निंदा करने से क्या होता है?
निंदा करने से क्या होता है?

निंदा करने से क्या होता है?

निंदा करने वाला व्यक्ति कभी सुखी नहीं रह सकता, क्योंकि उसके विचार दूषित हो जाते हैं।

एक बार एक आदमी अपने भाग्य से बहुत ज्यादा दुखी हो गया, इतना दुखी की हर इंसान की केवल गलतियां निकाला करता , कई बार इस चक्कर में इसकी दूसरों से भी लड़ाई हो जाती । लेकिन उसकी निंदा करने की आदत नहीं छूटी , और वह काफी बीमार भी पड़ गया,और उसको लगने के लगा कि दुनिया का सारा दुख केवल उसी के पास है,क्योंकि बीमार हो जाने की वजह से वह अब चल भी नहीं पा रहा था, किसी तरह उसने पास के एक वैद्य को बुलाया ,तो वैद्य ने कहा कहा कि तुम्हे कोई बीमारी नहीं है, लेकिन तुम बेवजह दुखी हो,  उस आदमी ने वैद्य से कहा कि मेरा काम में भी मन नहीं लगता और ऐसा लगता है,कि मेरा भाग्य ही खराब है, और उसने बताया कि मेरे पड़ोस में बहुत सारे लोग रहते हैं, अच्छे लोग नहीं है,और उसके रिश्तेदार भी अच्छे नहीं है, कोई उसकी मदद नहीं करता । तो वैद्य ने कहा कि तुम अपनी मदद खुद कर सकते हो, तुम क्यों खुद में सुधार नहीं करते , दूसरों में कमियां क्यों निकालते रहते हो, और वैद्य ने कहा कि क्या दूसरों की बुराई करने से वो लोग बदल जाएंगे, क्या तुम्हे बुराई करने से कुछ मिलता है,तो उसने कहा नहीं, तो फिर तुम अपना समय उनके लिए खराब क्यों करते हो   ? वैद्य ने पूंछा, और कहा कि , तुम हमेशा दूसरों की बुराई करते हो, इसलिए तुम्हारा नजरिया अब बेहद नकारात्मक हो गया है, क्योंकि अब तुम दूसरों के बारे में सोचने के चलते खुद के बारे में विचार ही नहीं कर पा रहे हो, और कहा कि जब तुम लोगों की कमियों पर ध्यान देना बंद कर दोगे, औऱ खुद को बेहतर बनाने की कोशिश करोगे, तो तुम्हे भाग्य को कोसने की जरूरत नहीं पड़ेगी,क्योंकि किसी इसांन का भाग्य उसके कर्मों से बनता है, औऱ कर्म की प्रेरणा अच्छे विचारों से मिलती है,और तुम्हारा नजरिया नकारात्मक हो जाने से तुम संभावनाएं नहीं देख पा रहे हो,अब  उस आदमी को यह बात समझ में आ गई कि उसके दिमाग में केवल दूसरों की कमियां औऱ निंदा थी, जिसकी वजह से वो हमेशा दुखी  और चिढ़्चिढ़ा रहता था, और अपना काम भी नहीं कर पा रहा था,और उसने धीरे धीरे यह आदत छोड़ दी,और अब वह पूरा ध्यान केवल काम पर देने लगा, औऱ अब खुश रहने लगा।

दोस्तों हममे से बहुत सारे लोग हमेशा अपना बहुमूल्य समय दूसरों कि बुराई करने में खत्म कर देते हैं, जिससे उनका नजरिया बेहद नकारात्मक हो जाता है,इसलिए  हमें दूसरों की बुराई न ही सुननी चाहिए न ही करनी चाहिए,बल्कि हमें पूरा ध्यान अपने लक्ष्य पर देना चाहिए, अन्यथा हमारे विचार दूषित हो जाएंगे, जिससे न ही हम अपना कार्य कर पाएंगे न ही कभी  खुश रह पाएंगे।

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