- दूसरों से उम्मीद-जब हम किसी से उम्मीद रखते हैं, तो हम पूरी तरह दूसरे पर निर्भर हो जाते हैं, जिसकी वजह से हम उस दिशा में प्रयास भी नहीं करते ,और हर समय जरूरी नहीं है, कि दूसरे हमारी उम्मीदों पर खरा उतरे,क्योंकि हो सकता है, उसके पास समय न हो, या फिर उसके पास हमसे ज्यादा कोई जरूरी काम है, कारण कुछ भी हो सकता है,बेहतर यही है, कि आप उम्मीद टूटने पर दुखी न हों, केवल अपना प्रय़ास करें, और संभव हो तो खुद को काबिल भी बना लें।
- लालच- दोस्तों लालच में इंसान अपना अच्छा बुरा नहीं देख पाता, वो केवल लाभ की तरफ ही देखता है, और उसकी वजह से वह कुछ ऐसे कार्य कर जाता है, जो उसको नहीं करना चाहिए, जिसका परिणाम दुष्कर होता है, औऱ दुख का कारण बनता है।
- सबकुछ इच्छानुसार चाहना-दोस्तों हमारे मन की सबसे बडी गलती यह है, कि उसको जो कुछ भी अच्छा लगता है, वो उसी के पीछे भागने लगता है, और अगर हमने अपने मन के अनुसार अगर चलना शुरू किया तो वो दुख का कारण बनता है, उदाहरण के तौर पर अगर हमने टीवी पर मोबाइल का एड देखा और हमारा मन उसी के पीछे चलने लगे और अगर वो हमारी इंकम के बाहर का है और हमने खरीद लिया तो वो भी दुख का कारण ही बनेगा, और अगर हमारी इच्छा प्रबल हो गई और हम नहीं ले पाए तो भी वो दुख का कारण बनेगा, इसके अलावा अगर हम दूसरों से अपनी इच्छानुसार सब कुछ करवाना चाहते हैं, तो ये भी संभव नहीं है, बेहतर है, हम उसको उसी तरह स्वीकार करें, जैसा वो है।
- खोने का भय- खोने का भय भी दुख का सबसे बड़ा कारण है, इंसान को अगर कुछ भी मिल जाए, चाहे ज्यादा सम्पत्ति हो पैसा हो, या फिर कोई इंसान जो हमारी परवाह करता है, अगर हमारे अंदर खोने का डर है, तो भी वो दुख का कारण बनेगा, क्योंकि वक्त के साथ हर इंसान और वस्तु का समय निश्चित है, बेहतर है, कि हम इसको स्वीकार लें, और निर्भय रहें, जो रहना होगा रहेगा, जो नहीं रहना होगा नहीं रहेगा।
- दूसरों को नियंत्रित करने की इच्छा –दुनिया में हर व्यक्ति स्वतंत्रता चाहता है, बेहतर यही है , कि हम दूसरों को नियंत्रित करने की इच्छा न रखें, अगर किसी को हम सही रास्ते पर चलाना चाहते हैं, तो अपने अच्छे व्यवहार से उसको प्रेरित कर सकते हैं,लेकिन जबरद्स्ती नियंत्रण केवल दुख का कारण ही बनेगा।
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