ये कहानी एक ऐसे बच्चे की है, जो कि कचरा बीनने का काम करता था, उसको उस कचरे में जो कुछ भी पुराना सामान मिल जाता उनको बेचता, औऱ उसी से अपने खाने का इंतजाम करता ,एक दिन जब वो कचरा बिन रहा था,तो देखता है,कि कचरे में एक फल का बीज था, उसने उस बीज को एक कागज में लपेटकर रख लिया, और उस दिन से वो खराब सामान को बेचता और साथ ही साथ उसको जहां भी फलों के बीज मिल जाते,उनको वो कागज में इकट्ठा कर लेता। ऐसा वो कई महीनो तक करता रहा,एक दिन उसने कचरे में पड़े कुछ सामानों को बेचा, और वो अपने झोपड़ी में चला गया, वो अपनी झोपड़ी में बैठा ही था कि उसकी नजर उस कागज पर पड़ी जिसमें उसने फलों के बीज रखे थे, और ये सोचने लगा कि इस बीज का क्या किया जा सकता है, और उसके मन में ये खयाल आया कि क्यों न उस बीज को झोपड़ी के बाहर बो दिया, जाए, हो सकता है, कुछ सालों में इसमें फल लग जाएं, और ये सोचकर उसने उस बीज को बो दिया, कुछ दिन में ही उसमें से दो बीज अंकुरित हुए,और थोड़ा बड़ा होने पर उसने उन दोनो पौधों को लगा दिया, और वो कचरा बीनने के साथ साथ अब उनकी देखभाल भी करता, कुछ सालों बाद जब बच्चा इतना बड़ा हो गया था, कि वो काफी मेहनता का काम भी कर सकता था, अब उसके लगाए पौधे काफी बड़े हो गये थे, और उन पेड़ों में फल लग गये, और कुछ महीने बाद जब वो फल पक गये,तो उसने सोचा क्यों न उन फलों को बेचा जाए, और उनसे कुछ मुनाफा कमाया जाए, और उसने बाजार में फल बेच दिया और उन पैसों को ऱख लिया,लेकिन अब उसके मन में विचार आय़ा कि अगर मेरे पास फलों का बागीचा होता मुझे बहुत सारे पैसे मिलते और मुझे कचरा बीनने की जरूरत न पड़ती, और उसने खेत किराये पर लेने का व सोचा, लेकिन उसके पास पैसे नहीं थे वो क्या करता, वो जिस सेठ के यहां फल बेचता,उसने उसी से कुछ पैसे उधार मागे और कहा कि मैं आपको जल्दी ही लौटा दूंगा,तो सेठ ने कहा बात तो ठीक हैं,लेकिन पैसों की क्या जरूरत है,तो उसने बताया मुझे छोटे से खेत की जरूरत है, मुझे फलों की खेती करनी है, सेठ ने कहा कि अगर तुम्हे खेती करना है, तो मेरा ही खेत ले लो, फिर क्या था, उसने जितने बीज अब तक इकट्ठा किए थे, सभी को उन खेतों में बो दिया, और वो उनकी देखभाल करता रहा,कुछ सालों बाद जब उन पेड़ों से फल निकलने लगे तो वो उसी सेठ को बेचता, और धीरे धीरे उसने कचरा बीनने का काम छोड़ दिया, और फलों का व्यापार करने लगा, और उसने फिर सेठ का खेत भी ले लिया और अब वो उस शहर का बड़ा व्यापारी भी बन गया।
दोस्तो इस कहानी में जो फलों का बीज है, वो अच्छे विचार हैं, जिस दिन हम अच्छी संगति करके , अच्छी किताबें पढ़कर, अच्छे तथा महान लोगों की बातें सुनकर, उन विचार रूपी बीजों को इकट्ठा करते जाएंगे, तो एक दिन खुद-ब-खुद हमारी सोच भी बड़ी हो जाएगी,के बीज से हम बड़े और महान कार्य कर सकेंगे।
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