कर्मों का फल
कर्मों का फल

कर्मों का फल!

किसी ने सच ही कहा है,कर्म का फल उसी तरह कर्म करने वाले को ढूढ़ लेता है, जैसे बछड़ा अपनी गाय को ।

एक युवक जो कि एक सेठ के यहां काम करता था, उसी से जो पैसा मिलता उसी से अपना जीवन यापन करता था।जहां वो काम करता था उस सेठ के कई और लोग भी काम करते थे, एक बार अचानक से उसके मालिक ने सभी की तनख्वाह बढ़ा दी, लेकिन उस युवक की तनख्वाह नहीं बढ़ाई, अब युवक को जब पता चला कि उसकी तनख्वाह नही बढ़ी, ,तो वह गुस्से में आ गया , और सेठ को कहा कि आपने मेरी तनख्वाह नहीं बढ़ाई , जबकि जो लोग बहुत कम काम करते थे, उनकी तनख्वाह बढ़ा दी ऐसा क्यों किया, तो सेठ ने कहा कि तुम्हारी तनख्वाह कुछ महीनो में बढ़ा दी जायेगी, तब तक तुम ईमानदारी से काम करो, और ये बताओ कि कौन लोग हैं, जो ईमानदारी से काम नहीं करते तो, उसने एक व्यक्ति का नाम बता दिया , अब ये सुनकर सेठ ने उस व्यक्ति को नौकरी से ही निकाल दिया ,कुछ महीने बीतने के बाद युवक ने सेठ से तनख्वाह बढ़ाने का बोला , सेठ ने भी युवक की तनख्वाह बढ़ा दी, लेकिन साथ ही साथ और लोगों की भी तनख्वाह बढ़ा दी, इस बार युवक को लगा कि उसके साथ फिर गलत हो गया, और सेठ से फिर बोला कि आपने फिछली बार सभी की तनख्वाह बढ़ाई थी, लेकिन मेरी नहीं, लेकिन इस बार आपने सभी की तनख्वाह क्यों बढ़ाई, तो सेठ ने कहा ये पुराने कर्मचारी है, इसलिए इनकी तनख्वाह बढ़ाई गई, लेकिन युवक इस बात से भी संतुष्ट नहीं हुआ, और उसने कहा कि मैं ये नौकरी छोड़ दूंगा। और उसने नौकरी छोड़ दी।और वह नौकरी की तलाश में निकल पड़ा,कई दिनो तक नौकरी ढूढ़ने के बाद भी युवक को कहीं नौकरी नहीं मिली, अचानक एक दिन उसके दोस्त ने एक सेठ का पता दिया, और बोला कि वहां तुम्हे नौकरी मिल जायेगी,युवक तुरंत ही उस पते पर पहुंचा युवक ने वहीं पर खड़े एक कर्मचारी को इशारे से बुलाया औऱ पूंछा  कि आपके यहां किसी कर्मचारी की जरूरत है, तो कर्मचारी ने कहा हां, तो आप काम करना चाहते हैं, तो आ सकते हैं, केवल आपको एक बार सेठ जी से मिलना पड़ेगा, और काम मैं समझा दूंगा, और कर्मचारी ने युवक को सेठ के पास भेज दिया, युवक जैसे ही सेठ से मिलने गया तो देखता है कि वही कर्मचारी जिसको उसने सेठ के यहां से निकलवाया था, उसी ने अपना व्यापार शुरू कर लिया है, अब थोड़ा सकुचाते हुए युवक ने कहा,आप ही यहां के मालिक हैं, तो सेठ ने कहा हां, लेकिन तुम यहां क्यों आए हो ? तो युवक ने कहा नौकरी के लिए, थोड़ा गुस्से में सेठ ने कहा…लेकिन तुम तो केवल लोगों की शिकायत करते हो, नौकरी की क्या जरूरत है?तो युवक ने बताया मैने सेठ के यहां से नौकरी छोड़ दी, और मुझे दूसरी नौकरी नहीं मिल रही,  तो सेठ ने थोड़ी देर सोचने के बाद कहा मैं तुम्हे नौकरी पर नहीं रख सकता। तुम जा सकते हो। अब युवक निराश होकर घर लोट आया, और अपनी गलती पर पछताने के अलावा उसके पास कोई और रास्ता नहीं थी।

दोस्तों इस दुनिया में हर व्यक्ति को कर्म का फल मिलना निश्चित है, अगर हम किसी के साथ अच्छा करते हैं, तो हमारे साथ अच्छा ही होगा, और बुरा करने पर बुरा ही फल मिलेगा, बेहतर है , हम जाने अंजाने में  अपने फायदे के लिए बुरा न करें।

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