पहलगाम आतंकी हमला, जिसमें 26 लोग मारे गए, हर तरफ चीखें, लाश और खौफ का मंजर, जिसके बारे में हर सुनकर हर किसी के मन में गुस्सा आता है, कि निर्दोष लोगों को क्यों मारा गया, एक नैवी ऑफिसर जिनकी कुछ ही दिनो पहली शादी हुई थी, उनको धर्म के बारे में पूंछकर मार दिया गया।
इस हमले की जितनी निंदा की जाए कम है क्योंकि ऐसी वीभत्स घटना को अंजाम देने वाला इंसान तो नहीं हो सकता इंसान की शक्ल में राक्षस ही रहा होगा, वर्ना कोई कैसे निर्दोष लोगों को जो कि घूमने गए थे उन्हे मार सकता है। घटना के बाद हर कोई इस घटना की निंदा कर रहा है, सरकार ने भी कहा है कि आतंकियों को ट्रैक किया जाएगा और कल्पना से परे उन्हे दंड दिया जाएगा, होना भी यही चाहिए ताकि कोई भी ऐसा घटना को अंजाम देने से पहले सौ बार सोचे क्योंकि ऐसे लोगों के साथ शांति से पेश आना भी कायरता ही होगी।
लेकिन ऐसे हमले होते क्यों है हमला करने और कराने वाला कौन है इन सब पर अगर विचार किया जाएगा तभी इसका परमानेंट हल निकलेगा।
भारत में जो भी आतंकी हमले होते हैं, उसमें सबसे बड़ा हांथ पाकिस्तान का ही रहा है ये जगजाहिर है, लेकिन पाकिस्तान से भारत में हमला अचानक से नहीं होता कि कोई भी पाकिस्तानी भारत में आकर हमला करे, इसमें कहीं न कहीं भारत में रहने वाले गद्दार ही होंगे, क्योंकि बिना ऐसे लोंगो के सहयोग के ऐसा हमला कभी नहीं हो सकता । इनसे निपटने के लिए सरकार को चाहिए भारत में कहीं से भी सोशल मीडिया या किसी भी जगह ऐसी जानकारी मिले तो तुरंत उस व्यक्ति पर कार्यवाही होनी चाहिए, इसके अलावा सरकार को जो लोकल के सूत्र हैं, उनको भी एक्टिव रखना, खासकर ऐसे जगहों पर जहां पर आतंकी गतिविधियों की आशंका रहती है, या फिर वो बॉर्डर के आसपास के इलाके हों, इस समय भारत में अधिकर जगहों पर प्रोटेस्ट होते रहते हैं, कभी कोई नए देश की माग कर देता है, कहीं कुछ ऐसे आंदोलन जिनका काम केवल देश को तोड़ना होता है, कहीं कोई ऐसा ग्रुप या संस्थान जो देश के खिलाफ नारेबाजी करता है, ऐसे संस्थानो, व्यक्तियों और प्रोटेस्ट पर भी नजर बनाकर रखना चाहिए क्योंकि आतंकवादियों को भी बल यहीं से मिलता है, अगर सरकार अपने देश में बैठे लोग जो देश के खिलाफ काम करते हैं, उन पर शिकंजा कसना शुरू करेगी तो आतंकादिया को यहां के गद्दारो से कनेक्शन खत्म हो जाएगा तो आतंकवाद पनप ही नहीं पाएगा।
उसके अलावा सरकार को ये भी चाहिए कि ऐसे आतंकवादियों से निपटने के लिए सख्त से सख्त कदम उठाया जाए न कि उनको बख्शा जाए क्योंकि हमारे शास्त्र भी यही शिक्षा देते हैं, कि जब अधर्म बढ़ जाए और अधर्मी समझाने से न समझे तो महाभारत जैसा युद्ध करना जरूरी है।