एक बार रोहन अपने ऑफिस से घर की तरफ जा रहा था, उसको आज घर बहुत जल्दी पहुचना था, क्योंकि घर में उसकी मां कि तबियत खराब थी घर से अचानक फोन आया कि मां कि तबियत खराब है, जल्दी आ जाइए। ऑफिस घर से काफी दूर था और वहां पहुंचने में 1 घंटे लगते थे, और आज रोहन अपना स्कूटर नहीं लाया था इसलिए घर पहुंचने में बहुत ही देर हो जाती। ऊपर से घर से भी फोन कि मां कि तबियत खराब है, कुछ समझ नहीं आ रहा था कि कैस घर पहुंचेगा, पर ऑफिस से अपने घर की तरफ पैदल ही निकल पड़ा सोचा जाना तो है ही तो चलें, हो सकता है, ईश्वर कुछ न कुछ व्यव्स्था कर देगा कि घर समय से पहुंच जाए, रास्ते में आते समय बहुत सारे लोग मिले जिसे उसने कहा कि उसे घर तक छोड़ दे उसको जल्दी पहुंचना है, लेकिन किसी ने भी उसकी नहीं सुनी , वो भी खुद को कोसते हुए कि आज मैं स्कूटर नहीं लाया उसकी वजह से लोगों ने भी उसकी मदद नहीं कि ऐसा कहते कहते चला जा रहा था, तभी अचानक से एक कार उसके पास आकर रुकी, रोहन के माथे पर पसीना और चिंता की लकीरें देख कर कार वाले ने पूछां भाई साहब कहां जा रहे हैं? और इतने परेशान क्यों हैं? रोहन ने सोचा कौन अंजान व्यक्ति उनसे ऐसे पूंछ रहा है, जैसे कोई अपना हो, थोड़ा सकुचाते हुए रोहन ने कहा मेरी मां कि तबियत खराब है, घर दूर है, जल्दी पहुंचना है, लेकिन कैसे पहुंचूंगा समझ नहीं आ रहा! तो कार वाले व्यक्ति ने कहा कि चलो मैं ही छोड़ देता हूं, इसमें परेशान होने वाली बात कौन सी है, हम इंसान एक दूसरे कि मदद के लिए ही तो बने हैं, ऐसा सुनते ही रोहन की जान में जान आई कि चलो अब घर पहुंच जाएगा, दोनो रास्ते में बात करते हुए घऱ पहुंचे तो देखा कि मां को बहुत तेज बुखार है, रोहन ने कार वाले से कहा कि इनको अस्पताल ले जाना पडेगा तो कार वाले ने कहा कि मैं डॉक्टर हूं, मेरे पास दवाइयां हैं, पहले मैं चेक कर लूं, फिर दवाई दे देता हूं, उस कार वाले ने चेक अप किया और फिर दवाई दी और कहा घबराने की कोई बात नहीं थोड़ी देर में मां जी ठीक हो जाएंगी, और दवाई देकर डॉक्टर जाने लगा, तो रोहन ने रोका, कहा कि आपकी फीस , तो कार वाले ने कहा कोई बात नहीं कुछ सेवा मैं बिना पैसे के करता हूं, औऱ वो चला गया। डॉक्टर के जाने के बाद रोहन की पत्नी ने पूंछा कि ये कौन थे जो साथ में आए थे इतने ईमानदार और परोपकारी, तो रोहने के पता नहीं मुझे घर पहुंचने का कोई साधन नहीं मिल रहा था तो इन्होने मुझे छोड़ा और मां का इलाज भी कर दिया, शायद भगवान ही थे इस रूप में नहीं तो ऐसी मदद कौन करता है।
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