विचार का मतलब है, आपके पास कुछ जानकारियां है, जो आपने सुन रखी है, या पढ रखी है,किसी माध्मय से और आपने उससे संबंधित कुछ धारणाएं बना ली हैं, लेकिन आप उन विचारों को महत्व देंगे या नहीं ये आप पर निर्भर करता है,लेकिन अगर आप उन विचारों को महत्व देंगे,तो वो आप पर प्रभाव डालेंगे। क्योंकि आप अपनी पहचान भी उससे जोड़ लेंगे, और अगर वो विचार किसी विरोध के हैं, तो आपके शरीर औऱ दिमाग में भी वो प्रभाव डालेंगे, और वही आपके दुख का कारण भी बन सकते हैं।
उदाहरण के तौर पर आपने किसी दोस्त या रिश्तेदार के बारे में विचार किया, जब जब आप विचार करेंगे,तो उस समय उससे संबंधित सारे विचार आपके दिमाग में आने लगेंगे,और जैसा आपने उसके लिए अपना नजरिया बना रखा है, अब उसका प्रतिबिम्ब आपके विचारों में आ जाएगा,अब इसका समाधान केवल ये है, कि आप उन विचारों से अपनी पहचान न रखें,तो आप विचारों के दुख से बच जाएंगे,और वास्तव में सत्य भी यही है, कि आप और विचार अलग अलग है, बेहतर यही है, कि आप उन विचारों को महत्व देना बंद कर दें,और उन विचारों को अपनी जिंदगी न समझें, तो आप खुद में शांति का अनुभव करेंगे।
बातों से मन कैसे दूषित होता है?
आजकल आपके मानसिक औऱ शारीरिक रोग का बड़ा कारण मन का दूषित होना ही है, लेकिन दुर्भाग्यवश लोग अपने इस रोग को ही अपनी जिंदगी समझ बैठे हैं, बातों से मन के दूषित होने का मतलब है, का सत्य के विपरीत सुनना, करना, और उसी को अपनाना, और इसका सबसे बड़ा कारण तो टीवी और सोशल मीडिया है, जो आपको कदम कदम पर लालच,घृणा ,ईर्ष्या,और फालतू का बकबाश सिखा रहा है,इसके लिए बकायदा लोग भी तैयार कर लिए गए हैं, जो समाज में गंदगी फैला रहे हैं, अब किन बातों से आपका मन दूषित होता है, निंदा सुनना करना , किसी का अनुचित विरोध करना सुनना, गाली गलौज ,हिंसा करना और देखना ,सुनना,नकारात्मक विचारों का मनन औऱ उसको फैलाना,अश्लील दृश्य देखना उसके अलावा लालच, ईर्ष्या क्रोध, ये सब मन को दूषित करते हैं।
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