खुश कैसे रहें?
खुश कैसे रहें?

खुश कैसे रहें?

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एक बार एक दर्जी जो कि राजा के यहां कपड़े सिलने का काम करता था, राजा ने अपना कुर्ता सिलने के लिए दिया,और उससे बोला कि अगर मुझे कुर्ता पसंद आ गया तो तुम्हे मुह मागा इनाम मिलेगा। अब दर्जी को लगा कि इस कुर्ते को सिलने के लिए मुझे ज्यादा मेहनत करनी चाहिए, ताकि मैं राजा से इनाम ले सकूं, ये सोचकर दर्जी ने राजा के कुर्तें का नाप लिया, और कुर्ता सिलना शुरू कर दिया। कुछ दिन बीतने के बाद राजा ने कुर्ता मगाया , दर्जी कुर्ता लेकर राजा के पास गया, राजा को भी वो कुर्ता बेहद पसंद आया, और राजा ने खुश होकर दर्जी से कहा , इस कुर्ते की सिलाई के बदले तुम्हे क्या चाहिए? तो दर्जी सोचने लगा, कि मैं राजा से ऐसा क्या मागू,अगर मैं धन मागूं तो कितना मागूं , क्योंकि अगर मैने ज्यादाकुछ माग लिया और राजा को बुरा लग गया तो मुझे नौकरी से भी निकाल दिया जायेगा,इसलिए उसने सोचा कि राजा ने तो मुह मागा देने का बोला है,इसलिए मैं राजा को स्वेच्छा से कुछ देने को कहता हूं, और उसने राजा से कहा कि आपकी जो इच्छा हो, उतना मूल्य दे दीजिए, तो राजा ने अपने मंत्री से कहा कि इसको सौ मौहरे दे दो, क्योंकि मैने मुह मागा इनाम देने के लिए बोला है, और ये कुछ माग नहीं रहा, मंत्री ने राजा के कथनानुसार दर्जी को 100 मोहरे दे दी, और दर्जी खुशी खुशी उन मोहरो को लेकर घर की तरफ चल पड़ा, रास्ते में कुछ लोगों ने पूछा कि , आज आप इतने खुश क्यों हैं? क्या बात है!, राजा से कुछ ईनाम मिला क्या? तो दर्जी ने कहा नहीं, ऐसी कोई बात नहीं है,अब दर्जी घर पहुंचा तो उसके घर वाले भी 100 मोहरे देखकर काफी खुश हुए।

कुछ दिन बीतने के बाद एक दिन उसके बेटे ने उसमें से 2 मोहरें खर्च कर दिया, जब दर्जी को पता चला कि दो मोहरें कम हो गई तो वो बहुत दुखी हुआ, लेकिन उसने सोचा कि अब मैं खर्च नहीं करूंगा, अब वो जहां भी  जाता उन मोहरों को साथ लेकर जाता, एक दिन उसकी जेब से 8 मोहरें गिर गई , जिसकी वजह से दर्जी बहुत दुखी हुआ, और अगले दिन जब वह राजा के दरबार में गया तो राजा ने पूंछा कि कल तुम खुश थे, आज क्या हो गया, तो दर्जी ने कहा मेरी  8 मोहरें खो गई और दो मोहरे खर्च हो गई,जिसकी वजह से मैं परेशान हूं, तो राजा ने कहा कि इसमें दुखी होने वाली कौन सी बात है,वो तो खर्च होगी ही,लेकिन तुम्हारे पास जितनी हैं, उतने में खुश रहो, जो खो गई उसकी चिंता मत करो।

दोस्तो ये कहानी हमारी और आपकी है, कि हमारे पास से जो चला गया, हम उसी के लिए दुखी रहते हैं, जबकि  दुखी होने से हमें वो चीजें वापिस नहीं मिलेंगी, बेहतर यही है, कि हमारे पास जो है,उसी में खुश रहें।

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