अच्छा इंसान कैसे बने?

ये कहानी एक ऐसे आदमी की है, जो  चाहता  था कि आसपास के सभी लोगो की नजरो में वह अच्छा साबित हो जाए और लोग उसके अच्छे कार्यों की तारीफ करें, वह काफी धनी आदमी भी था, उसको लगा कि क्यों न रोज नये नये कपड़े पहना जाए, और शान शौकत की जाए, धीरे धीरे लोग इज्जत करने लगेंगे,ये सोचकरउसने शहर से नये कपड़े मगवाये, और खुद को अच्छा दिखाने के लिए उसने बहुत सारे प्रयास किये, लेकिन उसका प्रय़ास पूरी तरह फेल रहा, एक बार उस गांव में एक बाबाजी ने आए, दिखने में बेहद शांत कोई खास चमक धमक नहीं, न हीं खास तरह का पहनावा, लेकिन जो कोई भी उनसे मिलता हर कोई उनकी ही तारीफ करता, किसी ने उस आदमी को ये बात बताई कि कोई बाबा जी गांव में आए हैं, जो बहुत अच्छे हैं, हर कोई उनकी तारीफ करता है, तुम भी मिलो,अब वह आदमी उनसे मिलने के लिए गया,कि वो कैसे हैं, जो हर कोई उनकी ही तारीफ करता है, तो देखता है, बेहद सादे कपड़ों में कोई सज्जन आदमी बैठा है, यह सोचकर आदमी को आश्चर्य हुआ कि इतनी साधारण वेशभूषा वाले व्यक्ति की लोग इतनी इज्जत क्यों करते हैं, जबकि मेरे पास सबकुछ हैं, फिर भी कोई मेरी इज्जत नहीं करता,तो उसने सोचा क्यों न इन्ही से पूंछा जाए, कि इनके पास ऐसा क्या है,और बाबाजी से कहा कि मैं इस इलाके का धनी व्यक्ति हूं, मेरे पास पैसे की कोई कमीं नहीं, तो बाबाजी ने कहा मुझे तुम्हारे पैसे से क्या लेना देना वो तो तुम्हारे ही काम आएगा,तो आदमी ने पूंछा फिर बाबाजी ये बताइए, कि लोग आपकी इतनी इज्जत करते हैं, मेरी नहीं ऐसा क्यों है, तो बाबाजी ने कहा कि मैं किसी को अपना पैसा नहीं दिखाता, सभी से अच्छा व्यवहार ऱखता हूं, कभी कभी अगर लोगों की जितनी मदद कर सकता हूं, वो भी करता हूं, किसी को छोटा नहीं समझता, और मैं लोगों से वैसा ही व्यवहार करता हूं, जैसा मैं खुद के लिए लोगों से आशा रखता हूं, और ये काम कोई कठिन नहीं कोई भी कर सकता है, अगर वो कोशिश करे तो, अब उस आदमी को समझ आ गया कि मैं गलत सोच रहा था कि लोग पैसे और पहनावे से मेरी इज्जत करेंगे।

दोस्तों ये कहानी हमें सिखाती है, कि जीवन में आपकी कीमत आपके पहनावे  और पैसे से नहीं, बल्कि आपके अच्छे कर्मों और व्यवहार से होती है।

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