ये कहानी एक मजदूर की है, जो लोगों के यहां काम करता था , और उसको जो भी पैसा मिलता, उसी से अपना जीवन यापन करता था,दिनभर मजदूरी करता, और शाम को घर आता, उसका काम अक्सर पहाड़ी इलाकों में रहता,और पहाड़ों से रास्ता बनाना उसका मुख्य कार्य था, काम काफी कठिन था , क्योंकि पहाड़ के बीचों बीच रास्ता बनाने के लिए बड़ी बड़ी चट्टानो को तोड़ना पड़ता था , जिसमें मेहनत भी बहुत ज्यादा लगती था, और उसके अलावा समय भी बहुत ज्यादा लगता था,उस इलाके में इससे मेहनती और कुशल मजदूर कोई नहीं था , जो इस काम को सही तरीके से कर पाये , जिस कारण उसको आसपास के लोगों से जान पहचान काफी थी,,काम करते करते धीरे धीरे उसने कई और लोगों को भी अपने जैसा बनाने के लिए, कई और लोंगो को ये काम सिखा दिया ,ताकि वो सारा काम अपने ही लोगों से करा सके, और धीरे धीरे वो आसापास के इलाके का बड़ा काम भी लेने लगा, जिसकी वजह से उसकी कमाई भी ज्यादा हो गई, लेकिन फिर भी उसने कार्य करना नहीं छोड़ा, ताकि उसकी कुशलता बनी रहे, उसी गांव में एक व्यापारी रहता था, जिसको उस मजदूर की तरक्की देखकर ईर्ष्या होने लगी, और उसने भी अब पहाड़ से रास्ता बनाने का काम लेने का सोचा , लेकिन उसको किसी भी प्रकार का अनुभव नहीं था , तो उसने सोचा कि मैं कुछ मजदूर रखकर ये काम करवा लूंगा, और मुनाफा भी अच्छा हो जायेगा, और इसी उद्देश्य से उसने काम की तलाश शुरू की, आसपास के इलाके के लोग भी व्यापारी को जानते थे, जिसकी वजह से उसको काम मिलने में दिक्कत नहीं हुई , और उसको काम भी मिल गया , किसी तरह उसने कुछ मजदूरों को काम करने के लिए तैयार किया,औऱ काम शुरू कर दिया, लेकिन उसको जो भी काम मिलता उसके कर्मचारी सही समय पर नहीं कर पाते थे , जिसकी वजह से उसका काफी नुकसान हुआ, व्यापारी को लगा कि अगर अगर इसी तरह उसका व्यापार चलता रहा तो वो वो काफी घाटे में चला जायेगा,तो उसने सोचा क्यों न किसी कुशल व्यक्ति से सलाह ली जाय, और उसने मजदूर से पूछने का सोचा, वो उस मजदूर के पास गया और बोला कि मैने भी पहाड़ से रास्ता बनाने का काम लेना शुरू किया है, लेकिन मेरे कर्मचारी इस कार्य को सही तरीके से नहीं कर पा रहें हैं, इसलिए मुझे काफी नुकसान हो चुका है, कृपया कोई हल बताएं, ताकि मैं इस घाटे से बाहर निकल जाऊं ,तो मजदूर ने कहा, कि जब आपके पास कोई कुशल व्यक्ति नहीं था, तो आपने काम शुरू क्यों किया, क्योंकि ये सारा खेल तो प्रय़ासों का है, आप जितना प्रय़ास करते जायेंगे उतने ही कुशल और मजबूत बनते जायेंगे, मेरी मेहनत तो कई सालों की है, इसलिए मैं इस मुकाम पर हूं, कोई इंसान बनने से कुशल नहीं होता , उसको लगातार प्रयास करना पड़ता है , तभी कुशल होता है, अब व्यापारी को पता लगा कि सफलता की सीढ़ी प्रय़ास ही है, तभी आदमी कुशल बन सकता है।
दोस्तो ये कहानी हमें सिखाती है , कोई व्यक्ति असफल नहीं है , केवल उसने प्रयास नहीं किया है, अगर वो लगातार प्रय़ास करेगा तो एक दिन कुशल हो जायेगा नहीं किया है, और उसके लिए कठिन कार्य भी आसान हो जायेगा।
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