आशावादी कैसे रहें?

ये कहानी एक युवक की है, जो अखबार बेचता था, दिनभर अखबार बेचता और शाम को घर आकर घर का काम देखता, उस घर में उसके साथ उसके पिताजी भी रहते थे, जो एक सेठ के गराज में गाड़ी साफ करने का काम करते थे,उसको ये काम अच्छा नहीं लगता था, और वो हमेशा सोचता रहता, कि मैं क्या करूं कि मेरे पापा ये काम छोंड़ दें,  और जैसी गाडियां वो धोते हैं , ऐसी कई गाड़ियों के वो मालिक बन जाएं। वो जब अखबार बेचने जाता तो बस स्टैंड पर जहां वो अखबार बेचता, वहीं पर कुछ यात्री उसका अखबार पढ़ते और वापिस कर देते, वो उनसे कभी पैसे नहीं लेता था,धीरे धीरे उनमें से  दो यात्री जो रोज आते जाते थे,उनसे उसकी अच्छी दोस्ती हो गई, और सिलसिला चलता रहा। लेकिन उसको ये बात हमेशा परेशान करती, कि मेरे पापा किसी के यहां नौकरी करते हैं , और मुझे उनके लिए गाड़ी का इंतजाम करना है, जिससे वो किसी और के यहां नौकरी न करें, बल्कि गाड़ियों के मालिक हो जाएं, लेकिन उसको कोई रास्ता दिखाई नहीं दे रहा था। एक दिन अचानक जब वो अखबार बेच रहा था, उन दो लोगों के साथ जिनसे उसकी पहचान थी , उनके साथ एक और आदमी था जो कि बहुत बड़े प्रिंटिंग व्यवसाय का मालिक था,उसने जब दोनो से बातचीत का सिलसिला देखा, तो उससे रहा नहीं गया, और उसने उससे पूंछा कि तुम इतनी मेहनत करते हो, कितने पैसे कमा लेते हो, तो उसने कहा कि कुछ 1000 रुपये, तो व्यापारी ने कहा इतने पैसे में तो तुम्हारा खर्चा नहीं चलता होगा, दूसरा काम क्यों नहीं करते, उसने कहा कि मैं ज्यादा पढ़ा लिखा नहीं हूं,इसलिए मुझे बड़ा काम नहीं मिलेगा। तो उसने कहा कि ठीक है, मैं तुम्हे बड़ा काम दे दूंगा, केवल उसके लिए मुझे एक आदमी की पहचान चाहिए, जो तुम्हे जानते हों,उसने उसी  की तरफ इशारा किया तो उन्हे लगा कि इसको अच्छा अवसर मिल रहा है, तो उन्होने हां कर दिया, फिर क्या था , उस आदमी की जैसे किस्मत बदल गई, उसको काम मिल गया,और फिर व्यापार के मालिक ने उसकी ईमानदारी से खुश होकर उसको पूरा प्रिंटिंग व्यवसाय का सौंप दिया,और उसका हर सपना पूरा हो गया।

ये कहानी हमें बताती है, कि हमें अपने सपने के लिए हमेशा आशावादी होना चाहिए, क्या पता किस रुप में ऊपर वाला माध्यम हमारे पास भेज दे।

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