एक मछुआरा जो कि मछली पकड़ने काम करता था,एक बार जब वो मछली पक़ड़ने समुद्र के किनारे गया तो देखता है कि समुद्र कि किनारे बहुत सारे मोती बिखरे हुए थे, मछुआरे को लगा कि ये साधारण पत्थर है, लेकिन उनकी खूबसूरती की वजह से उसने अपने पास रख लिया ,मछली पकड़ने के बाद उसने मछलियों को बाजार में बेचा, और अपने घर चला गया । दूसरे दिन मछुवारा फिर से मछली पकड़ने के लिए समुंद्र के किनारे गया,लेकिन आज उसको समझ नहीं आ रहा था कि किस छोर पर मछलियां हैं, क्योंकि जहां पर मछलियां थी कल उसने उसी छोर से बहुत सारी मछलियां पकड़ी थी। मछुआरा थोड़ी देर के लिए समुद्र के किनारे बैठ गया, और पास पड़े पत्थरों को समुद्र में फेंकने लगा, क्योंकि वो जब भी वो समुद्र के किनारे बैठता तो, पानी में पत्थर फेंका करता था, क्योंकि उसको पत्थर फेंकना अच्छा लगता था, थोड़ी देर के बाद जब उसके आसपास के पत्थर खत्म हो गये तो उसने अपने झोले से मोती निकाले और उनको फेंकना शुरू कर दिया, कुछ देर बाद,वहीं दूसरे छोर पर बैठे एक व्यक्ति की नजर उस मछुआरे पर पड़ी तो वह व्यक्ति मछुआरे के पास आकर देखता है, कि मछुआरा पत्थर नहीं बल्कि मोती समुंदर में फेंक रहा है। तो उस व्यक्ति ने मछुआरे को रोककर पूंछा, मैने देखा कि तुम समुंदर में कीमती मोती फेंक रहे थे, थोड़ा घबराहट में मछुआरे ने कहा, कौन से मोती, मैं तो पत्थर फेंक रहा था,जो मुझे समुद्र के किनारे पड़े मिले थे, तो उस युवक ने कहा नहीं, वो बहुत कीमती मोती थे, मैने देखा है, शायद तुम उन्हे पहचान नहीं पाए, और मछुआरे से पूंछा क्या तुम्हारे पास और हैं, तो मछुआरे ने कहा नहीं, मैने सारे समुंद्र में फेंक दिए,थोड़ी देर सोचने के बाद युवक ने कहा ठीक है, लेकिन तुमने कींमती मोती खो दिया, अब वो तुम्हे नहीं मिलेंगे, अब मछुआरे के पास पछताने के अलावा कोई रास्ता नहीं था, क्योंकि समुद्र में फेंके गए मोती वापिस नहीं आ सकते थे। दोस्तों समुंदर में फेंके गए, मोती, मोती नहीं , बल्कि वो हमारा समय है , जो हम अंजाने में पत्थर समझकर नष्ट कर रहे हैं,
और बाद में हमें पछताने के अलावा कोई रास्ता नहीं बचता है, क्योंकि बीता गया समय हम वापस नहीं ला सकते। ये कहानी हमें सिखाती है, कि हमें हमेशा अपने समय का सदुपयोग करना चाहिए, ना कि उनको व्यर्थ गंवाना चाहिए।
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