मुश्किलों का दौर तभी तक है, जब आप आप समाधान के लिए प्रयास नहीं करते।
एक बार एक इंजीनियर को जंगल के बीचों बीच सड़क बनाने का काम मिला, और उसको निर्देश दिया गया कि आपको जंगलों के बीच से रास्ता बनाना है, लेकिन आप किसी भी पेड़ को नहीं काटेंगे, लेकिन आप आसपास की झाड़ियों को हटाकर सड़क बना सकते हैं, जरूरत पड़ने पर टहनियां काट सकते हैं।इंजीनियर अब अपनी टीम के साथ जंगल की तरफ चल पड़ा और जंगल पहुंच गया , और वहीं जंगल के पास वाले गांव में ठहर गया, और वो आसापास के लोंगो से पूंछने लगा कि उसे रास्ता बनाना है, लेकिन पेड़ नही काटना, आप लोग कोई ऐसी जगह बताएं,जहां से रास्ता बनाने का काम शुरू किया जाय, लेकिन पेड़ को न काटना पड़े, तो गांव वालों ने कहा, कि रास्ता तो बन सकता है, लेकिन समस्या ये है, कि आपको पेड़ काटना ही पडेगा, इंजीनियर और उसकी टीम निराश हो गई , कि अगर ये सड़क नहीं बनेगी तो हम लोगों का प्रमोशन भी रुक सकता है।
काफी विचार विर्मश करने के बाद इंजीनियर ने खुद जाने का निश्चय किया कि वह खुद ही रास्ते का सर्वे करेगा, क्योंकि लोगों ने अपने नजरिये से देखा होगा, इंजीनियर और उसकी टीम अब जंगल का सर्वे करने लगी, कुछ दिन तक सर्वे करने के बाद इंजीनियर इस निर्णय पर आया कि इस जंगल से रास्ता बनाया जा सकता है, केवल मेहनत थोड़ी ज्यादा करने पड़ेगी, और बजट ज्यादा लगेगा, लेकिन कुछ जगह थोड़ा सा मोड़ देकर औऱ टहनियों को हटाकर रास्ता बनाया जा सकता है,और इंजीनियर ने अपनी टीम को सड़क बनाने का काम सौंप दिया। और सड़क बनाने का कार्य शुरू हो गया, औऱ कुछ महीने में सड़क बनकर तैयार हो गई । और सड़क बनने के बाद इंजानियर औऱ उसकी टीम को इस कार्य के लिए कई अवार्ड दिये गये, क्योंकि जंगल के बीच से रास्ता बनाने का कार्य बहुत कठिन था, और यह उस इंजीनियर के लिए अब तक की सबसे बड़ी उपलब्ध थी।
ये कहानी हमें सिखाती है , कि हमे समस्याएं तब तक ही असंभव लगती हैं , जब तक हम खुद समाधान के लिए प्रय़ास नहीं करते, और समस्याएं जितनी बड़ी होती हैं, हमारी उपलब्धि भी उतनी ही बड़ी होती है, इसलिए हमें खुद पर विश्वास रखकर किसी भी समस्या का सामना करना चाहिए।
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