उतना योग्य बना लें, तो दूसरे खुद ब खुद बदल जाएंगे।
आपकी जिंदगी का अर्थ तभी है, जब वह दूसरों के लिए भी अर्थपूर्ण हो।
जब आपको खुश रहने का मन करे , तो आपके पास जो है, उसके लिए आभार प्रकट शुरू करें,चाहे वो धन वो चाहे, स्वास्थ या फिर अन्य।
पहले हर खुशी मुस्कान और दुख आंसू कहते थे, जब से लोगों ने फरेब करना शुरू किया , इन पर भी पाबंदियां लग गई।
पहले हर खुशी मुस्कान और दुख आंसू कहते थे, जब से लोगों ने फरेब करना शुरू किया , इन पर भी पाबंदियां लग गई।
वो जिनके ख्वाब बड़े होते हैं, रास्ते की ठोकरें नहीं गिना करते ।
जब आप परिस्थितियों को केवल परिस्थितियां समझने लगें, तो समझो जीना आ गया,लेकिन अगर आपको ये समस्याएं लगने लगें, तो धैर्य के साथ सामना करिए, आपको जीना आ जाएगा
समस्याएं बड़ी लगने का मतलब ये नहीं है, कि वो आपसे बड़ी हैं,इसका मतलब केवल ये है, कि आपने अपनी क्षमता को संगठित नहीं किया है।
जिंदगी का एक उसूल बना लो,कि कुछ भी हो जाए, ना उम्मीद मत होना, क्योंकि अंधेरा कितना भी घना हो,सूरज निकलेगा ही।
जिन कठिनाइयों का हम सामना ज्यादा करते हैं, वास्तव में वही जीवन को सरल बनाने में हमारी सहायता करती हैं।
जब आप अपनी तुलना किसी और से कर रहे होते हैं,वास्तव में आप अपनी विशेषताओं की उपेक्षा कर रहे होते हैं,क्योंकि प्रकृति की हर चीज अपने आप में अद्वितीय है,बेहतर होगाा आप अपनी विशेषताओं को तराशने का प्रयास करें।
शब्द केवल वही बोलने लायक होते हैं, जो किसी के दिल को आघात न पहुंचाए।
चुनौतियो का किस्सा तो रोज का है, क्यों न हम भी बेवजह खुश रहने की आदत डाल लें।
जीतने के लिए मन जिद्दी सा होना चाहिए, ताकि तकलीफें,घुटने टेक सकें।
जितनी कोशिशें हम दूसरों को बदलने के लिए करते हैं,उतनी खुद के लिए करने लगें, तो शिकवे की गुंजाइश ही खत्म हो जाए।
जब हम किसी के द्वारा दिए गए धोखे से दुखी होते हैं,उस समय हम किसी औऱ की गलती के लिए खुद को दुख दे रहे होते हैं,जबकि वह समय हमें खुद की क्षमता बढ़ाने के लिए उपयोग करना चाहिए।
जब आप किसी को बदलाव के लिए प्रेरित करना चाहते हैं,तो बेहतर होगा सबसे पहले वो बदलाव अपने आप में लाइए,क्योंकि जो आपके पास नहीं है,वो किसी और को आप नहीं दे सकते ।
किसी लक्ष्य की प्राप्ति के लिए आपको लक्ष्य की प्राप्ति तक साहस और धैर्य रखना पड़ता है।
इंसान का किरदार शानदार होना चाहिए, किस्मत तो कभी भी बदल सकती है।
लक्ष्य कितना भी बड़ा हो कोशिश करते रहिए, क्योंकि लक्ष्य को अधूरा छोड़ना खुद की काबिलियत पर शक करना है।
जो विचार आप ग्रहण करते हैं, वही सृजन का आधार होते हैं,बेहतर होगा आप सृजनात्मक विचार ही ग्रहण करें।
परेशानियों का किस्सा लाजवाब है, आती कुछ दिनो के लिए हैं, पर सिखा बहुत कुछ जाती हैं।
दुनिया में परोपकार से बढ़कर कोई खुशहाल रहने का साधन नहीं है,इसलिए आप प्रकृति की,स्वयं की ,पशु पक्षियों की और मनुष्यों की सेवा करते रहिए, आपको खुशी ढूढ़ने की जरूरत नहीं पड़ेगी।
लोगों के असफल होने की सबसे बड़ी वजह यह है, कि वो मंजिल बदल लेते हैं, पर एक लक्ष्य के रास्ते नहीं बदलते ।.
लोगों के कहने के डर से अपना लक्ष्य कभी न छोड़ें,क्योंकि लोग केवल सवाल तब तक ही करेंगे,जब तक आप कामयाब नहीं हो जाते ।
जीवन कोई दौड़ नहीं है कि उसमें जीता जाए,बल्कि यह एक अवसर है, कि आप परिस्थितियों को संभावना में बदल सकें।
जब इंसान किसी को गिराने की सोचता है,असल में वो खुद को बचाने का हुनर भी भूल जाता है,क्योंकि आप उसी काम में माहिर हो सकते हैं, जो आपने किया है,बेहतर होगा आप किसी गिरते को उठाने का हुनर सीख लें।
मन में हार का डर होने के मतलब ये नहीं है, कि आप कमजोर हैं, केवल आपमें समस्याओं से मुकाबला करने का अनुभव कम है।
विपरीत परिस्थितियों में किसी की थोड़ी सी सहानुभूति भी मुश्किलों से लड़ने का हौसला दे जाती है।
आपका उत्साह लक्ष्य प्राप्ति के लिए असीमित ऊर्जा का स्त्रोत है।
ऐसी कोई मंजिल नहीं है, जो इंसान की पहुंच से दूर हो, शर्त केवल इतनी है , कि आपमे असीमित चलने की आदत हो।
अगर कभी आपकी हार निश्चित हो तो भी मैदान न छोड़ें, क्योंकि अगर आप असफल भी हुए तो अगली बार सीखकर आप विजेता बन सकते हैं।
अगर आप चाहते हैं, कि किस्मत आपका अनुसरण करे, तो आप कर्मों को अपना लक्ष्य बना लीजिए।
इंसान के लिए रास्ते कभी खत्म नहीं होते , केवल गलती इतनी है, कि उसके कदम रुक जाते हैं।
खुद को योग्य बनाने के लिए जरूरी कदम अयोग्यता को पहचानना और स्वीकार करना है, ताकि योग्यता की तरफ कदम बढ़ाया जा सके।
आपके असफल होने पर भी आपका प्रयास विफल नहीं जाता , केवल आपको इस अनुभव को भुनाने की कला सीखना है।
आप जिसके बारे में सोचते हैं, वही आपको मिलता है,कामयाबी का भी यही उसूल है,अगर आप इंतजार करोगे, तो इंतजार ही करते रह जाओगे,लेकिन जब आप प्रयास करने के बारे में सोचेंगे, तो सफलता निश्चित है।
बदलाव की चाहत सभी को है, पर अधिकतर लोग कोशिश कोई नहीं करना चाहते , इसीलिए कभी कुछ नहीं बदलता।
मुश्किलें आपको जब तक आजमाती हैं, जब तक आप लक्ष्य के लिए दृढ़ नहीं हो जाते ।
लोग जब शिक्षा और संस्कार से ज्यादा दिखावे को तरजीह देने लगते हैं, तो वो गुमराह होने लगते हैं।
सहजता से समस्याएं सुलझाने का तरीका है, कि खुद को इतना मजबूत बना लिया जाए, कि समस्याएं छोटी लगने लगें।
सच्चा मित्र फूल की तरह होता है, जिसके साथ रहने से आपका चरित्र भी महकने लगता है।
किसी के प्रति बदले की भावना रखना , किसी के नकारात्मक विचार को खुद के अंदर रखना है।बेहतर होगा हम उसको भुलाकर आगे बढ़ें।
कोई भी इंसान कोशिशे करके नहीं हारता , वास्तव में वो नाउम्मीद हो जाता है।
अपने विचारों और कर्म को अनुशासित करना ही सफलता का मूल मंत्र है।
किसी की काबिलियत की पहचान सफलता से नहीं होती , बल्कि विपरीत परिस्थितियों को अपने पक्ष में करने से होती है।
कर्जदार उनके रहिए, जो वक्त पर काम आएं, लेकिन सावाधान उनसे रहिए, जो धोखा दे जाएं।
आपकी कामयबी से केवल अयोग्य लोग ही जलते हैं,बेहतर होगा उन्हे नजरअंदाज करिए।
जिंदगी में किसी से कुछ सीखने का अनुभव मिले तो जरूर सीखिए, क्योंकि किसी की सीख उसके जीवन का अनुभव होता है, जो आपको बिना संघर्ष किए मिल रही होती है।
दुनिया में सलाह केवल ईमानदार और अनुभवी लोगों से लेनी चाहिए,क्योंकि अनुभव वास्तविकता से परिचय करवाता है, औऱ ईमानदारी में गुमराह होने की संभावना नहीं रहती।
आपकी किस्मत तराजू के पलड़े की तरह है,जिसके एक पलड़े पर भाग्य औऱ दूसरे पलड़े पर आपका कर्म होता है, जिस दिन आपका कर्म उससे ज्यादा हो जाएगा,किस्मत आपकी हो जाएगी।
किसी से उम्मीद आपको ज्यादा परेशान करती है,क्योंकि वह आपके नियंत्रण में नहीं है,बेहतर होगा आप दूसरों से उम्मीद नरखें,और अपने आपको हमेशा मजबूत बनाकर रखें।
आप श्रेष्ठ तभी माने जाते हैं,जब आप औरों को भी श्रेष्ठ बनाने का प्रयास करते हैं, पेड़ भी इसी लिए पूजे जाते हैं, क्योंकि वो फल और छांव देते हैं।
आपकी सफलता में एहसान उस पत्थर का भी होता है, जिसकी ठोकर लगने से आप सम्हलना सीख जाते हैं।
आपके हौंसलो के सामने हर मुश्किल धराशायी हो सकती है, शर्त केवल यह है, कि आप पीछे न हटें।
मुश्किलों को आसान बनाने का काम तजुर्बे का है, आप केवल कर्म करते रहिए,तजुर्बा अपने आप आ जाएगा।
दिल में अरमान बेशक बड़े रखिए, लेकिन फिक्र इतनी करिए कि आपकी मुस्कान न छिन जाए।
परिस्थितियां मौसम की तरह होती हैं,जो बदलती रहती हैं, हम उन्हे चाहकर भी नहीं रोक सकते , लेकिन हम अपना बचाव कर सकते हैं, बेहतर यही होगा कि हम मजबूत हो जाएं,ताकि वो हमें प्रभावित न कर सकें।
किसी की सहायता करना भी आपके अंदर असीमित साहस और ऊर्जा पैदा करता है, जिससे आप समस्याओं को सुलझाने में निपुण हो जाते हैं।
सफलता की शुरुआत विश्वास से होती है,जब आपको खुद पर विश्वास हो जाए कि आप सफलता प्राप्त कर लेंगे, तो सफलता निश्चित है।
किसी की सच्ची प्रशंसा सामने वाले के लिए उपहार है, जो उसको आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करता है।
आपके फैसले के हर पहलू के केवल आप ही जानते हैं, इसलिए अपने सपनो को उड़ान उसी गति से दीजिए न कि दूसरों के अनुसार।
आपके हालात सही न हों, कोई बात नहीं लेकिन आपके इरादे सही होने चाहिए,हालात खुद ब खुद बदल जाएंगे।
आपकी जिंदगी में हारने जैसा कुछ भी नहीं है,क्योंकि आपके पास हमेशा अनगिनत विकल्प मौजूद होते हैं,और कभी कभी आप लक्ष्य को हतोत्साहित होकर छोड़ते हैं,बेहतर होगा आप संभावनाएं तलाशते रहिए।
किसी भी सफलता की पहली सीढ़ी खुद का आंकलन करना है,ताकि आप वास्तविक क्षमता का पता लगा सकें,और आप बेहतर योजना बना सकें।
आपका वास्तविक शुभचिंतक वही होता है, जो आपसे कभी कोई उम्मीद नहीं रखता,बल्कि आपकी उम्मीदें पूरी करने के लिए सोचता है।
जैसे जैसे आप दिखावे की और बढ़ते हैं, आप वास्तविकता से दूर हो जाते हैं,क्योंकि वो आपके नजरिए को बदल देता है।
आईना दाग तो दिखा देता है, लेकिन वो भूल जाता है, कि वो खुद कितना कमजोर है, उसी तरह इंसान दूसरों की कमियां गिनते गिनते खुद की कमियां देखना भूल जाता है।
आप खुद के प्रति जितना ईमानदार और अनुशासित रहेंगे, आपका आत्मविश्वास उतना ही बढ़ता जाएगा।
इंसान का गुरूर उसकी व्यापकता की संभावनाएं खत्म कर देता है।
किसी भी कार्य में सफलता के लिए आपको भरपूर उत्साह और एकाग्रता की जरूरत होती है।
मन में हार का डर केवल भ्रम है,क्योंकि हमारे पास हमेशा विकल्प मौजूद होता है,बेहतर है, हम परिस्थिति में सकारात्मक रहना सीख जाएं।