अभ्यास ही गुरू है?

कोई सफल एक दिन में नहीं होता , लेकिन प्रयास करने पर एक दिन जरूर होता है, कोई व्यक्ति जन्म से महान नहीं होता, लोग अपनी आदतें बदलकर महान बन जाते हैं।

एक आदमी तैराकी सीखना चाहता था,इसी उद्देश्य से वो तैराक के पास गया ,और बोला मुझे तैरना सीखना है,आप मुझे तैरना सिखा दीजिए। तैराक उसे लेकर नदीं के पास लेकर बोला, तुम पहले इन तैरने वालों को देखो, उसके बाद तुम ये बताओ कि तुम्हे ये काम कितना मुश्किल और कितना सरल लगता है, वो आदमी काफी देर तक तैरने वालों को देखता रहा,और उसको ऐसा लग रहा था, कि ये काम काफी कठिन है,और उसने तैराक से कहा कि ये काम बेहद कठिन है, मुझे विश्वास ही नहीं हो रहा कि मैं ये काम कर सकता हूं,मैं नहीं कर पाऊंगा।

 इस पर तैराक ने कहा कि ऐसा कुछ भी नहीं हैं, कि ये काम कठिन हैं, इन लोगों ने कई सालों तक अभ्यास किया हैं, इसलिए उनको अब पूरी तरह विश्वास हो चुका है, कि वो इस काम को अच्छे से कर सकते हैं, और कर भी रहे हैं, इसलिए तुम भय को निकाल दो, और केवल अभ्यास करो,एक दिन तुम भी बड़े तैराक बन ही जाओगे, और किसी तरह तैराक ने उस युवक को तैयार किया, धीरे धीरे वह युवक तैरना सीख गया, और जब वह तैरना सीख गया तो  तैराक ने युवक से पूंछा कि अब बताओ तैरना सरल है या कठिन, तो युवक ने कहा अब यह काम मुझे सरल लग रहा है, क्योंकि अब मैं तैरना सीख गया हूं, और कहा कि दरअसल जब तक हम किसी काम को करते नहीं हैं, तो हम विश्वास नहीं कर पाते कि हम कर लेंगे, लेकिन अभ्यास से कोई भी कठिन कार्य –सरल हो जाता है,

दोस्तों ये कहानी हमें सिखाती है, कि हमें किसी भी कार्य को करने से पहले हार नहीं माननी चाहिए, क्योंकि अभ्यास से किसी भी कठिन कार्य को सरल बनाया जा सकता है।-

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